scorecardresearch
 

RBI में वापसी चाहते हैं रघुराम राजन, कहा- नोटबंदी की वजह से गिरी GDP

राजन ने इंटरव्यू में कहा कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी में 1-2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. आरबीआई को नोटबंदी का भार झेलना पड़ा. नए नोट प्रिंट करने का भार इस योजनाओं के फायदे पर भारी पड़ा.

Advertisement
X
रघुराम राजन
रघुराम राजन

Advertisement

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक बार फ‍िर मोदी सरकार के आर्थिक फैसलों पर सवाल उठाया है. इंडिया टुडे को दिए गए इंटरव्यू में रघुराम राजन ने इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ 'मेक इन इंडिया' नहीं 'मेक फॉर इंडिया' भी हो. साथ ही उन्होंने कहा कि वह दोबारा आरबीआई गर्वनर बनने की भी मंशा रखते हैं.

नोटबंदी का जीडीपी पर पड़ा प्रभाव

राजन ने इंटरव्यू में कहा कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी में 1-2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. आरबीआई को नोटबंदी का भार झेलना पड़ा. नए नोट प्रिंट करने का भार इस योजनाओं के फायदे पर भारी पड़ा.

उन्होंने कहा कि अगर जेपी मॉर्गन जैसी संस्थाओं के आंकलन पर भरोसा करें तो नोटबंदी की वजह से 1-2 प्रतिशत जीडीपी के बराबर नुकसान हुआ है, जो कि लगभग 2 लाख करोड़ के आसपास है. वहीं फायदे की बात करें तो टैक्स से सि‍र्फ लगभग 10 हजार करोड़ की आमदनी हुई.

Advertisement

वहीं उन्होंने कहा आरबीआई के पास नोट प्रिंट करने का अधिकार इसलिए है क्योंकि अगर सरकार खुद अपने पैसे प्रिंट करने लगे तो भारत भी जिंबाब्वे बन सकता है. यही वजह है कि आरबीआई जैसी एक स्वतंत्र संस्था की जरूरत पड़ती है.

नोटबंदी के लिए कोई तारीख नहीं मिली

राजन ने यह भी कहा कि नोटबंदी के लिए सरकार को आरबीआई के परमिशन की जरूरत नहीं थी. साथ ही नोटबंदी के लिए कोई तारीख नहीं मिली थी. उन्होंने कहा कि सरकार को नोटबंदी की आर्थि‍क चुनौतियों के बारे में पहले ही आगाह कर दिया गया था और उनका पूर्वानुमान सच हुआ.

वापसी को तैयार

राजन ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया, उनका टर्म खत्म हुआ था. राजन ने बताया कि वह आगे काम करने के लिए तैयार थे. साथ ही बताया कि बहुत काम बाकी हैं. बैंक सिस्टम में सुधार लाने के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है. राजन ने अपनी मंशा जाहिर करते हुए कहा कि वह दोबारा वापसी करना चाहेंगे.

बैंक बोर्ड का रहता है दबाव

राजन ने बताया कि माल्या जैसे बड़े कर्जधारियों को लोन देने में सरकार से बड़ी भूम‍िका बैंकों के बोर्ड की होती है. जब लोन अप्रूवल के लिए फाइल आती है तो पब्लिक सेक्टर बैंक के बोर्ड में शामिल उद्योगपतियों की वजह से रसूखवालों को आसानी से बड़े लोन मिल जाते हैं.

Advertisement

हालांकि राजन ने कहा कि पि‍छले कुछ सालों में इस व्यवस्था में सुधार आया है और दिवालियापन पर नए बिल के लागू होने के बाद इसमें और सुधार आएगा. वहीं उन्होंने मजबूत कानून बनाने की बात भी की, उनके अनुसार अभी पुराने कानून हैं, जो छोटे कर्जदारों पर दबाव डालते हैं, लेकिन बड़े कर्जदार अपने वकीलों की फौज की वजह से बच निकलते हैं. हालांकि ऐसा भी नहीं हो कि कड़े कानून की वजह से हर तरफ डर का माहौल हो और आर्थिक हालात खराब हो जाएं.

प्राइवेट निवेश नहीं हो रहा

राजन ने कहा कि भारत की इकनॉमी ज्यादातर प्राइवेट निवेश पर निर्भर रहती है. वहीं वर्तमान में प्राइवेट इनवेस्टर्स पब्लिक डोमेन में कुछ भी बात करें, वह निवेश नहीं कर रहे हैं. इसका प्रभाव देश की इकनॉमी पर पड़ रहा है.

घटे रोजगार पर जताई चिंता

नोटबंदी के बाद घटे रोजगार के मौकों पर राजन ने कहा कि वह इससे चिंतित हैं. अगर हम रोजगार नहीं पैदा करेंगे तो हालात और खराब होंगे.

यह तीन चीजें करना जरूरी

राजन ने बताया कि अगर वह वित्त मंत्री होते तो आर्थिक सुधार के लिए क्या क्या कदम उठाते. उन्होंने बताया कि उनका सबसे ज्यादा जोर इनफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर होता. इंफ्रास्ट्रक्चर ही बेहतर इकनॉमी की चाबी है. साथ ही राजन ने कहा कि भारत में बेहतर पावर मैनेजमेंट की जरूरत है. न सिर्फ हम कम पावर जनरेशन कर रहे हैं, बल्कि डिस्ट्रिब्यूशन में भी सुधार की जरूरत है.

Advertisement

राजन के अनुसार सरकार को आयात बढ़ाने पर भी जोर देना चाहिए. न सिर्फ मेक इन इंडिया हो बल्कि मेक फॉर इंडिया भी हो. सरकार को एक्सपोर्ट प्रमोशन पर ध्यान देना चाहिए. 

 

Advertisement
Advertisement