कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी आज औपचारिक तौर पर पार्टी की कमान संभाल लेंगे. हालांकि राहुल को कांग्रेस की कमान ऐसे वक्त में मिल रही हैं, जब पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. लोकसभा चुनाव में 50 सीटों के नीचे तो कांग्रेस 2014 में ही आ गई थी लेकिन उसके बाद एक-एक कर राज्यों से उसकी सत्ता भी चली गई... जिसने कमजोर हुई पार्टी को और खस्ताहाल कर दिया. ऐसे में अब कांग्रेस को इन सबसे बाहर निकालकर आगे ले जाने की सारी जिम्मेदारी राहुल गांधी पर है.
कांग्रेस को जनता के बीच ले जाना
राहुल गांधी के लिए सबसे अहम जिम्मेदारी देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी में नई जान डालने की है. कांग्रेस संगठन को दोबारा खड़ा करने का जिम्मा भी राहुल के कंधों पर है. कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी दिक्कत बूथ लेबल पर पार्टी को खड़ा करने की है. मौजूदा दौर में कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह बूथ स्तर पर पार्टी का न होना. पिछले दिनों गुजरात चुनाव में राहुल ने जिस तरह से सक्रिय भूमिका निभाई है, उससे कांग्रेस में नई जान पड़ती दिख रही है. पार्टी नेता से लेकर कार्यकर्ता तक जमीन पर दिखाई दिए हैं. बीजेपी की तर्ज पर कांग्रेस को भी बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करना होगा.
युवाओं और आम आदमी से सीधा कनेक्ट
राहुल अपने इंटरव्यू में भी कहते हैं कि जब आप किसान से मिलते हैं और उससे हाथ मिलाते हैं, तो उनके दर्द और मुद्दों को आप बेहतर तरीके से महसूस करते हैं. राहुल केरल जाते हैं और तूफान पीड़ितों से मिलते हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि राहुल लगातार लोगों से कनेक्ट होने की कोशिश कर रहे हैं. 'ह्यूमन टच' उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है.
विजन साफ, एक्शन में नहीं होगी देर
कांग्रेस में राहुल राज कायम होने से पार्टी का विजन साफ दिख रहा है और पार्टी में त्वरित फैसले भी होने लगे हैं, जबकि कांग्रेस में पहले अक्सर किसी मुद्दे पर फैसला लेने में ऊहापोह की स्थिति में नजर आती थी. तुरंत फैसला न लेने से कांग्रेस के हाथों से मुद्दे निकल जाते थे. पिछले कुछ दिनों में राहुल गांधी ने पार्टी को इससे बाहर निकाला है.
उन्होंने गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान ही अपने विजन साफ कर दिए हैं कि पार्टी किन मुद्दों को लेकर आगे बढ़ेगी. इसके अलावा उन्होंने मणिशंकर अय्यर पर त्वरित फैसला लेकर ये भी दिखा दिया कि पार्टी कड़े फैसले लेने में भी देर नहीं करेगी. राहुल ने कांग्रेस महिला संगठन के कार्यक्रम में साफ कर दिया है कि महिला आरक्षण के लिए हर संभव लड़ाई लड़ने को तैयार हैं.
गुजरात का प्रयोग राष्ट्रीय फलक पर लेगा आकार
राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में कई प्रयोग किए हैं. गुजरात में राहुल ने छोटे-छोटे पॉकेट वाले नेताओं को जोड़ने और समर्थन हासिल करने के साथ-साथ जातीय कार्ड और सॉफ्ट हिंदुत्व की आजमाइश की है. इसके अलावा उन्होंने उस राज्य और क्षेत्र के मुद्दों को भी उठाया है. राहुल इस प्रयोग को लेकर आगे बढ़ा सकते हैं. देश के बाकी हिस्सों में वो इस तरह के प्रयोग करते नजर आएंगे.
दिख रहा है 2019 के लिए राहुल का एजेंडा
राहुल गांधी ने 2019 का एजेंडा सेट कर लिया है. राहुल जिन मुद्दों को गुजरात में उठा रहे थे, वही मुद्दे 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उनके काम आएंगे. व्यापारियों से लेकर नौजवानों, किसानों के हित को लेकर सीधे मोदी सरकार पर निशाना साधना उनके एजेंडे का हिस्सा है. राहुल के इन मुद्दों पर बीजेपी को जवाब देते नहीं बन रहा.