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राफेल के फैसले पर पुनर्विचार और खुली अदालत में सुनवाई के लिए SC पहुंची 'तिकड़ी'

Rafale Deal issue पर तीन लोगों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि फैसले में कई त्रुटियां हैं. कोर्ट का फैसला सरकार की ओर से एक सीलबंद अहस्ताक्षरित नोट में किए गए गलत दावों पर निर्भर है जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है. इस याचिका में यह भी कहा गया है कि मामले में फैसला सुरक्षित रखे जाने के बाद कई नए तथ्य प्रकाश में आए हैं.

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SC में राफेल के फैसले पर पुनर्विचार याचिका (फाइल फोटो/PTI)
SC में राफेल के फैसले पर पुनर्विचार याचिका (फाइल फोटो/PTI)

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राफेल डील को लेकर देश में विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. कांग्रेस इस विवादित डील को लेकर संसद में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग कर रही है तो पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा समेत अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने बुधवार को राफेल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है. साथ ही खुली अदालत में पुनर्विचार सुनवाई की मांग की है. 

इन तीन लोगों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि फैसले में कई त्रुटियां हैं. सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार की ओर से एक सीलबंद बिना दस्तखत वाले नोट में किए गए गलत दावों पर निर्भर है जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है. इस याचिका में यह भी कहा गया है कि मामले में फैसला सुरक्षित रखे जाने के बाद कई नए तथ्य प्रकाश में आए हैं, जिनके आधार पर मामले की जड़ तक जाने की जरूरत है.

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कोर्ट खारिज कर चुका है पहले की याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में राफेल डील पर जांच से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. राफेल की कीमत पर कोर्ट ने कहा था, 'कीमत से जुड़े विवरण कैग (सीएजी) से साझा किए जा चुके हैं और कैग की रिपोर्ट की जांच-परख पीएसी कर चुकी है.' कोर्ट के फैसले के बाद पीएसी (लोक लेखा समिति) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ऐसी किसी रिपोर्ट के सामने आने से इनकार किया और लोक लेखा समिति से अनुरोध किया कि अटॉर्नी जनरल और सीएजी को यह बात पूछने के लिए तलब करें कि राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट कब संसद में पेश की गई.

केंद्र की सफाई

सीएजी की रिपोर्ट पीएसी के पास भेजे जाने को लेकर उठे विवाद पर केंद्र सरकार ने अपनी सफाई पेश की और कहा कि हमने कोर्ट को गुमराह नहीं किया, बल्कि हमारी दलील को कोर्ट ने गलत समझा. केंद्र ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के बारे में संदर्भ है. सरकार का कहना है कि उसके नोट की अलग-अलग व्याख्या के कारण यह विवाद पैदा हुआ.

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केंद्र ने अपने हलफनामे में साफ कर दिया कि वह यह नहीं कह रहा कि कैग रिपोर्ट का पीएसी ने परीक्षण किया था या संपादित हिस्से को संसद के सामने रखा गया.

इस बीच, राफेल डील को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बुधवार को एक ऑडियो जारी किया. सुरजेवाला ने दावा किया कि कुछ ही दिन पहले गोवा कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने राफेल फाइलों के बारे में कहा था कि कोई उनका कुछ नहीं कर सकता, सारी फाइलें उनके पास हैं.

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