केंद्र सरकार ने राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया है. इसमें सरकार अपने पुराने रुख और दलीलों पर कायम है. केंद्र सरकार ने कहा है कि सुरक्षा संबंधी गोपनीय दस्तावेजों के सार्वजनिक खुलासे से देश की संप्रभुता और आस्तित्व पर खतरा है. सुप्रीम कोर्ट के राफेल सौदे के गोपनीय दस्तावजों से परीक्षण से रक्षाबलों की तैनाती, परमाणु प्रतिष्ठानों, आतंकवाद निरोधक उपायों आदि से संबंधित गुप्त सूचनाओं का खुलासा होने की आशंका बढ़ गई है.
सरकार ने कहा कि 14 दिसंबर, 2018 को राफेल की सरकारी खरीद की जांच की मांग वाली सभी याचिकाओं को खारिज करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही था. हलफनामे में सरकार ने कहा कि राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के जरिए सौदे की जांच की कोशिश की गई. मीडिया में छपे तीन आर्टिकल लोगों के विचार हैं ना कि सरकार का अंतिम फैसला. ये तीन लेख सरकार के पूरे आधिकारिक रुख को व्यक्त नहीं करते.
केंद्र ने कहा कि सीलबंद नोट में सरकार ने कोई गलत जानकारी सुप्रीम कोर्ट को नहीं दी. CAG ने राफेल के मूल्य संबंधी जानकारियों की जांच की है और कहा है कि यह 2.86% कम है.
केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट जो भी मांगेगा सरकार राफेल संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए तैयार है. राफेल पर पुनर्विचार याचिकाओं में कोई आधार नहीं है, इसलिए सारी याचिकाएं खारिज की जानी चाहिए.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे में कथित घोटाले की याचिका पर फैसला सुनाते हुए इस प्रक्रिया को सही बताया था. जिसके बाद केंद्र सरकार दावा कर रही थी कि उन्हें इस मसले पर सर्वोच्च अदालत से क्लीन चिट मिली है. लेकिन इसके बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, इसमें एक अखबार द्वारा छापे गए दस्तावेज, सरकार द्वारा अदालत में जमा किए गए गलत कागज़ातों का हवाला दिया था.