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मिशन 2014 को लेकर राहुल गांधी की माथापच्ची

कांग्रेस में बदलाव का बिगुल फूंकने वाले राहुल गांधी ने जब पार्टी के महासचिवों और राज्यों के प्रभारी के साथ पहली बैठक में शिरकत तो खुद कांग्रेस के रंग ढंग में रंगते नजर आए.

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राहुल गांधी
राहुल गांधी

कांग्रेस में बदलाव का बिगुल फूंकने वाले राहुल गांधी ने जब पार्टी के महासचिवों और राज्यों के प्रभारी के साथ पहली बैठक में शिरकत तो खुद कांग्रेस के रंग ढंग में रंगते नजर आए. बैठक शुरू करते ही राहुल ने पार्टी नेताओं के सामने सवाल उठा दिया. राहुल ने पूछा संगठन में क्या बदलाव हो? राज्यों में कांग्रेस के सामने क्या समस्या है? पार्टी के अंदर तालमेल कैसे हो? कांग्रेस के लिए आगे का रास्ता क्या हो?

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बैठक में 57 नेता मौजूद थे. पहले हर नेता को अपनी बात सामने रखने के लिए तीन मिनट का वक्त तय किया गया था, लेकिन राहुल ने समय की सीमा को खत्म कर दिया. राहुल ने सभी नेताओं को दिल से बोलने के लिए कहा. नतीजा ये रहा कि ढ़ाई घंटे तक चली बैठक में महज 18 नेताओं ने ही अपनी बात रखी.

जयपुर के चिंतन बैठक में राहुल ने जिस तरह से कांग्रेस का खाका सामने रखा, उससे साफ है कि वो पार्टी की कमजोरियों से अनजान नहीं हैं. बैठक में पार्टी नेताओं की तरफ से तमाम तरह के सुझाव पेश किए गए. गुलाम नबी आजाद ने एक व्यक्ति एक पद का मुद्दा उठाया. ईमानदारी से काम करने पर जोर दिया और मंत्रियों से जरूरत पड़ने पर मौजूद रहने की गुजारिश की.

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मोती लाल बोरा ने कांग्रेस में यूथ कांग्रेस की तर्ज पर सदस्यता अभियान चलाने की वकालत की तो जिला और राज्य स्तर पर संगठन में चुनाव पर जोर दिया, ताकि सही और योग्य उम्मीदवार सामने आ सकें. दिग्विजय सिंह ने किसी भी मुद्दे पर पार्टी के भीतर असमंजस खत्म करने की मांग की, तो जगदीश टाइटलर ने बिहार समेत कई राज्यों में कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़े करने की जरूरत पर जोर दिया.

युवाओं के बीच खासी पैठ रखने का दावा करने वाले राहुल गांधी के सामने बतौर उपाध्यक्ष कई चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी जिम्मेदारी युवाओं को वोट बैंक में बदलने की है. सूत्रों की मानें तो बैठक में नेताओं की ओर से कोई भी ऐसा मुद्दा नहीं आया और न ही कोई ऐसी सलाह दी गई, जिससे कांग्रेस 2014 में अपना बदला चेहरा ले कर वोटरों के बीच जाए.

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