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सियासी सरगर्मी तेज, एक दिन में 3 नए 'सेनापतियों' से संभाला मोर्चा

23 जनवरी 2013 का दिन सियासत काफी अहम रहा. मौसम भले ही ठंडा था,  लेकिन राजनीतिक पारा सियासी सरगर्मी से चढ़ा हुआ था.

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23 जनवरी 2013 का दिन सियासत काफी अहम रहा. मौसम भले ही ठंडा था,  लेकिन राजनीतिक पारा सियासी सरगर्मी से चढ़ा हुआ था.

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अगर कहें कि पार्टियां 2014 चुनावों का मास्टर प्लान तैयार कर रही हैं तो शायद ग़लत ना होगा. वरना राजनीति में इतने बड़े बदलावों का दिन ऐसे ही नहीं आता.

बुधवार को सियासत में 3 सेनापति बने. सबसे पहले, कांग्रेस के उपाध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी अपना कार्यभार संभाला. दूसरी ओर नितिन गडकरी के बाद राजनाथ सिंह को बीजेपी ने पार्टी का अध्यक्ष बनाया और आखिर में उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे. पिता बाल ठाकरे के जन्मदिन पर उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान सौंपी गई है, तो पोते आदित्या ठाकरे को औपचारिक तौर पर शिवसेना के यूथ विंग की ज़िम्मेदारी दे दी गई.

राहुल गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष
राहुल गांधी ने बुधवार को औपचारिक तौर पर कांग्रेस के उपाध्यक्ष का पद संभाल लिया. जयपुर अधिवेशन में उपाध्यक्ष चुने जाने के बाद वो आज पहली बार कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे. पार्टी के नेताओं से मिलने के बाद उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस के नेताओं के साथ मिलकर राजनीति को बदलना चाहते हैं और इसके लिए युवाओं को और मौका देना होगा.

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राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष
राजनाथ सिंह, बीजेपी के नए अध्यक्ष बन गए हैं. पार्टी ने संसदीय बोर्ड की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगाई. राजनाथ सिंह को ऐसे समय में अध्यक्ष पद सौंपा गया है जब कई राज्यों में विधानसभा चुनाव के साथ-साथ लोकसभा के चुनाव भी करीब हैं. बीजेपी में सियासत के उलझे हुए समीकरण को हल करने के लिए पार्टी को फिलहाल राजनाथ सिंह सबसे सुलझे हुए नेता दिखे. सो उन्हें अध्यक्ष बनाए जाने का जलसा सड़कों पर मन रहा है. अब बारी आई नए अध्यक्ष राजनाथ सिंह. चेहरे पर भावुकता के भाव साफ पढ़े जा सकते थे. राजनाथ ने कहा कि विषम परिस्थितियों में अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठते हुए उन्हें अपने दायित्व का ज्ञान है और चुनौतियों की चिन्ता है.

उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे, शिवसेना
बीजेपी में राजनाथ की ताजपोशी हुई तो शिवसेना में उद्धव ठाकरे को ताज मिला. उद्धव औपचारिक तौर पर शिवसेना के मुखिया चुन लिए गए लेकिन शिवसेना प्रमुख नहीं कहलाएंगे. उधर उद्धव के बेटे आदित्य को शिवसेना में पद नहीं दिया गया बल्कि उन्हें यूथ विंग की कमान सौंपी गई है.

शिवसेना ने उद्धव के लिए पक्ष प्रमुख के नाम से एक नया पद बनाया. दिलचस्प ये कि उद्धव की ताजपोशी के बाद जब पार्टी पहली बार मीडिया से मुखातिब हुई तो पक्ष प्रमुख नजर नहीं आए. पिता को पार्टी की कमान मिली तो तीसरी पीढ़ी के ठाकरे यानी आदित्य का रुतबा भी बढ़ गया. हालांकि उम्मीद थी कि आदित्य को शिवसेना में नेता का पद दिया जाएगा, लेकिन पार्टी ने फिलहाल इस पर फैसला टाल दिया है.

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