पश्चिम बंगाल और बिहार में फैली हिंसा के बीच भारत की ऐसी तस्वीर भी सामने आई है जो इस समाज की गंगा-जमुनी तहजीब को कायम रखने के लिए मिसाल है. सांप्रदायिकता के माहौल में अपने बेटों को खो देने वाले दो पिता ने शांति की अपील की है. इसी अपील को राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर करुणा और आपसी भाईचारे की मिसाल बताया. हालांकि उनके इस ट्वीट पर अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री ने पलटवार करते हुए राहुल को 1984 सिख के खिलाफ हुए दंगों की याद दिलाई.
राहुल ने अपने ट्वीट में पीड़ित पिता यशपाल सक्सेना और इमाम इमदादुल रशीदी के बयान को शामिल किया था. साथ ही राहुल गांधी ने लिखा था कि अपने बेटों को नफरत और साम्प्रदायिकता के कारण खोने के बाद यशपाल सक्सेना और इमाम रशीदी के संदेश ये दिखाते हैं कि हिन्दुस्तान में हमेशा प्यार नफरत को हराएगा. कांग्रेस की नींव भी करुणा और आपसी भाईचारे पर टिकी है. हम नफरत फैलाने वाली BJP/RSS की विचारधारा को जीतने नहीं देंगे.
अपने बेटों को नफरत और सम्प्रदायिकता के कारण खोने के बाद यशपाल सक्सेना और इमाम रशीदी के संदेश ये दिखाते हैं कि हिन्दुस्तान में हमेशा प्यार नफरत को हराएगा।
कांग्रेस की नींव भी करुणा और आपसी भाईचारे पर टिकी है। हम नफरत फैलाने वाली BJP/RSS की विचारधारा को जीतने नहीं देंगे। pic.twitter.com/5smEqBm8gK
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 31, 2018
इस ट्वीट से राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर वार करना चाहा था. हालांकि केंद्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी अकाली दल ने इसका करारा जवाब दिया. अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पलटवार करते हुए राहुल गांधी और कांग्रेस को 1984 सिखों के खिलाफ हुए दंगे की याद दिलाई.
हरसिमरत ने तंज भरे लहजे में ट्वीट कर कहा कि देश ने कांग्रेस का 'प्यार' और 'भाईचारा' 1984 की अक्टूबर और नवंबर महीने में देख लिया था. उस दौरान हजारों सिखों का कत्लेआम किया गया था. कांग्रेस अब ‘करुणा’ और ‘आपसी भाईचारा’की बात कर रही है, लग रहा है कांग्रेस 1 दिन पहले ही अप्रैल फूल बना रही है.
The country saw the ‘love’ and ‘brotherhood’ of the Congress in October and November 1984 when thousands of innocent Sikhs were massacred.
Congress talking about ‘करुणा’ and ‘आपसी भाईचारा’…looks like someone is celebrating April Fools Day already! https://t.co/tSYLcvb9nJ
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) March 31, 2018
आपको बता दें कि सांप्रदायिक हिंसा में आसनसोल के एक मस्जिद के इमाम के 16 साल के बेटे की हत्या कर दी गई थी. जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे बेटे को खोने के बावजूद इमाम इमदादुल रशीदी ने शहर को और जलने से बचा लिया था. गुरुवार को शांति की अपील करते हुए उन्होंने कहा था कि बदले की बात करोगे तो वो मस्जिद और शहर छोड़कर चले जाएंगे.
वहीं दिल्ली में अंकित सक्सेना नाम के एक युवक की फरवरी महीने में हत्या कर दी गई थी. अंकित, सलीमा नाम की एक मुस्लिम लड़की से प्यार करता था. इसलिए सलीमा के घरवालों ने अंकित की बेरहमी से हत्या कर दी. हत्या के बाद अंकित के पिता यशपाल सक्सेना ने कहा था कि उन्हें किसी धर्म से उन्हें नफरत नहीं है. उन्होंने अपील की थी कि इस मामले को सांप्रदायिक रंग ना दिया जाए. यशपाल ने कहा था कि मैं भड़काऊ बयान नहीं चाहता हूं. जो हुआ है उसका मुझे गहरा दुख है लेकिन मैं मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल नहीं चाहता. मेरी किसी धर्म से कोई शिकायत नहीं है. हां, जिन्होंने मेरे बेटे की हत्या की, वो मुसलमान थे लेकिन सभी मुसलमान को हत्यारा नहीं कहा जा सकता है. आप मेरा इस्तेमाल सांप्रदायिक तनाव फैलाने में न करें. मैं सभी से अपील करता हूं कि इसे माहौल ख़राब करने के लिए धर्म से न जोड़ें.