राहुल गांधी के मोदी सरकार पर राफेल डील में हमला बोलने के बाद मंगलवार शाम को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मीडिया कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि मोदी ने अकेले यह फैसला किया मानो उन्होंने राफेल नहीं, संतरे खरीद लिए. अब पीएम इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ें.
उन्होंने कहा, 'किसी भी डिफेंस डील के लिए काफी लंबी प्रक्रिया होती है. हमारी सरकार के समय में राफेल डील हुई तो हमारे दो बड़े लक्ष्य थे- राफेल जेट खरीदना और इसकी तकनीक लाना. इस बीच में सरकार बदली, लेकिन 'मेक इन इंडिया' की बात करने वाली सरकार ने अपने ही नारे को कचरे में डाल दिया. इस सरकार ने 126 राफेल जेट के बजाए सिर्फ 36 जेट खरीदने की डील की. सरकार ने देश की जरूरत को नजरअंदाज किया.'
आजाद ने कहा, 'राफेल डील से पहले मोदी फ्रांस जा रहे थे. उनके दौरे से पहले विदेश सचिव ने कहा था कि राफेल पर कोई चर्चा नहीं होगी, लेकिन दो दिन बाद ही पीएम फ्रांस जाते हैं और डील करके आ जाते हैं. मानो बाजार में संतरे खरीदने गए और रेट पूछकर खरीद लिए. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की मंजूरी बिना पीएम ने संतरे खरीद लिए. 36 राफेल ले लिए.'
तीन गुना महंगा क्यों खरीद रहे?
उन्होंने आगे कहा, 'राफेल खरीद की प्रक्रिया की हमारी जानकारी गलत है तो सरकार सही जानकारी दे. इसकी कीमत बताए, हम प्रति जेट 526 करोड़ रुपये का खरीद रहे थे, सुनने में आया कि ये 1517 करोड़ रुपये का खरीद रहे हैं, यह पुरानी कीमत का पौने तीन गुना है. रक्षा मंत्री चुप हैं, रक्षा सचिव चुप हैं, संसद में भी कुछ नहीं बताया जा रहा.'
पहली बार दो-दो सत्र एक दिन भी नहीं चले
आजाद ने कहा, 'भारत के इतिहास में पहली बार 2016 में राज्यसभा का मॉनसून और विंटर सेशन एक भी दिन नहीं चला. 32-33 हजार करोड़ का छत्तीसगढ़ का पीडीएस घोटाला, व्यापम घोटाला, 40 हजार करोड़ का राजस्थान सरकार का बिना नीलामी के खदानें देने का घोटाला था. हमने इनकी जांच की मांग की, पर कुछ नहीं हुआ.'
'घोटालों पर हमारे मंत्री गए, इनके नहीं'
गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'हमारे किसी मंत्री के खिलाफ पेपर में छपते ही मंत्री का इस्तीफा हो जाता था. एक मंत्री के भांजे ने किसी प्रमोशन में पैसा लिया तो मंत्री गया. लॉ मंत्री ने सीबीआई डायरेक्टर का ड्राफ्ट देखा. आरोप लगा और मंत्री गया, जबकि कैबिनेट में सारे पेपर जाने से पहले लॉ मंत्री इन्हें देखता ही है. हमारे दर्जनों मंत्री गए. हमें मालूम है- तुम्हारा शहर, तुम्हीं कातिल, तुम्ही मुंसिफ, हमें यकीन था, कसूर हमारा ही होगा.'
सुरजेवाला ने पूछे आठ सवाल
इसी कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'राफेल की डील में मोदी सरकार में घोटाला हो रहा है, सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है. खरीद की कीमत, डिफेंस खरीद प्रक्रिया का उल्लंघन, राष्ट्रहित में तकनीक हस्तांतरण से समझौते जैसे गंभीर मामले हैं. पीएम के पूजीवादी दोस्तों को फायदा मिल रहा है.' उन्होंने मोदी सरकार से आठ सवाल पूछे हैं-
1- 36 राफेल तीन गुने महंगा क्यों खरीदे? कतर को 12 जेट 694 करोड़ रुपये के हिसाब से राफेल मिल रहे हैं तो भारत को 1517 करोड़ रुपये के क्यों, पीएम जवाब दें.
2- पीएम ने सीएनसी, पीएनसी, प्राइस डिस्कवरी और इंटर गवर्नमेंट डील जैसी प्रोसेस ब्रीच करके 36 विमान क्यों खरीदे?
3- सीसीएस की मंजूरी के बिना मोदी ने अकेले ही 36 विमान खरीदने की घोषणा क्यों की?
4- 8 अप्रैल 2015 को मोदी के फ्रांस जाने से पहले विदेश सचिव ने कहा कि राफेल पर बात नहीं होगी. 48 घंटे में क्या हुआ कि मोदी सरकार का फैसला बदल गया?
5- राफेल सस्ता था, तत्कालीन रक्षा मंत्री अरुण जेटली को यूरोफाइटर टाइफून ने कहा कि हम इसे दसॉल्ट कंपनी से 20 फीसदी और सस्ता देंगे. पीएम और रक्षा मंत्री ने इस पर फैसला क्यों नहीं किया? फिर से नीलामी क्यों नहीं की गई?
6- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएएल को राफेल बनाने का काम मिलना था. अब इसे रिलायंस की प्राइवेट कंपनी को क्यों दे दिया?
7- इस देश में केवल एक कंपनी को एचएएल को जेट बनाने का अनुभव है. इसे नजरअंदाज कर प्राइवेट कंपनी को क्यों डील दी गई?
8- 2012 में हुई डील रद्द करके नई डील क्यों की गई? रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीएम ने आपातकालीन स्थिति में राफेल खरीदने का फैसला किया. अगर आपातकाल था तो 35 महीने तक इंतजार क्यों किया? बताया जा रहा है कि जेट 2 से 5 साल तक नहीं आएंगे, ये कैसा आपातकाल हुआ?
इससे पहले, मंगलवार को ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पत्रकारों से कहा था, 'मोदी जी खुद यह समझौता करने पेरिस गए थे, राफेल डील पर आप क्यों नहीं बोलते हो? आज तक ऐसा हुआ है कि रक्षा मंत्री कहे राफेल कितने में खरीदा गया है, देश को नहीं बताएंगे, मोदी जी ने घपला किया है, मुझे पता है आप लोग उनसे डरते हैं.'