लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से एक दिन पहले राफेल विवाद फिर से बाहर आ गया और अब यह राजनीतिक तूल भी पकड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार को तगड़ा झटका देते हुए केंद्र की दलीलों को खारिज करते हुए रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों की वैधता को मंजूरी दे दी है. चुनावी मौसम में कोर्ट के इस फैसले के बाद विपक्ष एक बार फिर केंद्र पर हमलावर हो सकता है.
देश की शीर्ष अदालत ने बुधवार को राफेल मामले पर सुनवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों की वैधता को मंजूरी दे दी जिससे इस केस पर फिर से सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट के फैसले के मुताबिक अब ये दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का हिस्सा होंगे. साथ ही कोर्ट ने यहा भी कहा कि वह राफेल पर पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई के लिए तारीख तय करेगा. कोर्ट के इस निर्णय के बाद राफेल डील पर लंबे समय से केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला करने वाली कांग्रेस और विपक्षी दलों के पास फिर से इस मुद्दे को उठाने का मौका मिल गया है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लंबे समय से सार्वजनिक मंचों से पीएम मोदी पर राफेल डील को लेकर निशाना साधते रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय आया जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल अमेठी से लोकसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करने वाले हैं और एक दिन बाद ही देश में पहले चरण का मतदान होना है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान राफेल का मामला गरमाए रहने के आसार बन गए हैं. फैसले के वक्त में कोर्ट में मौजूद रहने वाले अरुण शौरी कहा कि हमने जो आरोप लगाए थे उसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया है.
भ्रष्टाचार पर बहस की चुनौती
राफेल डील पर राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते रहे हैं. राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी को फिर से भ्रष्टाचार पर बहस करने की चुनौती दी है. राहुल गांधी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा था कि प्रिय प्रधानमंत्री, क्या आप भ्रष्टाचार पर मेरे साथ बहस करने से डर रहे हैं? मैं आपके लिए यह आसान कर देता हूं. किताब खोलकर आप इन विषयों पर तैयारी कर सकते हैं: 1. राफेल+अनिल अंबानी 2. नीरव मोदी 3. अमित शाह+नोटबंदी.
इससे पहले 7 अप्रैल को भी राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर ट्वीट किया था, 'आप भाग सकते हैं पर छिप नहीं सकते हैं. आपका कर्म पीछा नहीं छोड़ेगा. सच बहुत ताकतवर है. मैं मोदीजी को भ्रष्टाचार पर बहस की चुनौती देता हूं. तब, राहुल गांधी की ओर से दी गई चुनौती पर बीजेपी ने हमला करते हुए कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष एक बेखबर नेता हैं.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, 'मोदी जी हर जगह कह रहे थे कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राफेल में क्लीन चिट मिली है. आज के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित हो गया कि मोदी जी ने राफेल में चोरी की है, देश की सेना से धोखा किया है और अपना जुर्म छिपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया.'
मोदी जी हर जगह कह रहे थे कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राफ़ेल में क्लीन चिट मिली है। आज के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से साबित हो गया कि मोदी जी ने राफ़ेल में चोरी की है, देश की सेना से धोखा किया है और अपना जुर्म छिपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया। https://t.co/9dup2BpEnq
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 10, 2019
केंद्र सरकार की आपत्तियां दुर्भावनापूर्ण
सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है. इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं से 15 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान कहा था कि वो राफेल डील के दस्तावेज लीक होने से जुड़ी प्राथमिक आपत्तियों पर फोकस करें. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने कहा था कि सरकार द्वारा उठाई गई शुरुआती आपत्तियों पर फैसला लेने के बाद ही इस मामले में फैक्ट की जांच की जाएगी.
केंद्र सरकार ने कोर्ट में दावा किया था कि फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जुड़े दस्तावेजों को विशेषाधिकार प्राप्त बताया और कहा था कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के अनुसार इन दस्तावेजों को सबूत नहीं माना जा सकता. केंद्र की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि संबंधित विभाग की अनुमति के बिना कोई उन्हें अदालत में पेश नहीं कर सकता क्योंकि इन दस्तावेजों को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत भी संरक्षण मिला है. सूचना के अधिकार कानून की धारा 8 (1) (ए) के अनुसार भी जानकारी सार्वजनिक करने से छूट मिली हुई है.
याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि केंद्र सरकार की आपत्तियां दुर्भावनापूर्ण हैं और पूरी तरह अविचारणीय हैं.
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