राफेल विमान डील (Rafale Deal) विवाद पर देश में सड़क से संसद और सुप्रीम कोर्ट तक हंगामा मचा हुआ है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष मोदी सरकार पर इस डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा है.
फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने समाचार एजेंसी ANI को दिए गए इंटरव्यू में इस डील पर उठ रहे हर एक सवाल का जवाब दिया. इस इंटरव्यू में उन्होंने राहुल गांधी द्वारा लगाए गए हर आरोप को झूठा करार दिया.
राहुल को जवाब- मैं झूठ नहीं बोलता
एरिक ट्रैपियर ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वह बिल्कुल निराधार हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने दसॉल्ट और रिलायंस के बीच हुए ज्वाइंट वेंचर (JV) के बारे में सरासर झूठ बोला है. उन्होंने कहा कि डील के बारे में जो भी जानकारी दी गई है वह बिल्कुल सही है, क्योंकि वे झूठ नहीं बोलते हैं.
Have 7 years to perform our offset. During the first 3 years, we are not obliged to say with who we are working. Already settled agreement with 30 companies, which represents 40% of total offset obligation as per contract. Reliance is 10% out of the 40: Dassault CEO Eric Trappier pic.twitter.com/beWbr5GFBS
— ANI (@ANI) November 13, 2018
शुरुआत से ही भारत से रहे संबंध
एरिक ट्रैपियर ने बताया कि उनकी कंपनी और कांग्रेस का रिश्ता काफी पुराना रहा है, उनकी पहली डील 1953 में जवाहर लाल नेहरु के रहते हुए हुई थी. भारत में हमारी डील किसी पार्टी से नहीं बल्कि देश के साथ है, हम लगातार भारत सरकार को फाइटर जेट मुहैया कराते हैं.
पैसा रिलायंस नहीं ज्वाइंट वेंचर में लगाया
राफेल डील में रिलायंस के साथ करार पर उन्होंने कहा कि हमने जो पैसा इन्वेस्ट किया है वह रिलायंस नहीं बल्कि ज्वाइंट वेंचर में है. उन्होंने कहा कि इस वेंचर में रिलायंस ने भी पैसा लगाया है, हमारे इंजीनियर इंडस्ट्रीयल पार्ट को लीड करेंगे. इससे रिलायंस को भी एयरक्राफ्ट बनाने का एक्सपीरियंस मिलेगा. गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि दसॉल्ट ने रिलायंस को 284 करोड़ रुपये मदद के लिए दिए थे.
ऑफसेट में किसका-कितना हिस्सा
उन्होंने साफ किया कि ज्वाइंट वेंचर में 49 फीसदी हिस्सा दसॉल्ट और 51 फीसदी हिस्सा रिलायंस का है. इसमें कुल 800 करोड़ रुपये का इन्वेस्ट होगा, जिसमें दोनों कंपनियां 50-50 की हिस्सेदार होंगी. दसॉल्ट के सीईओ ने कहा कि ऑफसेट को जारी करने के लिए हमारे पास 7 साल थे, जिसमें शुरुआती 3 साल में हम बाध्य नहीं हैं कि ऑफसेट के साथी का नाम बताएं. उसके बाद 40 फीसदी हिस्सा 30 कंपनियों को दिया गया, इसमें से 10 फीसदी रिलायंस को दिया गया.
राफेल का आखिर कितना दाम?
राफेल के दाम के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ते हुए उन्होंने कहा कि जो अभी एयरक्राफ्ट मिल रहे हैं, वह करीब 9 फीसदी सस्ते हैं. उन्होंने कहा कि जो 36 विमान का रेट है, वह मौजूदा 18 के बिल्कुल समान है. ये दाम दोगुना हो सकता था, लेकिन ये समझौता सरकार से सरकार के बीच का है इसलिए दाम नहीं बढ़ाया गया. बल्कि दाम 9 फीसदी सस्ता भी हुआ. सीईओ ने बताया कि उड़ने के लिए तैयार स्थिति में 36 कॉन्ट्रैक्ट वाले राफेल का दाम 126 कॉन्ट्रैक्ट वाले दाम से काफी सस्ता है.
HAL से क्यों टूटा करार?
HAL के साथ करार टूटने पर उन्होंने कहा कि जब 126 राफेल विमान के करार की बात चल रही थी, तब HAL से करार की ही बात थी. लेकिन डील सही तरीके से आगे बढ़ती तो करार HAL को ही मिलता. लेकिन 126 विमान का करार सही नहीं हुआ इसलिए 36 विमान के कॉन्ट्रैक्ट पर बात हुई. जिसके बाद ये करार रिलायंस के साथ आगे बढ़ा.
उन्होंने बताया कि आखिरी दिनों में HAL ने खुद कहा था कि वह इस ऑफसेट में शामिल होने का इच्छुक नहीं हैं. और रिलायंस के साथ करार का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया. एरिक बोले कि इस दौरान वह अन्य कंपनियों से करार के बारे में भी सोच रहे थे, जिसमें टाटा ग्रुप जैसे नाम शामिल थे. लेकिन उस समय हम निर्णय नहीं ले पाए, बाद में रिलायंस के साथ जाना तय हुआ.
क्या हथियारों से लैस होगा विमान?
जब उनसे पूछा गया कि क्या इन विमानों के साथ हथियार भी आएंगे, तो उन्होंने साफ किया कि ये विमान सभी उपकरणों से लैस होंगे. लेकिन इसमें कोई हथियार नहीं होंगे. हथियार को नए अन्य कॉन्ट्रैक्ट में भेजा जाएगा.