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प्रोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर संसद में हंगामा

संविधान में 117वां संशोधन कर प्रोन्नति में आरक्षण के प्रावधान के लिए लाए गए विधेयक पर गुरुवार को संसद के उच्च सदन में समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने गुरुवार को फिर हंगामा किया. इस विधेयक पर दो क्षेत्रीय दल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और सपा के बीच संघर्ष खुलकर सामने आया.

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संविधान में 117वां संशोधन कर प्रोन्नति में आरक्षण के प्रावधान के लिए लाए गए विधेयक पर गुरुवार को संसद के उच्च सदन में समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने गुरुवार को फिर हंगामा किया. इस विधेयक पर दो क्षेत्रीय दल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और सपा के बीच संघर्ष खुलकर सामने आया.

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हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कई बार थोड़ी-थोड़ी देर के लिए स्थगित की गई. सपा सदस्यों ने अंतत: सदन का बहिष्कार किया.

राज्यसभा में इससे पहले सपा नेताओं ने सभापति हामिद अंसारी और सदन की गरिमा में अपनी आस्था जताई, लेकिन तुरंत बाद वे फिर शोर-शराबा करने लगे, जिससे नाराज उपसभापति पी.जे. कुरियन ने सपा के एक सदस्य को सदन से चले जाने को कहा.

भोजनावकाश के तुरंत बाद उच्च सदन में कार्यवाही शुरू होने के बाद सपा के नेता यह कहकर नारे लगाने लगे कि वे सरकारी नौकरियों में आरक्षण के आधार पर प्रोन्नति नहीं चाहते. जब हंगामा शांत होने का कोई लक्षण नहीं दिखाई दिया तब कुरियन ने 10 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी.

कार्यवाही फिर शुरू होने पर सपा के कई नेता सभापति के आसन के समीप एकत्र हो गए और फिर नारेबाजी करने लगे.

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गुस्साए कुरियन ने सपा नेताओं राम गोपाल यादव और नरेश अग्रवाल से कहा कि वे अपनी पार्टी के सदस्य अरविंद कुमार सिंह को सदन से बाहर ले जाएं.

उन्होंने कहा, 'यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो मैं मार्शलों को बुलाने के लिए बाध्य हो जाऊंगा.'

जब सपा के सदस्यों ने नारेबाजी जारी रखी तब कुरियन ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित किए जाने की घोषणा की.

इससे पहले, सुबह में बसपा प्रमुख मायावती द्वारा बुधवार को हामिद अंसारी पर प्रहार किए जाने पर अफसोस जताते हुए समूचे सदन ने सभापति में अपनी आस्था प्रकट की.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सदन के सभापति को सम्मान दिया जाना आवश्यक है.

प्रधानमंत्री ने सभापति से कहा, 'मैं यह अवगत कराना चाहता हूं कि हमारी सरकार आप में पूरा आस्था और आपके लिए सर्वोच्च सम्मान की भावना रखती है. सभापति को सम्मान दिए जाने से ही सदन की गरिमा बरकरार है.'

बाद में मायावती, सदन में विपक्ष के नेता अरुण जेटली तथा अन्य सदस्यों ने भी प्रधानमंत्री के वक्तव्य पर सहमति जताई.

मनमोहन सिंह ने कहा कि सभापति के प्रति सम्मान सुनिश्चित करने के लिए सरकार सदन के सभी गुटों के साथ मिलकर काम करेगी.

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मायावती ने बुधवार को सीधे सभापति पर आक्षेप कर सबको चौंका दिया था. गुरुवार को उन्होंने पूर्व में दी गई अपनी टिप्पणियों को अनुचित बताते हुए कहा कि वह सभापति का सम्मान करती हैं.

वैसे उन्होंने इसके लिए सीधे तौर पर माफी नहीं मांगी. मायावती ने कहा कि उन्हें सभापति में विश्वास है. उन्होंने उनसे अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों को पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने वाला विधेयक पारित कराए जाने की मांग की.

मायावती ने कहा, 'मैं आपका सम्मान करती हूं और मैं आपके पद का सम्मान करती हैं लेकिन माननीय सभापति यह दुखद है कि न बीते सत्र में और न ही इस सत्र में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण का विधेयक पारित कराया गया.'

उन्होंने कहा, 'मुझे आपमें विश्वास है कि आप सदन की कार्यवाही चलाने व विधेयक पारित कराए जाने के लिए रास्ता निकाल लेंगे.'

उधर, सपा ने केंद्र सरकार पर गुरुवार को अपने दो सदस्यों को जबरन बाहर निकलवाने का आरोप लगाया और अन्य दलों की भी निंदा की कि इस मुद्दे पर उन्होंने उसका साथ नहीं दिया.

सपा के राज्यसभा से बहिर्गमन के बाद सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा, 'यह पूरी तरह असंवैधानिक है. सभापति ने नियम के तहत हमारे सदस्यों का नाम लिया. इसके बाद यदि हम सदन से बाहर नहीं निकलते तो मार्शल को बुलाया जाता.

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सपा सदस्य नौकरी में प्रोन्नति के लिए दलितों को आरक्षण देने का प्रावधान करने वाले विधेयक का विरोध कर रहे हैं.

यादव ने कहा कि केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री के कहने पर उन्हें संसद के उच्च सदन से बाहर निकालने के लिए कहा गया.

उन्होंने कहा, 'पहले दो सपा सदस्यों का नाम लिया गया, जिसके बाद मंत्री ने सभापति से सभी सपा सदस्यों का नाम लेने के लिए कहा. इसलिए हमें सदन से निकलना पड़ा.'

एक अन्य सपा नेता मुनव्वर सलीम ने कहा, 'यह विधेयक सामाजिक न्याय नहीं लाएगा, बल्कि इससे समाज में खाई बढ़ेगी. यह बसपा का विधेयक है और कांग्रेस इसे पारित कराने में मदद दे रही है.'

सपा ने हालांकि इसके बावजूद कहा कि वह केंद्र की कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से समर्थन वापस नहीं लेगी.

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