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वायुसेना ने राफेल विमानों की जमकर की तारीफ, डील की आलोचना पर दिया जवाब

राफेल डील को लेकर देश में सियासी बवाल मचा हुआ है, विपक्षी दल कांग्रेस लगातार सरकार को घेरने के लिए देश के अलग अलग शहरों में प्रेस वार्ता कर रही है.

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एयर मार्शल, एस बी देव (फाइल फोटो)
एयर मार्शल, एस बी देव (फाइल फोटो)

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राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच वायुसेना ने डील की आलोचना करने वालों को खरी-खरी सुनाते हुए कहा है कि यह एक बेहतरीन विमान है, जो भारत को अभूतपूर्व युद्धक क्षमता प्रदान करेगा.

उपवायुसेना प्रमुख, एयर मार्शल एस बी देव ने राफेल डील से जुड़े सवालों के जवाब में कहा कि, राफेल सौदे की आलोचना करने वाले लोगों को निर्धारित मानदंडों और खरीद प्रक्रिया को समझना चाहिए. राफेल एक बेहतरीन विमान है. यह काफी सक्षम विमान है और वायुसेना इसे उड़ाने की प्रतीक्षा कर रही है.

उन्होंने कहा कि इन विमानों की आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होने वाली है, और वायुसेना में इसके शामिल होने से भारत को इस क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंदियों पर अभूतपूर्व बढ़त मिलेगी.

राफेल विमान सौदे को लेकर वायुसेना का रुख और भी स्पष्ट होगा, जब 12 सितंबर को '2035 तक वायुसेना का ढांचा' नाम से एक कार्यक्रम में राफेल सौदे से जुड़े अधिकारी शिरकत करेंगे. माना जा रहा है कि ये अधिकारी फ्रांस के साथ सितंबर, 2016 में हुए इस सौदे के हर पहलू से जुड़े सवालों का जवाब दे सकते हैं.

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बता दें कि इस सौदे में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी को फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन के साथ करार पर वार्ता करने वाले दल का प्रमुख बनाया था.

वायुसेना में हथियार प्रणाली एवं प्लेटफॉर्म से जुड़ी सभी नई खरीद उपवायुसेना प्रमुख की निगरानी में हुई है. वायुसेना के मौजूदा उप-प्रमुख और कारगिल युद्ध के हीरो एयरमार्शल रघुनाथ नांबियार भी इस सेमिनार को संबोधित कर सकते हैं. इस सेमिनार में उद्घाटन भाषण वायुसेना प्रमुख मार्शल बीएस धनोआ द्वारा दिए जाने की संभावना है.

बता दें कि कांग्रेस राफेल सौदे को लेकर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अक्सर घेरती नजर आती है. कांग्रेस ने राफेल के मुद्दे पर देशभर में करीब 100 से अधिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की हैं. इसके अलावा कांग्रेस की कोर कमेटी ने अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मिलकर बैठक भी की. पार्टी ने बैठक में मोदी सरकार को घेरने का प्लान बनाया.

फ्रांस मीडिया ने भी उठाए थे राफेल पर सवाल

इस सौदे पर हाल ही में फ्रांस मीडिया ने भी सवाल उठाया था. फ्रांस मीडिया ने भारत में चल रहे राफेल 'घोटाला' विवाद की तुलना 1980 के दशक में बोफोर्स घोटाले से करते हुए सवाल खड़े करते हुए कहा था कि आखिर कैसे 2007 में शुरू हुई डील से 2015 में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को बाहर करते हुए निजी क्षेत्र की रिलायंस डिफेंस को शामिल किया गया?

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क्या हैं कांग्रेस के आरोप?

कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार ने जिस विमान की डील की थी, उसी विमान को मोदी सरकार तीन गुना कीमत में खरीद रही है. कांग्रेस का आरोप है कि इस नई डील में किसी भी तरह की टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर की बात नहीं हुई है. पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के मुताबिक यूपीए सरकार की डील के अनुसार, 126 में से 18 एयरक्राफ्ट ही फ्रांस में बनने थे बाकी सभी HAL के द्वारा भारत में बनने थे.

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