करीब छह वर्ष पहले दो समलैंगिक पुरुषों की हत्या के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने दो लोगों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए के कुहर ने एड्स के एक रोगी राजेश रेखवार और मोती को धारा 302 (हत्या) और 380 (चोरी) के तहत सजा सुनाई. अदालत ने दोनों पर तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी किया.
दोनों ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी के पुत्र पुष्किन चंद्रा और उसके दोस्त कुलदीप की 13-14 अगस्त 2004 की रात को दक्षिणी दिल्ली के आनंद लोक इलाके में चंद्रा के आवास पर हत्या कर दी थी.
अभियुक्तों ने पुष्किन और कुलदीप पर 30 से ज्यादा प्रहार किए जो उनका कथित तौर पर शोषण किया करते थे. बहरहाल अदालत ने दो सहअभियुक्तों मुन्ना और जयकिशोर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. उन पर साक्ष्यों को नष्ट करने और मृतकों से लूटी गई संपत्ति को अपने पास रखने का आरोप था.
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि यूएनडीपी में काम करने वाला पुष्किन (38) समलैंगिक था और समलैंगिक दोस्तों की निर्वस्त्र तस्वीरें खींचता था. इससे पहले लोक अभियोजक देवेंद्र कुमार ने अभियुक्तों के लिए मौत की सजा की मांग की और कहा कि उन्होंने पूर्व नियोजित योजना और बर्बर तरीके से दोनों की हत्या की. अभियोजक ने कहा, ‘चाकू से 30 से ज्यादा वार किए गए.
अपराध की प्रकृति विरलतम श्रेणी में आती है और इसलिए मौत की सजा दी जानी चाहिए.’ बहरहाल नरमी बरतने का आग्रह करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि राजेश एड्स का रोगी है और उसकी पत्नी भी इस घातक बीमारी से पीड़ित है.
अदालत ने अपने फैसले में परिस्थितिजनक साक्ष्यों पर विश्वास किया क्योंकि घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था. अभियुक्त की सूचना पर चोरी गये लेखों और एक एटीएम केंद्र के वीडियो फुटेज की बरामदगी से सजा तय की गई. अभियोजन पक्ष ने 37 गवाहों से पूछताछ की जिसमें दो लोग घटना की रात अभियुक्त के साथ देखे गए थे.