अगले साल यानी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीतिक तैयारियों के तहत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज उदारवादी मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात करेंगे. ये मुलाकात शाम पांच बजे होनी है. राहुल इससे पहले दलितों और पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधियों से भी मिल चुके हैं.
2014 की हार से सबक लेते हुए कांग्रेस आगामी चुनाव में हिन्दू-मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण को रोकना चाहती है. इसके लिए राहुल गांधी ने मुस्लिमों से जुड़ने के लिए उन चेहरों को चुना है, जो कट्टरपंथी नहीं बल्कि उदारवादी और विद्वान समझे जाते हैं.
राहुल के साथ मिलने वाले मुस्लिम चेहरों में समाजसेवी शबनम हाशमी, जोया हसन, जामिया मिल्लया इस्लामिया की पूर्व कुलपति सईदा हामिदा और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष जेड के फैजान का नाम शामिल है.
aajtak.in से बातचीत में फैजान ने कहा कि मीटिंग का एजेंडा उन्हें नहीं बताया गया है. वे सिर्फ आमंत्रित किए गए हैं. वहां क्या और किस मुद्दे पर बात होनी है ये मीटिंग में ही पता चल पाएगा. हालांकि उन्होंने कहा कि हम मुस्लिमों के मौजूदा हालात पर कांग्रेस सहित अन्य सेकुलर दलों की खामोशी पर अपनी चिंताओं से उन्हें अवगत कराएंगे.
राहुल इस बैठक के ज़रिए मुस्लिम समाज को कांग्रेस से अलग होने से बचाना चाहते हैं. खासकर पिछले कुछ समय से कांग्रेस जिस तरह से सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चली है उससे मुस्लिमों में ये संदेश गया है कि अब उनकी चिंताओं पर ये पार्टी पहले की तरह मुखर नहीं रहेगी. बैठक का उद्देश्य मुस्लिम बुद्धिजीवियों से ये राय भी जानना है कि कैसे चुनावी माहौल में ध्रुवीकरण को रोका जाए. राहुल इन लोगों से मिली राय को अपनी पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल कर सकते हैं.
साल 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले साल 2018 के आखिर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे तीन अहम राज्यों के चुनाव होने हैं. ऐसे में उदारवादी और विद्धान मुस्लिम चेहरों के साथ राहुल की बैठक में होने वाले मंथन पर देश भर के मुस्लिम वर्ग की निगाहें रहेंगी.कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष नदीम जावेद का कहना है कि राहुल गांधी उन लिबरल लोगों से मुलाकात करते रहेंगे, जिनकी सोच सही दिशा में है. इस तरह का संवाद कार्यक्रम आगे भी चलता रहेगा. माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद दूसरी और भी बैठकें होंगी.
बदली रणनीति के तहत कांग्रेस पार्टी मुस्लिम कट्टरपंथियों से अलग दिखना चाहती है, ताकि बीजेपी इस संवाद को मुद्दा बनाकर फायदा न उठा सके. अतीत में दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी. पार्टी अब ये गलती दोहराना नहीं चाहती.
मुस्लिम बुद्धिजीवियों, विचारकों के साथ राहुल के होने वाले संवाद में इतिहासकार, लेखक, पत्रकार और न्यायविद सहित तमाम क्षेत्रों से लोग शामिल किए जाएंगे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद भी इस आयोजन से जुड़े रहेंगे.