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कांग्रेस मुख्यालय में लगेगा जनता दरबार, आम लोगों से हर हफ्ते मिलेंगे राहुल

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को करीब लाने के लिए राहुल को सुझाव दिया गया कि बतौर अध्यक्ष वो पार्टी दफ्तर में बैठें और बिना समय लेकर आए कार्यकर्ताओं से भी रू-ब-रू हों. इससे कार्यकर्ता दोगुने जोश से काम करने के लिए प्रेरित होंगे. इससे पहले इंदिरा गांधी और राजीव भी इसी तरह जनता दरबार लगाया करते थे.

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राहुल गांधी आम लोगों के साथ (फाइल फोटो)
राहुल गांधी आम लोगों के साथ (फाइल फोटो)

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राजनीति में 2004 में आगाज करने वाले राहुल गांधी 2017 के खत्म होने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष बन गए. 13 साल में करीब 10 साल उनकी पार्टी की केंद्र में सरकार रही. लेकिन पार्टी अध्यक्ष बनने से ठीक पहले राहुल ने जिस तरह के सियासी तेवर दिखाए, वैसे पहले कभी देखने को नहीं मिले थे.

गुजरात विधानसभा चुनाव में राहुल की ओर से पार्टी के प्रचार को जिस तरह धार दी गई, उसे देखकर राजनीतिक समीक्षक भी कहने लगे- ‘बदले बदले से नजर आ रहे हैं राहुल'. गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने सहयोगियों के साथ जिस तरह 80 सीटों पर जीत हासिल की, उसे देखते हुए विरोधियों को भी राहुल को गंभीरता से लेने पर मजबूर होना पड़ा. गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान ही राहुल ने खुद को शिवभक्त और जनेऊधारी ब्राह्मण बताकर राजनीति की अपनी दिशा का संकेत भी दिया.

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गुजरात के नतीजे आने से करीब एक हफ्ता पहले ही राहुल ने अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस की कमान संभाल ली थी. गुजरात में बेशक कांग्रेस सरकार बनाने लायक स्थिति में नहीं पहुंच सकी लेकिन बीजेपी को 99 सीटों पर ही रोक देने ने ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए संजीवनी से कम काम नहीं किया. राहुल जानते हैं कि कांग्रेस को मजबूत करना है और पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरना है तो उनसे लगातार संपर्क में रहना बहुत जरूरी है.  

पार्टी के भीतर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को करीब लाने के लिए राहुल को सुझाव दिया गया कि बतौर अध्यक्ष वो पार्टी दफ्तर में बैठें और बिना समय लेकर आए कार्यकर्ताओं से भी रू-ब-रू हों. इससे कार्यकर्ता दोगुने जोश से काम करने के लिए प्रेरित होंगे. इससे पहले इंदिरा गांधी और राजीव भी इसी तरह जनता दरबार लगाया करते थे. सोनिया गांधी ने भी पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद शुरू में ऐसा किया था.

हालांकि, 2004 में यूपीए सरकार बनने के बाद सुरक्षा और ताम झाम के चलते कांग्रेस मुख्यालय में सोनिया का कार्यक्रम बन्द हो गया और ’10 जनपथ’ में ही दरबार लगने लगा. ऐसे में अब राहुल दोबारा कांग्रेस मुख्यालय में पुरानी परम्परा को जल्दी ही शुरू करने वाले हैं. राहुल ने इस प्रस्ताव को सहमति दे दी है कि, जब वो दिल्ली में रहेंगे तो मंगलवार और शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय आकर दफ्तर में ही समय मांगने वाले नेताओं से मिला करेंगे. साथ ही शनिवार को राहुल पार्टी मुख्यालय के लॉन में दूर-दराज से बिना समय लिए आए कार्यकर्ताओं और आम लोगों से मुलाकात किया करेंगे.

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इससे पहले राहुल अहम सियासी मौकों पर ही कांग्रेस मुख्यालय आते थे. अन्यथा वो सियासी काम काज अपने घर ‘12 तुग़लक़ लेन’ या फिर कांग्रेस के वॉर रूम ’15 गुरुद्वारा रकाबगंज’ से ही निपटाते थे. लेकिन बतौर पार्टी अध्यक्ष '24 अकबर रोड’ में मुलाकात के इस कार्यक्रम से पार्टी संगठन के उन नेताओं को भी संदेश जाएगा जो गाहे-बगाहे ही मुख्यालय आया करते हैं. राहुल खुद अकसर मुख्यालय में आएंगे तो बाकी नेताओं का आना भी लाज़मी है. साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों की पहुंच भी नेताओं तक आसान हो जाएगी.

राहुल की इस नई कवायद पर पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि, बतौर अध्यक्ष राहुल गांधी अपने दफ्तर में बैठकर काम करते हैं, आम जन और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हैं, तो हम सबको इसका स्वागत करना चाहिए, ये स्वागतयोग्य क़दम है.

आज के सियासी हालात के मद्देनजर बतौर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल के सामने चुनौती बड़ी है, जिससे निपटने के लिए जनता से पहले अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का दिल जीतने होगा. इसी कोशिश में राहुल का ये ताज़ा क़दम है, जिसकी सफलता और असफलता का फैसला आने वाले चुनावों में नज़र आएगा.

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