दागियों के चुनाव लड़ने संबंधी अध्यादेश पर आज बैठकों का दिन है. सुबह 9:30 बजे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मिले. 25 मिनट तक चली बातचीत में राहुल ने अध्यादेश पर अपनी नाराजगी से पीएम को अवगत कराया. प्रधानमंत्री ने राहुल को भरोसा दिया है कि वह उनकी चिंताओं को कैबिनेट के सामने रखेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने प्रधानमंत्री से कहा कि उन्होंने सिर्फ जनभावना का ख्याल रखते हुए अध्यादेश का विरोध किया. उन्होंने प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि उनका मकसद उनका दिल दुखाना नहीं है.
इसके बाद अध्यादेश पर कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री और सोनिया के अलावा गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और अहमद पटेल शामिल थे. वित्त मंत्री पी चिदंबरम और रक्षा मंत्री एके एंटनी निजी कारणों से इस बैठक में शामिल नहीं हो सके. चिदंबरम श्रीनगर में हैं और एंटनी अस्पताल में हैं. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस कोर ग्रुप अध्यादेश वापस लेने के पक्ष में है.
गौरतलब है कि राहुल ने अध्यादेश पर खुलेआम नाराजगी जताई थी. उस वक्त प्रधानमंत्री अमेरिका में थे. वह कल ही अमेरिका से लौटे हैं.
दोपहर 12:30 बजे प्रधानमंत्री राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलेंगे. अभी अध्यादेश राष्ट्रपति के पास ही है. सूत्रों की मानें तो अध्यादेश से राष्ट्रपति नाखुश हैं. इसके बाद शाम 6 बजे कैबिनेट की बैठक होगी, जिसके बाद अध्यादेश वापस लेने जैसा कोई बड़ा फैसला संभव है.
अध्यादेश को बकवास बताया था राहुल ने
राहुल गांधी ने कहा था कि उनकी राय में यह अध्यादेश पूरी तरह बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए. इसके तुरंत बाद कांग्रेस ने भी पलटी मारते हुए कहा था कि राहुल की राय ही पार्टी की राय है.
इसके बाद बीजेपी ने इसे प्रधानमंत्री के आत्मसम्मान से जोड़ते हुए उनका इस्तीफा मांग लिया था. हालांकि प्रधानमंत्री ने मंगलवार को ही साफ कर दिया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे.
क्या अलग-अलग हैं कांग्रेस और सरकार
दरअसल राहुल के बयान के बाद से इस मुद्दे पर कांग्रेस और सरकार को अलग करके पेश करने की कवायद हो रही है.
बेशक, राहुल के बयान से सियासी भूचाल मचा हुआ है लेकिन प्रधानमंत्री की बातों से लगता है कि वो जरा भी विचलित नहीं हैं. उनका कहना है कि इस मुलाकात में वह राहुल की नाराजगी की तह तक जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा, ‘किसी के जहन को बदलना हमेशा मुमकिन होता है.’