राफेल पर नए खुलासे से एक बार फिर से सियासी घमासान मचा हुआ है. मीडिया में ताजा खुलासे दावा किया गया है कि फ्रांस से राफेल डील फाइनल करने में प्रधानमंत्री कार्यालय का दखल था. एक अखबार में छपे इस खबर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर कहा है कि चौकीदार चोर है. संसद में कांग्रेस ने इस मामले में जेपीसी गठन करने की मांग की है.
केन्द्र सरकार पर आरोप है कि उसने फ्रांस सरकार से बिना सॉवरेन गारंटी लिए ही इस डील को मंजूरी दे दी थी. हालांकि समाचार एजेंसी एएनआई ने एक पत्र जारी किया है. ये पत्र फ्रांस के तत्कालीन प्रधानमंत्री मैनुअल वॉल्स द्वारा 8 सितबंर 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा गया था. इस पत्र में फ्रांस के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने लिखा है कि उनकी सरकार भारत की फर्म द्वारा रखी गई शर्तों को पूर्ण रूप से मानने को बाध्य होगी.
फ्रांस के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी को लिखा था, "मैं इस बात की पूर्ण रूप से पुष्टि करता हूं कि फ्रेंच रिपब्लिक की सरकार वो सब कुछ करने को प्रतिबद्ध है जिससे दसॉ एविएशन और एमबीडीए ऑफ फ्रांस इस दायित्व को पूर्ण रूप से पूरा करे. निर्माता कंपनियां वो सब कुछ करें जो इन दो सरकारों के बीच हुए इस समझौते को पूरा करने के लिए जरूरी हो."
फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री ने इस चिट्ठी में लिखा था कि फ्रांस की सरकार इस बात को लेकर पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है कि फ्रांसीसी कंपनियां अपने दायित्वों का पूरी तरह से पालन करे. उन्होंने पत्र में लिखा, "जैसा कि दोनों देशों की बातचीत करने वाली टीम और बाद में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच तय हुआ है, मैं इस बावत फ्रांसीसी सरकार की पूर्ण प्रतिबद्धता को बताना चाहूंगा, खासकर फ्रांस के उद्योगपतियों द्वारा उनके दायित्वों को पूरा करने के संबंध में."The then French Prime Minister Manuel Valls had written to Prime Minister Narendra Modi in 2016 saying that 'their govt would fully back the obligations made by their firms in the contract'. #RafaleDeal pic.twitter.com/G4Sz4ejzzO
— ANI (@ANI) February 8, 2019
इस पत्र में आगे यह भी लिखा गया है कि अगर भविष्य में फ्रांसीसी कंपनियों द्वारा इस डील को पूरा करने में कोई बाधा आती है, तो इन कंपनियों को भारत सरकार से मिले सारे भुगतान को वापस करने होंगे. ऐसी स्थिति में फ्रांस सरकार वो सभी जरूरी कदम उठाएगी जिससे कि भारत सरकार द्वारा किए गए भुगतान उसे जल्द से जल्द वापस मिल जाए.
बता दें कि शुक्रवार को जैसे ही रक्षा मंत्रालय की नोटिंग मीडिया में छपी. इस नोटिंग में कहा गया था कि पीएमओ राफेल डील पर फ्रांस सरकार से समानांतर बात कर रहा है. तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार के हवाले से इस नोटिंग में कहा गया है कि पीएमओ द्वारा की गई समानांतर बातचीत से राफेल डील पर भारतीय वार्ताकार दल की स्थिति कमजोर हुई है.
इस रिपोर्ट के सामने आते ही राहुल गांधी पूरे लाव-लश्कर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए. राहुल ने कहा कि ये नए सबूत बताते हैं कि मोदी घोटाले के गुनहगार हैं. राहुल ने कहा कि पीएम ने अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ का फायदा पहुंचाया है. रक्षा मंत्रालय की कथित नोटिंग के बाद फ्रांस के पूर्व पीएम की ये चिट्ठी सामने आई है.