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राफेल पर घिरी मोदी सरकार को शरद पवार का मिला 'साथ', शाह बोले- राहुल उनसे सीखें

यूपीए में सहयोगी रहे शरद पवार ने राफेल मामले पर एक ऐसा बयान दिया है जिससे मोदी सरकार को काफी राहत मिली है. पवार ने कहा है कि लोगों को पीएम मोदी की नीयत पर कोई शक नहीं है. उन्होंने कांग्रेस की विमान के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की मांग को नाजायज बताया है.

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शरद पवार और नरेंद्र मोदी. photo getty images
शरद पवार और नरेंद्र मोदी. photo getty images

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राफेल डील पर घिरी मोदी सरकार को कांग्रेस के ही सहयोगी रहे एक कद्दावर नेता का साथ मिल गया है. पूर्व रक्षामंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने राफेल पर मोदी सरकार को एक तरह से क्लीन चिट देते हुए कहा कि लोगों को पीएम मोदी की नीयत पर कोई शक नहीं है. उन्होंने राफेल के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की कांग्रेस की मांग को नाजायज ठहरा दिया.

एक मराठी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में पवार ने कहा कि मुझे लगता है कि लोगों को मोदी सरकार की नीयत पर कोई शक नहीं है. उन्होंने कहा कि राफेल विमान के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा करने की विपक्ष की मांग ठीक नहीं है. हालांकि यूपीए सरकार में कृषि मंत्री रहे पवार ने ये भी कहा कि राफेल विमान की कीमत बताने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए.

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पवार के इस बयान को बीजेपी ने भुनाने की कोशिश शुरू कर दी है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट कर कहा है कि पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार जी ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हित में सच बोल रहे हैं. शाह इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने राहुल गांधी पर तंज करते हुए कहा कि उन्हें कम के कम अपने गठबंधन के पुराने सहयोगी रहे शरद पवार से ही बुद्धिमानी सीखनी चाहिए.

इससे पहले मंगलवार को भी शरद पवार ने कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार को राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत का खुलासा करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह कोई तकनीकी विषय नहीं है. पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि जहां तक इसके तकनीकी पहलुओं की बात है तो राफेल विमान देश के रक्षा क्षेत्र के लिए बहुत उपयोगी है.

राफेल सौदे के बारे में कुछ नई जानकारियां सामने आई हैं. सूत्रों ने दावा किया है कि मोदी सरकार का राफेल सौदा यूपीए से 1.6 अरब डॉलर सस्ता है. लेकिन साथ ही यह खबर भी मिली है कि रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीए सरकार के सौदे पर आपत्ति की थी और इसको लेकर रक्षा मंत्रालय में मतभेद थे.

सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय में तत्कालीन संयुक्त सचिव ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए कैबिनेट नोट को आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया था और इस पर डिसेंट नोट यानी असंतोष की टिप्पणी की थी. लेकिन उनके इस नोट को खारिज करते हुए कैबिनेट नोट को आगे बढ़ा दिया गया.

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उनका यह डिसेंट नोट बेंचमार्क कीमत को लेकर था. एक वर्ग बेंचमार्क कीमत 500 करोड़ यूरो तय करना चाहता था, लेकिन इस बैठक में अंतत: सौदे की बेंचमार्क कीमत 820 करोड़ यूरो तय की गई. लेकिन जब इसके आधार पर विमान खरीदने को मंजूरी देते हुए कैबिनेट नोट को आगे बढ़ाया गया तो इसके विरोध में एक अफसर छुट्टी पर चले गए.

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