पंजाब में कांग्रेसी विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने का विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पंजाब के दर्जनों पैरा ओलंपिक एथलीट अपने स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल मेडल और अवार्ड लेकर पंजाब सीएम हाउस के बाहर पहुंच गए. उन्होंने कैप्टन सरकार से मांग की कि अगर उनसे जो सरकारी नौकरी देने का वादा किया गया है वो पूरा नहीं हो सकता तो उनसे ये तमाम स्टेट अवार्ड और मेडल वापस ले लिए जाएं.
सीएम हाउस के बाहर खिलाड़ियों का प्रदर्शन
इस दौरान सीएम हाउस के बाहर ही इन खिलाड़ियों को रोक दिया गया और आगे जाने की अनुमति नहीं दी गई. जिसके बाद इन खिलाड़ियों ने कहा कि उन्हें इस बात से बेहद ठेस पहुंची है कि एक और तो पिछले 7 साल से वो सरकारी नौकरी हासिल करने का इंतजार कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर कैबिनेट में स्पेशल प्रस्ताव पास करके कांग्रेस के विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी दे दी गई.
प्रदर्शन में पहुंचे आम आदमी पार्टी के नेता
चंडीगढ़ में पंजाब सीएम हाउस के बाहर जमा पैरा ओलंपिक एथलीट्स लगातार प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक मीत हेयर और कुछ अन्य नेता और कार्यकर्ता वहां पर पहुंचे और उन्होंने बैरिकेट्स को तोड़कर एथलीट को आगे भेजने की कोशिश की. इस दौरान वहां पर मौजूद चंडीगढ़ पुलिस और पंजाब पुलिस के जवानों ने इन लोगों को रोकने की कोशिश की. इस बीच काफी धक्का-मुक्की हुई और कुछ पैरा ओलंपिक दिव्यांग और अपाहिज प्लेयर जमीन पर भी गिर गए.
क्लिक करें- आजतक की खबर का असरः पंजाब में MLA फतेह बाजवा के बेटे ने ठुकराई सरकारी नौकरी
पुलिस के जवानों के साथ धक्का-मुक्की
इस दौरान आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की पुलिस के जवानों के साथ धक्का-मुक्की हुई और काफी देर तक हंगामा चलता रहा. हालांकि जो पैरा ओलंपिक प्लेयर यहां पर मेडल वापस करने के लिए पहुंचे थे, उनको पुलिस ने आगे नहीं जाने दिया. जिसके बाद ये लोग वहीं पर ही जमीन पर बैठ गए और लगातार प्रदर्शन करने लगे. उन्होंने पुलिस पर उनके साथ धक्का-मुक्की करने और ज्यादती करने का आरोप लगाया.
सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने की वीडियो कॉल
पैरा एथलीट्स का प्रदर्शन इतना जोरदार था कि मजबूरी में सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को वीडियो कॉल पर प्रदर्शन कर रहे एथलीट्स से बात करनी पड़ी. साथ ही उन्हें भरोसा देना पड़ा कि जल्द ही खेल विभाग की ओर से पॉलिसी तैयार की जाएगी और कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवा कर जरूरतमंद खिलाड़ियों को तुरंत नौकरी दी जाएगी.
कांग्रेस विधायक बैकफुट पर
वहीं इस पूरे मामले पर जिन विधायकों के बेटों की सरकारी नौकरी लगी है वो विधायक भी लगातार बैकफुट पर हैं. इसी बीच कांग्रेस के विधायक फतेह जंग बाजवा अपने दोनों बेटों को लेकर मीडिया के सामने आए. फतेह जंग बाजवा के छोटे बेटे अर्जुन प्रताप बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर की नौकरी दी गई है. बाजवा परिवार ने कहा कि जिस तरह से बेवजह उनके परिवार की आलोचना इस नौकरी की वजह से हो रही है, उससे आहत होकर वो नौकरी का प्रस्ताव ठुकरा रहे हैं.
कांग्रेस के नेताओं को भी खरी-खोटी सुनाई
फतेह जंग बाजवा ने कहा कि उन्होंने पहले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह से मना कर दिया था कि उन्हें या उनके परिवार को ये नौकरी ना दी जाए लेकिन उसके बावजूद कैबिनेट में ये प्रस्ताव पास हो गया. हालांकि बाजवा परिवार ने कहा कि आतंकवाद के दौर में उनके दादा के शहीद होने की वजह से जिन नियमों के तहत उनके परिवार को नौकरी दी गई है वो बिल्कुल सही है और बेवजह ही उनके परिवार की आलोचना की जा रही है.
बाजवा ने आरोप लगाया कि उनके बेटे ने अपनी सरकारी नौकरी ठुकरा दी है क्या अब अन्य राजनेताओं के बेटे और परिवार के लोग भी इसी तरह करेंगे. उन्होंने अपनी ही कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं को भी खरी-खोटी सुनाई और कहा कि उन्होंने भी बेवजह इस मामले को राजनीतिक रंग दे दिया.
कांग्रेस नेता पर आम आदमी पार्टी का तंज
इस पूरे मामले को लेकर आम आदमी पार्टी ने कहा कि फतेह जंग बाजवा नौकरी छोड़कर कोई त्याग नहीं कर रहे हैं. उनके लिए अगले चुनावों में जनता के बीच जाना मुश्किल हो जाता है इसी वजह से उन्होंने अपने बेटे को मिली सरकारी नौकरी ठुकराने का नाटक किया है. नौकरी पर पहला हक सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों और बेरोजगार युवकों का है ना कि कांग्रेस विधायकों के बेटों का.
अकाली दल ने भी की टिप्पणी
वहीं अकाली दल के नेता विक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि फतेह जंग बाजवा ने जो नौकरी ठुकराने का नाटक किया है, दरअसल ऐसा नहीं है. बल्कि जिस तरह से आम जनता में उनकी किरकिरी हो रही थी इस वजह से उन्हें मजबूरी में ये पद छोड़ना पड़ा है.
पंजाब सरकार की किरकिरी
गौरतलब है कि अनुकम्पा के आधार पर कांग्रेस विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने से लगातार सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब सरकार की किरकिरी हो रही है. इसी वजह से वो तमाम नेता बैकफुट पर हैं जिन्होंने खुद को आतंकवाद के दौर का शहीद परिवार बताते हुए अपने बेटों के लिए सरकारी नौकरी हासिल की है. अब देखना ये होगा कि क्या फतेह जंग बाजवा को देखते हुए अन्य विधायक भी उनके बेटों को मिली सरकारी नौकरी छोड़ते हैं या नहीं?