चुनाव आते ही नेताओं को डेरे और उनके भक्त याद आने लगते हैं. लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही पंजाब और हरियाणा के दर्जनों डेरों में सभी पार्टियों के नेता दस्तक दे रहे हैं. हर चुनाव में ऐसा होना आम बात है. क्योंकि इन दोनों राज्यों में डेरे राजनीतिक दिशा और दशा तय करने में अहम माने जाते हैं.
पंजाब के जालंधर के करीब स्थित राधा स्वामी डेरा भी राजनेताओं की अच्छी खासी पसंद है. लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही सबसे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह डेरा में नतमस्तक हुए और उसके बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी डेरा पहुंचे और बाबा गुरिंदर सिंह से आशीर्वाद लिया.
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बाद अचानक डेरे में राजनीति गरमाने लगी है. सूत्रों की माने तो डेरा के पॉलिटिकल विंग में डेरा के भक्तों को साफ-साफ कह दिया है कि अब की बार किसे वोट देना है. सत्ता वापसी का सपना देख रही कांग्रेस के नेता पहले ही सिरसा जाकर डेरे में हाजिरी लगा चुके हैं. इन नेताओं में कांग्रेस के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक तंवर भी शामिल है.
एक अनुमान के मुताबिक डेरों के ज्यादातर अनुयायी दलित और पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. यानी डेरे दलित मतदाताओं का अच्छा खासा वोट बैंक है. यही कारण है कि राजनेता दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए डेरों की शरण में जाते हैं.
इस मामले को लेकर जब राजनेताओं से बात की गई तो उनके जवाब गोलमोल थे. जाहिर है राजनेता नहीं चाहते कि चुनावों के दौरान उन पर डेरों में जाने पर कोई पाबंदी लगाई जाए. राजनेता डेरों के राजनीतिकरण के आरोपों को यह कहकर टाल जाते हैं कि पंजाब में मीरी-पीरी का सिद्धांत चलता है. यानी राजनीति और धर्म साथ-साथ चलते हैं और डेरों में जाकर बाबाओं का आशीर्वाद प्राप्त करना कोई बुरी बात नहीं है.
अकाली दल के प्रवक्ता डॉक्टर दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि चुनाव के दौरान डेरों में जाने की रवायत है क्योंकि मतदाता गली मोहल्ले से लेकर डेरा, मंदिर गुरुद्वारा कहीं भी मिलते हैं. सभी डेरे गलत नहीं है. उधर, भाजपा नेता विनीत जोशी ने कहा कि पंजाब गुरुओं की धरती है और किसी भी शुभ काम के लिए गुरुओं का आशीर्वाद लेना शुभ माना जाता है.
उधर, डेरों से जुड़े कुछ श्रद्धालु डेरों के राजनीतिकरण से दुखी हैं. डेरा सच्चा सौदा के कुछ श्रद्धालुओं ने धर्म की आड़ में हो रही राजनीति को रोकने के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है. चुनाव आयोग को दी गई शिकायत में कहा गया है कि 1995 के बाद डेरा सच्चा सौदा अपना धार्मिक मकसद भूलकर राजनीतिक खेल खेल रहा हैं. वह न केवल राजनेताओं बल्कि अपने भोले-भाले श्रद्धालुओं को भी शिकार बना रहा हैं ताकि वह कानून की आंख में धूल झोंक सके.शिकायत करने वालों में शामिल डेरा के एक श्रद्धालु और वकील महेंद्र सिंह जोशी ने कहा कि डेरे अपने व्यक्तिगत हित साधने के लिए श्रद्धालुओं का शोषण कर रहे हैं. डेरों के प्रभाव से सही उम्मीदवार जहां चुनाव हार जाते हैं, वहीं गलत प्रवृत्ति के लोग चुनाव जीत जाते हैं.
शिकायतकर्ताओं ने चुनाव आयोग से अपील की है कि चुनाव के दौरान राजनेताओं के डेरों में आने पर रोक लगाई जाए क्योंकि इस चलन से न केवल आचार संहिता बल्कि पीपल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट का भी उल्लंघन हो रहा है. पिछली बार भी चुनाव आयोग को शिकायत दी गई थी लेकिन आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की. और ये कहकर शिकायत का निपटारा कर दिया था कि उसके पास डेरों के खिलाफ कोई सबूत नहीं है.
अबकी बार शिकायत करने वालों ने साफ किया है कि 10 दिनों के भीतर अगर डेरों के राजनीतिकरण पर रोक नहीं लगाई गई तो वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या चुनाव आयोग राजनेताओं के डेरों में प्रवेश पर रोक लगाता है या फिर पहले की तरह डेरे चुनावों को प्रभावित करते रहेंगे.