राहुल गांधी 130 साल पुरानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कमान संभालने जा रहे हैं. उन्होंने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया और कोई प्रतिस्पर्धी न होने की वजह से 11 दिसंबर को नए पार्टी अध्यक्ष के रूप में उनका नाम घोषित होना तय है. कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी के सामने सात बड़ी चुनौतियां होंगी. आइए जानते हैं कि क्या होंगी ये सात चुनौतियां...
1. नेहरू-गांधी परिवार की छाया से बाहर निकलना
राहुल गांधी को नेहरू-गांधी परिवार का ठप्पा विरासत में मिला है. लेकिन युवा वोटर्स को लुभाने के लिए यह काफी नहीं होगा. युवा भारत की आकांक्षाएं काफी बदल गई हैं और उन तक पहुंच बनाने के लिए राहुल गांधी को नेहरू-इंदिरा गांधी की छाया से बाहर निकलना होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तो यह खूबी रही है कि वह वोटर्स के साथ सीधे जुड़ जाते हैं, राहुल को भी इसी तरह लोगों तक सीधी पहुंच बनाने के लिए अपनी तरह का रास्ता निकालना होगा.
2. कांग्रेस को मजबूत बनाना
राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस को मजबूत करने की है, जिसे साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारी पराजय के बाद एक के एक बाद राज्यों में हार मिलती रही है. राहुल ऐसे समय में कांग्रेस की कमान संभालने जा रहे हैं, जब उसकी सिर्फ छह राज्यों में सरकारें हैं. अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ा काम पार्टी और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा लाना ही होगा.
3. नए विजन के साथ पार्टी का नेतृत्व
राहुल गांधी के मौजूदा सोशल मीडिया अवतार की हर तरफ चर्चा है. उन्होंने गुजरात चुनाव के अपने भाषणों में आम बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल किया है, जिसकी वजह से वह पूरे देश के लोगों से जुड़ पाए हैं. जिस तरह से चुनावी मौसम में राहुल गांधी ने अपनी शैली में बदलाव किया है, उसी तरह से उन्हें पार्टी में भी नई दृष्टि और ताजे दृष्टिकोण के साथ बदलाव करना होगा.
4. मोदी लहर से निबटना
कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अब राहुल को सीधे नरेंद्र मोदी से मुकाबला करना होगा. भारतीय जनता पार्टी मोदी के नाम पर पूरे देश में लगातार कई चुनाव जीती है. मोदी लहर इस कदर हावी रहा है कि उसने कांग्रेस से उसके असम जैसे परंपरागत गढ़ भी छीन लिए हैं. राहुल के लिए इस मोदी लहर से निपटना एक बड़ी चुनौती होगी.
5. मजबूत विपक्ष तैयार करना
चुनावों में बीजेपी के बेहतरीन प्रदर्शन की एक वजह यह भी है कि मुख्य विपक्ष के रूप में संसद के अंदर और बाहर कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत फीका रहा है. कांग्रेस को जनसभाओं से लेकर संसद तक हर मौके, मुद्दे और मंच का इस्तेमाल मोदी सरकार पर हमला बोलने के लिए करना होगा. राहुल गांधी को बीजेपी सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष के रूप में नेतृत्व करना होगा.
6. युवाओं और वरिष्ठों के बीच संतुलन बनाना
राहुल के सामने एक और चुनौती होगी कांग्रेस में युवा और वरिष्ठ नेताओं के बीच संतुलन बनाना. कांग्रेस की कई राज्य ईकाइयों में युवा कांग्रेसी चेहरों और वरिष्ठों के बीच सत्ता का टकराव चलता रहता है. राजस्थान में सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया बनाम दिग्विजय सिंह और दिल्ली में अजय माकन बनाम शीला दीक्षित ऐसे कुछ उदाहरण है.
7. बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतना
कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में आगे गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में जीत या हार की राहुल गांधी को जिम्मेदारी लेनी होगी. साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अगले साल भी मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में चुनाव है. इन राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन यह तय करेगा कि नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के मामले में राहुल गांधी का भविष्य क्या होगा.