राफेल डील को भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाकर कांग्रेस केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेर सड़क से संसद तक घेर रही है. अब राफेल डील का विवाद देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में जा पहुंचा है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई शुरू होनी थी जो याचिकाकर्ता की तबीयत खराब होने के बाद टल गई.
अब इस मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से खराब तबीयत का हवाला देकर इस मामले की सुनवाई टालने की अपील की थी. उसने कोर्ट से कहा है कि वह इस संबंध में और दस्तावेज उपलब्ध कराएगा. इसके बाद मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर तक के लिए टाल दी गई.
ख़ास बात ये है कि इस मामले की सुनवाई मनोनीत चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे हैं. इसके अलावा याचिकाकर्ता ने मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पक्षकार बनाया है.
याचिका के अनुसार, दूसरे देशों के मुकाबले भारत को ये विमान काफी ज्यादा कीमत में बेचने का करार हुआ है. ऐसे में सरकार ने देश के खजाने को नुकसान और अपने चहेतों और उनकी कंपनियों के हितों को लाभ पहुंचाया है. याचिका में विमानों के सौदे को लेकर किए गए करार को रद्द करने की मांग की गई है.
याचिका में आरोप लगाया गया कि दो देशों के बीच हुए इस करार में भ्रष्टाचार हुआ है. पहली बात तो ये करार संविधान के अनुच्छेद 253 के मुताबिक नहीं हुआ है. ये अनुच्छेद संसद के जरिये ऐसे सौदों की मंजूरी की पूरी प्रक्रिया बताता है, लेकिन एनडीए सरकार ने संसद के माध्यम से ये सौदेबाजी का करार नहीं किया है.
यह सब कुछ संसद के संज्ञान में लाए बिना ही किया गया है. लिहाजा भ्रष्टाचार के इल्जाम में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर स्वतंत्र एजेंसी से सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में जांच कराई जाए. भ्रष्टाचार साबित होने पर ये रकम इन पक्षकारों से वसूली जाए.