कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने देश की अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने शुक्रवार को ट्वीट करके कहा कि सरकार के खुद के आर्थिक सलाहकारों ने आखिरकार स्वीकार किया है कि हमने लंबे समय तक क्या सावधानी बरती है.
राहुल गांधी ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद गंभीर है. अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर बीजेपी सरकार नाकाम दिख रही है. वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बीजेपी सरकार से पूछा, भाजपा सरकार को अब देश को साफ बताना चाहिए कि अर्थव्यवस्था की दुर्दशा ऐसी क्यों हो रही है?
Govt’s own economic advisors have finally acknowledged what we cautioned for long - India’s economy is in a deep mess.
Now, accept our solution and remonetise the economy, by putting money back in the hands of the needy & not the greedy. https://t.co/pg89JX2RDn
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 23, 2019
प्रियंका गांधी ने कहा कि व्यापार टूट रहा है, उद्योग डगमगा रहे हैं, रुपया कमजोर होता जा रहा है, नौकरियां खत्म हो रही हैं. प्रियंका गांधी ने पूछा कि इससे हो रहे नुकसान की भरपाई कौन करेगा?
भाजपा सरकार को अब देश को साफ-साफ बताना चाहिए कि अर्थव्यवस्था की दुर्दशा ऐसी क्यों हो रही है?
व्यापार टूट रहा है, उद्योग डगमगा रहे हैं, रुपया कमजोर होता जा रहा है, नौकरियाँ खत्म हो रही हैं।
इससे हो रहे नुकसान की भरपाई कौन करेगा? pic.twitter.com/yheNRbHy8x
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) August 23, 2019
बता दें कि नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि किसी ने भी पिछले 70 साल में ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया, जब पूरी वित्तीय प्रणाली जोखिम में है. राजीव कुमार के मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी के बाद कैश संकट बढ़ा है. राजीव कुमार के मुताबिक नोटबंदी, जीएसटी और आईबीसी के बाद हालात बदल गए हैं. पहले करीब 35 फीसदी कैश उपलब्ध होती थी, वो अब काफी कम हो गया है. इन सभी कारणों से स्थिति काफी जटिल हो गई है.
समाचार एजेंसी आईएएनएस की खबर के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था के हालात को लेकर बनी अनिश्चिता के माहौल के बीच घरेलू शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली के दबाव से रुपये में लगातार कमजोरी देखी जा रही है. डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता जा रहा है. बाजार विश्लेषकों की मानें तो मौजूदा घरेलू और वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए रुपये में और कमजोरी बढ़ने की संभावना है, देसी करेंसी 74 रुपये प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर को तोड़ सकता है.