देश की सर्वोच्च अदालत शुक्रवार को इस बात पर फैसला करेगी की भारतीय वायु सेना के लिए फ्रांस से खरीदे जाने वाले अरबों रूपए के राफेल विमान डील की जांच की जाए या नहीं. इस लड़ाकू विमान खरीदने की डील की न्यायालय की निगरानी में जांच के लिए दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाया जाएगा.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी.
इस सौदे में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सबसे पहले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी. इसके बाद, एक अन्य अधिवक्ता विनीत ढांडा ने याचिका दायर कर शीर्ष अदालत की निगरानी में इस सौदे की जांच कराने का अनुरोध किया था.
इस सौदे को लेकर आप पार्टी के सांसद संजय सिंह और इसके बाद दो पूर्व मंत्रियों तथा भाजपा नेताओं यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी के साथ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक अलग याचिका दायर की थी.
इस याचिका में अनुरोध किया गया कि लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे में कथित अनियमितताओं के लिये सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए.
केन्द्र सरकार ने फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे का बचाव किया था और इनकी कीमत से संबंधित जानकारी सार्वजनिक करने की मांग का विरोध किया था.
भारत ने करीब 58,000 करोड़ रूपए की कीमत से 36 राफेल विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया है ताकि भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में सुधार किया जा सके.