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गुजरात में क्यों 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की ओर जाते दिखे राहुल गांधी?

सियासी रणनीति के तहत ही राहुल के पहले दौरे में जो भी कार्यक्रम बने वो हिन्दू धर्म के इर्द-गिर्द ही घूमते रहे. राहुल के दौरे से पहले से ही तय हो गया कि, राहुल के दौरे में कोई मुस्लिम नेता उनके आस-पास नहीं रहेगा. पूरे दौरे के दौरान प्रभारी अशोक गहलोत, सचिव राजीव सातव, प्रदेश अध्यक्ष भरत सोलंकी और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष राजा बरार ही राहुल के साथ तस्वीरों में नज़र आए.

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गुजरात में राहुल गांधी.
गुजरात में राहुल गांधी.

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गुजरात में सत्ता वापसी के लिए ज़ोर लगा रही कांग्रेस ने राहुल गांधी के पहले दौरे में ही अपनी रणनीति जमीन पर उतार दी. टीम राहुल द्वारा तैयार की गई रणनीति के तहत ही राहुल ने गुजरात चुनाव का पहला दौरा पूरा किया. टीम राहुल ने गुजरात चुनाव के मद्देनजर जो लाइन तय की, वो कहीं ना कहीं इशारा करती है कि पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर ही आगे बढ़ने वाली है.

सियासी रणनीति के तहत ही राहुल के पहले दौरे में जो भी कार्यक्रम बने वो हिन्दू धर्म के इर्द-गिर्द ही घूमते रहे. राहुल के दौरे से पहले से ही तय हो गया कि, राहुल के दौरे में कोई मुस्लिम नेता उनके आस-पास नहीं रहेगा. पूरे दौरे के दौरान प्रभारी अशोक गहलोत, सचिव राजीव सातव, प्रदेश अध्यक्ष भरत सोलंकी और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष राजा बरार ही राहुल के साथ तस्वीरों में नज़र आए.

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दिलचस्प बात ये है कि, हाल में अहमद पटेल का राज्यसभा चुनाव गुजरात में सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय रहा. इस चुनाव में जीत को कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाला मानती रही है. इसके बावजूद गुजरात में बमुश्किल राज्यसभा के जीतने वाले सोनिया के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल भी कहीं भी राहुल के आस-पास नहीं दिखे.

सूत्रों के मुताबिक, टीम राहुल और खुद अहमद पटेल ने रणनीति के तहत ही ऐसा किया. दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि, पिछले विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में मोदी ने मियां अहमद पटेल बोलकर उनको मुख्यमंत्री का दावेदार करार दिया और चुनाव में ध्रुवीकरण कर दिया.

अब कांग्रेस को डर है कि, आने वाले वक्त में एक बार फिर चुनावी प्रचार में ये कहकर ध्रुवीकरण की कोशिश कर सकते हैं कि, कांग्रेस पिछले दरवाजे से मुस्लिम समुदाय से आने वाले अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बना देगी. इसीलिए कांग्रेस फूंक-फूंक कर क़दम उठा रही है. आने वाले दिनों में खुद अहमद पटेल बार-बार ये बयान देंगे कि, वो ना मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, ना हैं और ना होंगे.

इसीलिए भले ही यूपी चुनाव में राहुल प्रचार के दौरान मंदिर, मस्ज़िद और गुरुद्वारे गए, लेकिन गुजरात में यात्रा नवरात्रि के दौरान प्लान की गई. फिर राहुल ने यात्रा की शुरुआत द्वारकाधीश मंदिर से पूजा करके की, इंदिरा-राजीव के दस्तखत वाले मंदिर के पीढ़ी नामे पर दस्तखत भी किये.

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नवसृजन गुजरात की यात्रा के दौरान राहुल तमाम मंदिरों में गए. यात्रा और भाषण के दौरान माथे पर त्रिपुंड और टीका लगातार नज़र आता रहा. शाम को राहुल की दुर्गा मां की आरती और गरबे में शिरकत की तस्वीरें-वीडियो कांग्रेस सोशल मीडिया और मीडिया में प्रचारित करती रही.

इस मुद्दे पर आजतक से बातचीत में आरपीएन ने कहा कि, नवरात्रि के दौरान अगर राहुल देवी मां की पूजा करते हैं, गुजरात के प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर जाते हैं, तो क्या हुआ, हम सब जाते हैं. लेकिन किसी मस्ज़िद क्यों नहीं गया इसका कांग्रेस का पास कोई सीधा जवाब नहीं है.

कुल मिलाकर कांग्रेस को लगता है कि, बिहार उसके हक़ में वोट तो करेंगे, लेकिन बिहार की तर्ज पर मुस्लिम अगर शांति से, बिना शोर शराबे और बिना उकसावे में आये साथ दे. साथ ही अगर कांग्रेस हिंदुओं का एक तबका भी बीजेपी से तोड़ ले तो वो सफलता हासिल कर सकती है. इसीलिए कांग्रेस और टीम राहुल राज्य में सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ बढ़ते नज़र आ रहे हैं.

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