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राफेल की लागत को अब गोपनीय बता रही सरकार 2016 में राज्यसभा में बता चुकी है कीमत

दिलचस्प बात यह है कि साल 2016 में खुद सरकार के एक मंत्री राज्यसभा में इस सौदे के आकार और प्रति विमान कीमत की जानकारी दे चुके हैं.

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फ्रांस से राफेल विमान सौदे पर विवाद
फ्रांस से राफेल विमान सौदे पर विवाद

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फ्रांस से हुए राफेल विमान सौदे को लेकर देश में जमकर राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी घपले का आरोप लगाते हुए इस सौदे को लेकर हमलावर हो गए हैं, तो मोदी सरकार गोपनीयता के समझौते का हवाला देते हुए यह कह रही है कि वह इन विमानों की कीमत नहीं बता सकती. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि साल 2016 में खुद सरकार के एक मंत्री राज्यसभा में इस सौदे के आकार और प्रति विमान कीमत की जानकारी दे चुके हैं.

गोपनीयता सवालों के घेरे में

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार सरकार अब फ्रांस से हुए 36 राफेल विमानों के करीब 59,000 करोड़ रुपये (7.87 अरब यूरो) के इस सौदे का पूरा वित्तीय विवरण देने से सरकार इंकार कर रही है. सरकार का कहना है कि फ्रांस के साथ हुए गोपनीयता के समझौते की वजह से वह इसकी जानकारी नहीं दे सकती. लेकिन गोपनीयता के इस दावे पर सवालिया निशान इसलिए लग जाते हैं, क्योंकि खुद सरकार के एक मंत्री सुभाष भामरे सितंबर 2016 में इसका विवरण राज्यसभा में दे चुके हैं.

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राफेल सौदे के विवरण गोपनीय: रक्षा मंत्री

बता दें कि रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद को बताया कि फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान के जो सौदे हुए हैं, वह दो देशों की सरकारों के बीच का समझौता है. इसमें गुप्त सूचनाएं हैं. इसलिए सौदे से संबंधित विवरण प्रकट नहीं किए जा सकते हैं. प्रति विमान लागत के बारे में सवाल पर राज्यसभा में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने लिखित जवाब में कहा, 'राफेल विमानों की खरीद के लिए भारत और फ्रांस के बीच हुए अंतर-सरकारी समझौते (आइजीए) के अनुच्छेद 10 की वजह से इसके बारे में वर्गीकृत जानकारी और परस्पर आदान-प्रदान की गई सामग्री दोनों देशों के बीच 2008 में हए सुरक्षा समझौते के प्रावधानों के तहत आती हैं.'

एक विमान 670 करोड़ का!  

लेकिन रक्षा मंत्रालय के ही जूनियर मंत्री सुभाष भामरे ने राफेल सौदे में प्रति विमान लागत के बारे में एक सवाल के राज्यसभा में दिए गए लिखित जबाब में 18 नवंबर, 2016 को कहा था, 'फ्रांस सरकार के साथ 23, सितंबर, 2016 को 36 राफेल विमानों और उनके लिए जरूरी उपकरणों, सेवाओं और हथियारों की खरीद के लिए आईजीए पर दस्तखत किए गए हैं. हर राफेल विमान की कीमत करीब 670 करोड़ रुपये की है और सभी विमानों की आपूर्ति अप्रैल 2022 तक हो जाएगी.' इस प्रकार यदि राफेल के साथ हथियारों, उपकरणों आदि के पूरे पैकेज की बात करें तो एक विमान पर करीब 1,640 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इसमें जरूरी स्पेयर पार्ट, लॉजिस्ट‍िक सपोर्ट, सेवाएं आदि शामिल होंगी.

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घोटाले का आरोप

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस सौदे को अपारदर्शी बताते हुए एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है. राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर घपले तक का आरोप लगाया है.

राहुल ने कहा कि मोदी जी खुद ये समझौता करने पेरिस गए थे, आखिर देश को क्यों नहीं बताया जा रहा है कि डील कितने में हुई. राहुल ने आरोप लगाया कि मोदी जी ने पेरिस जाकर राफेल समझौते में बदलाव किया. देश को नहीं बताया जा रहा कि राफेल विमान कितने में खरीदा गया, इसका मतलब है कि घोटाला हुआ है.

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