कांग्रेस नेतृत्व की शीर्ष पंक्ति में पहुंचने वाले पार्टी के ‘यूथ आइकन’ एवं भविष्य के प्रधानमंत्री के रूप में देखे जा रहे राहुल गांधी के समक्ष पार्टी का जनाधार बढ़ाने और युवा मतदाताओं की बढ़ती संख्या को पार्टी के पक्ष में करने का चुनौतीपूर्ण कार्य होगा.
देश के राजनीतिक रूप से शक्तिशाली नेहरू-गांधी परिवार की चौथी पीढ़ी के वंशज 42 वर्षीय राहुल को पार्टी नेतृत्व में स्थान देना इस बात को रेखांकित करता है कि पार्टी के पास विकल्पों का अभाव है और वह नेतृत्व और दिशानिर्देश के लिए प्रथम राजनीतिक परिवार पर ही निर्भर है.
कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनाये जाने से पहले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव राहुल ने वर्ष 2009 में संप्रग को सत्ता में लाने और उत्तर प्रदेश में पार्टी के पुनरुत्थान में मदद करने लिए अपने अभिभावकों की छत्रछाया से उबरते हुए अपने राजनीतिक कद में बढ़ोतरी की थी. उन्होंने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे अप्रत्याशित खुशी दिलायी और पार्टी केंद्र में तीसरी बार सत्ता में लौटने के लिए अब उनकी ओर देखेगी.