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हार की जड़ तक जाना चाहते हैं राहुल गांधी, पार्टी नेताओं को सौंपी ये जिम्मेदारी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो रिपोर्ट मांगी है, उसमें बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से बात करके हार के कारणों की जानकारी इकट्ठा करने को कहा गया है. माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आने के बाद ही पार्टी की कार्यशैली और संगठन स्तर पर बदलाव किए जाएंगे.

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फोटो-रॉयटर्स)
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फोटो-रॉयटर्स)

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लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी में मंथन जारी है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हार की वजह जानने के लिए हर बूथ तक जाना चाहते हैं और यही वजह है कि उन्होंने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से बातचीत कर हार की कारणों का पता लगाने के लिए राज्य प्रभारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. राहुल वैसे तो कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहते हैं लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने विकल्प न होने का हवाला देकर फिलहाल उन्हें पद पर बने रहने के लिए मना लिया है.

कांग्रेस ने संगठन में बदलाव करने के सभी अधिकार राहुल गांधी को दे दिए हैं, ऐसे में नेताओं को उम्मीद है कि देर सबेर सही आखिर राहुल गांधी इस पद पर बने रहने के लिए मान ही जायेंगे. वहीं, राहुल भी विकल्प तलाशने की बात कहकर फिलहाल पद पर बने हुए हैं. पद पर रहते हुए राहुल अब पार्टी की हार की जड़ तक पहुंचने में जुट गए हैं.

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बूथ स्तर से मांगी रिपोर्ट

राहुल ने सभी राज्यों के प्रभारियों से हार के कारणों की जानकारी के लिए रिपोर्ट तैयार करके सौंपने को कहा है. राहुल के करीबियों के मुताबिक, ये एक सामान्य प्रक्रिया है, हार के बाद रिपोर्ट मांगना अध्यक्ष का रूटीन काम है. खास बात ये है कि, बतौर अध्यक्ष राहुल ने जो रिपोर्ट मांगी है, उसमें बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से बात करके हार के कारणों की जानकारी इकट्ठा करने को कहा गया है. माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आने के बाद ही पार्टी की कार्यशैली और संगठन स्तर पर बदलाव किए जाएंगे.

वहीं, दूसरी तरफ बतौर पूर्वी यूपी की प्रभारी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी अपनी रिपोर्ट राहुल गांधी को सौपेंगी. इसके लिए प्रियंका ने यूपी में चुनाव लड़े नेताओं के साथ ही प्रदेश के बड़े नेताओं से मुलाकात करके हार के कारणों पर भविष्य की रूपरेखा के लिए बातचीत करना भी शुरू कर दिया है. सूत्रों की मानें तो प्रियंका जल्दी ही यूपी में जिलेवार जाकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं से मिलकर हार की समीक्षा करके भविष्य के कदमों को लेकर रिपोर्ट तैयार करेंगी.

बहुसंख्यकों में पैठ जरूरी

हालांकि, शुरुआती बातचीत में नेताओं ने प्रियंका को दो-टूक कहा है कि, हमको धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बहुसंख्यक वर्ग के धार्मिक समारोहों में सिर्फ नाम के लिए नहीं बल्कि बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए. नेताओं ने प्रियंका को याद दिलाया कि कैसे पहले रामलीला समितियों, भागवत कथा के आयोजनों समेत तमाम धार्मिक आयोजनों के मुखिया कांग्रेस के नेता होते थे, लेकिन अब बहुसंख्यक आयोजनों के मुखिया भाजपा के नेता या उनके करीबी होते हैं. इससे बहुसंख्यक वर्ग में पार्टी की पैठ लगातार कमज़ोर होती जा रही है.

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वैसे भले ही नेता अपने आलाकमान से बोल पा रहे हों या नहीं लेकिन आपसी बातचीत में ये बताना नहीं भूलते कि, राहुल की इफ्तार पार्टी तस्वीरें तो सालों से सामने आती रहीं, लेकिन एक बार को छोड़ दें तो होली, दीवाली और खासकर रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर राहुल-प्रियंका की तस्वीरें क्यों नहीं सामने आतीं. कार्यकर्ता आपसी बातचीत में यहीं नहीं रुकते, वो तो यहां तक कहते हैं कि, सिर्फ टोकन तौर पर या चुनावों में मंदिर-मंदिर जाने से भर से बात नहीं बनने वाली बल्कि, राहुल गांधी अगर खुद को जनेऊधारी, शिवभक्त, हिन्दू ब्राह्मण बताते हैं तो उनके रोजमर्रा में भी यह बात नजर आनी चाहिए.

इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 52 सीटों पर सिमट गई है. ऐसे में मोदी लहर के सामने टिक पाने पार्टी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. वह भी जब 2014 में 282 सीटें पाने वाली भाजपा आज 303 सीटें के साथ दोबारा सत्ता में आ खड़ी हुई है.

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