पहले तय किए गए SPICE 2000 बमों के लिए ट्रायल की जरूरत है. अगर उन्हें फाइटर जेट के साथ समन्वित किया जाता तो राफेल के ऑपरेशनल इस्तेमाल में देरी होती.
लीबिया, अफगानिस्तान, इराक में टेस्ट हो चुका है हैमर
राफेल को पहले हैमर और अन्य मिसाइलों के साथ हवाई हमलों के लिए लीबिया, अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में इस्तेमाल किया गया है. अंबाला में 29 जुलाई को लैंड होने वाले पहले पांच राफेल के भारतीय संस्करण में ये मिसाइल उपलब्ध होगी.
SPICE 2000 के ट्रायल में वक्त लगेगा
एक अधिकारी ने बताया कि SPICE 2000 के एकीकरण और ट्रायल में कुछ समय लगेगा जिससे राफेल को ऑपरेशनल स्थिति में रखने के लिए विलंब होता. वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए इसे हैमर से लैस करने का फैसला किया गया क्योंकि इनका पहले से राफेल में इस्तेमाल किया जा चुका है.
सूत्रों ने साफ किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि स्पाइस को हैमर से बदल दिया गया है. बता दें कि पिछले साल पाकिस्तान में बालाकोट आतंकी शिविरों पर हवाई हमलों के दौरान मिराज लड़ाकू विमानों ने इजरायल निर्मित SPICE 2000 बमों का इस्तेमाल किया था.
स्पाइस और हैमर की क्षमताएं अलग
सूत्रों ने कहा कि स्पाइस और हैमर दोनों की अलग-अलग क्षमताएं हैं, लेकिन स्पाइस का तुरंत इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह राफेल पर टेस्ट नहीं किया गया है.
हैमर (HAMMER) का अर्थ है- (Highly agile and manoeuvrable munition extended range यानि फुर्तीली और परिवर्तनशील हथियार विस्तृत रेंज. यह एक रॉकेट एनेबल्ड हवा से जमीन पर मार करने वाली सटीक मिसाइल है जो ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 60 किमी की रेंज के लिए अनुकूल है.
अधिकारियों का कहना है कि राफेल अंबाला में जैसे लैंड करता है, वो ऑपरेशन्स के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा. एक अधिकारी ने बताया, "राफेल के लिए पायलटों और चालक दल को व्यापक तौर पर ट्रेंड किया गया है. पिछले साल अक्टूबर से अब तक कई बैच ऑफिसर राफेल की ट्रेनिंग के लिए फ्रांस जा चुके हैं.”
राफेल सोमवार को फ्रांस से उड़ान भर चुका है और मंगलवार 29 जुलाई को अंबाला में लैंड करने से पहले यूएई में एक स्टॉपओवर होगा.
हैमर के अलावा, राफेल शक्तिशाली मीटिअर और स्कैल्प मिसाइलों से लैस है. यह भारतीय वायु सेना की हवाई हमले की क्षमता के साथ हवा में वर्चस्व को बढ़ाएगा.
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मीटिअर 150 किमी से अधिक की रेंज वाली हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. वहीं स्कैल्प लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है जिसकी रेंज 200 किमी तक होती है और जिसे विमान से जमीन या पानी में स्थिर लक्ष्यों को हिट करने के लिए लॉन्च किया जा सकता है. इसमें MICA मिसाइलें भी होंगी, जिनका उपयोग हवा से हवा में मार के लिए किया जा सकता है.
29 जुलाई को वायुसेना के बेड़े में होगा शामिल
भारतीय वायु सेना के मुताबिक पांच राफेल जेट विमानों का पहला जत्था 29 जुलाई को भारत में अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर बेड़े में शामिल होगा, ये मौसम की स्थिति पर निर्भर करेगा. फाइनल इंडक्शन सेरेमनी अगले महीने के दूसरे पखवाड़े में होगी.
दो स्क्वाड्रन में शामिल 36 जेट अगले दो वर्षों में भारतीय वायु सेना का हिस्सा होंगे. पहला स्क्वाड्रन पश्चिमी क्षेत्र के अंबाला से ऑपरेशनल होगा. वहीं दूसरा पश्चिम बंगाल में हाशिमारा में तैनात होगा जिससे चीन के खतरे से निपटा जा सके.
राफेल में भारत की जरूरतों के मुताबिक कई खास बदलाव किए गए हैं. भारतीय वायु सेना के कर्मियों को ऑपरेशन और रखरखाव जैसे कई पहलुओं पर ट्रेंड किया गया है.
2016 में सरकार ने समझौते के तहत फ्रांस से 36 राफेल 59,000 करोड़ रुपए की लागत से खरीदने का फैसला किया. इससे एक राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया और विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया गया कि राफेल खरीद का समझौता बढ़ी हुई कीमतों पर किया गया.