15 जुलाई की वार्ता के बिना किसी प्रगति के समापन के बीच पाकिस्तान ने कहा है कि वह एक कदम के बदले दो कदम बढ़ने के लिए तैयार है क्योंकि वह भारत के साथ रिश्तों को आगे बढ़ाना चाहता है.
पाकिस्तान ने इसके साथ ही कहा है कि दोनों देशों को एक दूसरे के विचारों पर ध्यान देना चाहिए. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ‘समग्र और अनवरत’ वार्ता पर जोर देते हुए कहा कि कश्मीर मुद्दा इस तरह की किसी वार्ता का एक हिस्सा होना चाहिए और ‘चुनिंदा’ रुख से फायदा नहीं होगा.
कुरैशी ने कहा, ‘यह सही है कि हम वार्ता के भावी रूप का खाका नहीं बना पाए हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम किसी बंद गली में पहुंच गए हैं.’ उन्होंने यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि दोनों देश के बीच के रिश्तों की खाई पाटने की 15 जुलाई की कोशिशों को विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा के साथ वार्ता के दौरान गंभीर झटका लगा है.
इस्लामाबाद में दोनों देशों के बीच वार्ता का समापन आतंकवाद और कश्मीर पर मतभेद के तल्ख लहजे पर हुआ. कुरैशी ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि उच्चतम राजनीतिक स्तर पर दोनों पक्षों की साझी इच्छा वार्ता में शरीक होने की है.’ पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि हम रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए एक अतिरिक्त कदम बढ़ाने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमें एक दूसरे के मुद्दों पर परस्पर ध्यान देने की जरूरत है. भारत की तरह पाकिस्तान में भी लोकतंत्र है. हम अपने लोकमत को नजरअंदाज नहीं कर सकते जो कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहुत मजबूत है.’ उन्होंने किसी ‘चुनिंदा’ रुख का विरोध करते हुए कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं हम कश्मीर पर चर्चा करते रहे हैं यह कतई नया नहीं है कि हमने उसे चर्चा में शामिल किया.’
कुरैशी ने भूटान की राजधानी में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पाकिस्तानी समकक्ष यूसुफ रजा गिलानी के बीच बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान ‘थिंपू भावना के अनुरूप’ भारत से वार्ता चाहता है. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा, ‘पाकिस्तान में हम भारत के साथ अपने रिश्तों को आगे बढ़ते देखना चाहेंगे. आइए मिल कर काम करें.’