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अटल-आडवाणी ने 'कंप्यूटर ब्वॉय' कहकर उड़ाया था मेरे पिता का मजाक, सोनीपत में बोले राहुल गांधी

राहुल गांधी की मसीहाई छवि उभारने के लिए कांग्रेस ने हरियाणा के सोनीपत स्थित गन्नौर में सोमवार को एक पॉलिटिकल स्टंट रचा. किसानों से बातचीत करने पहुंचे राहुल ने पहले एक लंबा भाषण दिया, जो कमोबेश उनके पुराने भाषणों जैसा ही था.

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सोनीपत में राहुल गांधी
सोनीपत में राहुल गांधी

राहुल गांधी की मसीहाई छवि उभारने के लिए कांग्रेस ने हरियाणा के सोनीपत स्थित गन्नौर में सोमवार को एक पॉलिटिकल स्टंट रचा. किसानों से बातचीत करने पहुंचे राहुल ने पहले एक लंबा भाषण दिया, जो कमोबेश उनके पुराने भाषणों जैसा ही था. इसके बाद जब सवाल-जवाब का राउंड आया तो माइक ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने थाम लिया और प्रतिनिधियों को मौका देने के बजाय खुद ही सवाल पूछने लगे.

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मसलन जयराम ने पहला सवाल भट्टा परसौल की घटना और भूमि अधिग्रहण के संबंध में पूछा. जवाब में राहुल ने भावुकता की चाशनी में लगभग वही बात कही जो कई मंचों पर वह पहले भी कह चुके हैं. पार्टी को लोकतांत्रिक बनाने का विजन सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि अगले 5 साल में वह कांग्रेस को ऐसी पार्टी बनाना चाहते हैं जहां पार्टी नेतृत्व नहीं, मजदूर और किसान चुनावी कैंडिडेट चुनेंगे. उन्होंने कहा कि उन्होंने किसानों से जो सीखा है, वह ब्यूरोक्रेट्स नहीं सिखा पाते.

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी पर उनके पिता राजीव गांधी का उपहास उड़ाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'मेरे पिता देश में कंप्यूटर लेकर आए तो सीनियर बीजेपी नेताओं वाजपेयी जी और आडवाणी जी ने 'कंप्यूटर ब्वॉय' कहकर उनका मजाक उड़ाया. बाद में प्रमोद महाजन इसका श्रेय बीजेपी को देने लगे. लेकिन आज आपकी जेब में मोबाइल फोन है तो यह मेरे पिता की सोच की वजह से ही है.'

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राहुल ने कहा कि हम आपको (किसानों को) विकल्प देना चाहते हैं, आदेश नहीं. आदेश देना बीजेपी का काम है. विपक्षी पार्टी पर प्रहार करते हुए उन्होंने सत्ता के विकेंद्रीकरण की वकालत की. उन्होंने कहा कि बीजेपी की सोच है कि एक व्यक्ति ही देश चला सकता है, जबकि कांग्रेस हिंदुस्तान की जनता को ताकत देना चाहती है. मनरेगा, आरटीआई और पंचायती राज इसी के उदाहरण हैं.

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि बीजेपी कांग्रेस की उपलब्धियों को अपना बनाकर पेश करती है. उन्होंने मोदी का नाम लिए बिना कहा कि विपक्षी दल सरदार पटेल को भी अपने पाले में लेने की कोशिश में है.

पढ़िए राहुल गांधी और क्या बोले, उन्हीं की जुबानी:
कितने लोग यहां अपने बेटों को खेत में काम करते देखना चाहते हैं? कोई नहीं चाहता न.तो हमारी सोच क्या है. हम आपसे ये नहीं कहना चाहते हैं कि भाई, आपके बेटों को खेती नहीं करनी चाहिए. वो आपका फैसला है. हम आपको ये सिर्फ ये कहना चाहते हैं कि ऑप्शन आपके हाथ में होना चाहिए.

खेती में पैसा नहीं बनता. घाटे का सौदा है. तो पहला काम हमारा, जो मैंने जमीन की बात की. जमीन बनाओ तो इसमें सुरक्षा मिले आपको. मगर वहां नहीं रुकना चाहते. हम कहते हैं कि आपके बेटों को वही मौका होना चाहिए, जो बाकी लोगों को है. ये कहां से आएगी. रोजगार से आएगी और किस प्रकार के रोजगार से आएगी. सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग. तो हमने पिछले पांच-सात साल में ये मुंबई मैनुफेक्चरिंग कॉरिडोर की बात की. दिल्ली मुंबई. मुंबई-चेन्नई. डेडिकेटेड रेलवे फ्रेट कॉरिडोर. हमने नेटवर्क तैयार कर दिया है. अब इसमें उद्योग लगेंगे और चॉइस मिलेगी आपके बच्चों को.

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हमारी राजनीति आपको चॉइस देने की है. ऑर्डर देने की नहीं. वह बीजेपी का काम है. हम चाहते हैं कि आपकी जो शक्ति है, उसका प्रयोग हिंदुस्तान करे.

राजनीति की बात होती है. हुड्डा जी और जयराम रमेश जी बैठे हैं. काफी शिकायत आती है. जयराम जी के बारे में शिकायत आती है कि भाई मंत्री नहीं सुनते हैं. तो प्रॉब्लम क्या है. दो तीन जगह से टिकट की बात उठी. कैबिनेट में टिकट वितरण में किसान नहीं दिखाई देते. उसमें आपकी हिस्सेदारी नहीं. जब तक हमने इसको नहीं बदला, तब तक हम ऐसे ही बातें कर सकते हैं. मैं 10 साल से राजनीति में हूं. आवाज डालने के लिए शक्ति की भी जरूरत होती है. जब तक हमने आपको टिकट के प्रोसेस में नहीं डाला, तब तक शक्ति नहीं आ सकती.

इसलिए 15 सीटों में हमने लोगों से पूछकर टिकट देने का काम किया.ये मेरी सोच है कि एक ऐसा दिन आए, जब ऐसी मीटिंग जरूर हो, जब टिकट की बात आए तो आपकी लाइन लग जाए. किसानों की, मजदूरों की, आजकल क्या होता है, हुड्डा जी और मैं और जयराम जी टिकट चुनते हैं. हुड्डा जी मुस्कुरा रहे हैं. मैं भी मुस्कुरा रहा हूं. मगर ऐसा दिन आना चाहिए, जब किसान चुने, मजदूर चुने. और एमपी साहब बैठे हैं, तो उन्हें लगे कि भइया काम नहीं कर रहा, तो दबाव पड़े.

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जनता में से कोई: यह कितने साल में हो जाएगा?
राहुल: ये मैं पांच सात साल में कर दूंगा. मेरा प्रॉब्लम आपको समझना है. ये जो निर्णय होते हैं, आसान नहीं होते. हुड्डा जी भी आपको बता देंगे. इसमें लोग गुस्सा हो जाते हैं. उदास हो जाते हैं. जोर लगता है. मैं कहता हूं आप लोग चुनो. अगर आप सब राजनीतिक दलों को देखें. बीजेपी, कांग्रेस, लेफ्ट को देखें. हिंदुस्तान में करप्शन की बात करते हैं. बहुत लोग हैं, जो अपना भाषण देते हैं. सिर्फ भाषण देते हैं. मेन प्रॉब्लम है कि हिंदुस्तान को लोकसभा और विधानसभा में बदलाव लाने होंगे.

50 फीसदी महिलाओं के बारे में बात करिए.ये किसानों की मीटिंग है. इस मीटिंग में कितने लोग हैं. 400 लोग हैं. मगर वहां पर देखिए. चार-आठ महिलाएं. एक ऐसा दिन आना चाहिए, जब हम किसानों की मीटिंग बुलाएं तो 50 फीसदी महिलाएं दिखाई जाएं और 50 फीसदी.

मैं करूंगा भइया. मैं करूंगा. मगर मेन प्वाइंट क्या है. मैं आपसे लंबा बोल रहा हूं कि हिंदुस्तान में जानकारी आपके पास है. किसान के पास है. मजदूरों के पास है. बढ़ई के पास है. महिलाओं के पास है. मगर हम आपसे पूछते नहीं. सिस्टम आपको बताता है. मैं चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी में हम आपसे पूछना शुरू करें. कभी कभी हमें अच्छा नहीं लगेगा. मगर हम पूछेंगे.

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ये हममें और बीजेपी में फर्क है. बीजेपी में ये सोच है कि ये देश एक व्यक्ति चला सकता है. दुनिया का पूरा ज्ञान एक व्यक्ति को है. खेती के बारे में वह जानता है. हवाई जहाज के बारे में जानता है. सोच क्या है कि पावर सेंट्रलाइज करो. हम उल्टा कहते हैं कि पावर हिंदुस्तान की जनता को दो. मनरेगा. आरटीआई, पंचायती राज इसी के उदाहरण हैं. 

आप सब आए, बहुत बहुत धन्यवाद.

जयराम रमेश: एक मिनट बैठ जाइए.ऐसे नहीं चलेगा. राहुल जी चले जाएंगे. आप शांत हो जाइए. आप बैठ जाइए. देखिए अभी अभी राहुल जी ने अपनी सोच और विचार आपके सामने रखा. यहां राहुल जी मौजूद हैं. किसान से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता देनी चाहिए, उस पर चर्चा हो रही है. माइक मेरे हाथ में है. मैं राहुल जी से सीधे दो सवाल पूछना चाहता हूं.

आप भट्टा परसौल गए. क्या सोच रही आपकी. आपने कहा, भूमि अधिग्रहण अधिनियम बदलना है. आपकी क्या सोच रही?

राहुल: सिर्फ भट्टा परसौल नहीं. नियामगिरी में और पूरे हिंदुस्तान में दिख रहा है. किसान की जमीन थी. और उसके हाथ में शक्ति नहीं थी. यूपी में मैंने देखा. सरकार एक दिन ऑर्डर देती थी, दूसरे दिन गायब. कही फॉर्मूला वन ट्रैक बना दिया. उसे साल में एक बार यूज किया जा सकता है. वो भी भइया आपने देखा कैसे चल रहा है. शायद दो तीन साल में बंद भी हो जाए. देखिए कितने किसानों की जमीन एक मिनट में, भइया फॉर्मूला वन देखना है. गाड़ियां चक्कर काटेंगी. जमीन ले लो, तो न्याय होना चाहिए. अगर कोई दिल्ली में रहता है. तो उसको हम कहते हैं कि अगर जमीन बेचना चाहते हो, तो बेच दो. मगर जब किसान की जमीन होती है कि अगर हम आपकी जमीन लेना चाहते हैं, तो ले सकते हैं. आप कुछ नहीं कर सकते. तरीका भी गलत है.

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भट्टा परसौल मैं गया. वहां महिला रो रही थी. पूछा क्या हुआ. बोली, एक दिन आए और बोले जमीन आपकी नहीं. कुछ लिखा नहीं. जिन्हें जमीन दी, वो आ गए और बोले ये जमीन आपकी नहीं. मैं समझ गया. दुख हुआ होगा आपको. वो बोली नहीं दूसरे कारण से दुख हुआ. जमीन पर मेरी फसल थी. मैंने कहा कि मुझे ये फसल निकालने दो. उन्होंने जाकर फसल जला दी. अब देखो, ये सोच है. कि हम उसको सिर्फ दबाएंगे नहीं, बल्कि खत्म कर देंगे. ये बदलना है.

नियामगिरी के बारे में कहना चाहता हूं. भइया ये किसान की बात नहीं है. जो कमजोर है, उससे छीनो. अगर मजबूत आदमी है, पैसा है तो छीन सकता है. उसके खिलाफ हूं. कमजोर आदमी मजबूत के सामने जाकर कहे, ये मेरा अधिकार है, तुम नहीं कर सकते. वेदांता क्या है. नियामगिरी में क्या है. पहले क्या हुआ करती थी.

जयराम: एमएनसी थी. पहले जमीन से बॉक्साइट उठाती थी.
राहुल: किसका है ये (बॉक्साइट). नियामगिरी में क्या कह रहे थे लोग. मैं गया वहां. उन्होंने कहा देखिए. ये हमारा धर्म है. कि अगर ये पहाड़ लेना चाहते हैं, तो पंचायतों से पूछें. वहां बिना पूछे ले रहे थे. पंचायतों से पूछा, तो बोले कि हम देना नहीं चाहते. हम नहीं चाहते कि आधा हिंदुस्तान रोए और आधा मजबूत हो.

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जयराम रमेश: राहुल जी, आपने 10 लाख महिलाओं को महिला बचत समूह में इकट्ठा किया. ये छोटा काम नहीं है. हमारा वहां राज्य सरकार नहीं है 25 साल से. पर 40 जिलो में करीब एक लाख महिला बचत समूहों को इकट्ठा कर बैंकों से जोड़ना. मैं आपसे पूछना चाहता हूं. आपने ये किया क्यों. ये बिल्कुल चुप हैं.

राहुल: ये कहते हैं बात क्यों नहीं करते. मैं करना नहीं चाहता क्यों नहीं करता. लोग दो तरह के होते हैं. एक जो काम करता है, दूसरा बात करता है.

मैंने पापा से कहा. आप पूरा दिन काम करते हो. बोलते क्यों नहीं. उन्होंने कहा, काम बोलेगा. और आज, कल मैंने भाषण दिया. आपके जेब में फोन है, ये मोबाइल फोन, ये उनके काम ने आपकी जेब में डाला.

बीजेपी के सबसे सीनियर नेता, वाजपेयी जी, आडवाणी जी. उनके टॉप नेताओं ने उस समय क्या था. कंप्यूटर बॉय का नाम दिया .मजाक उड़ाया और भाषण दिए कि कंप्यूटर से क्या होगा, बर्बाद हो जाएगा, नौकरियां खत्म हो जाएंगी और फिर 15 साल बाद, जब काम करने वाला चला गया. वो लोग खड़े हुए और प्रमोद महाजन जी ने कहा कि कंप्यूटर का काम हमने किया.

देखिए देखिए, सरदार पटेल को उठा लिया. आने वाले समय में कहेंगे कि भोजन का अधिकार, मनरेगा, ये भी हमारी सोच थी. मैं इसके बारे में बात कम करता हूं. आपने कहा, मैंने बड़ा काम किया है. मुझे महिलाओं से सीखने को मिला. मैं चाहता हूं कि मेरी जिंदगी में ऐसा वक्त आए, जब लोकसभा और विधानसभाओं में आधी महिलाएं हों.

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