सेना में वन रैंक-वन पेंशन को लागू करने की मांग बढ़ती जा रही है. ऐसे में 'राजनीतिक छुट्टी' से वापस आए राहुल गांधी इस मुद्दे को हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं. शनिवार को वह कांग्रेस मुख्यालय में सेवानिवृत सैनिकों और शहीद सैनिकों की विधवाओं से मिले. मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वह पीएम मोदी पर दबाव डालेंगे.
वन रैंक-वन पेंशन के मुद्दे पर कांग्रेस आरोप लगा रही है कि एक बार फिर पीएम मोदी अपनी बात से पलट गए हैं. लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी ने सेवानिवृत सैनिकों के लिए इसे लागू करने का वादा किया था. राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार को एक साल हो गए हैं पर अभी तक सैनिकों की इस मांग को लागू नहीं किया गया है.
राहुल गांधी ने बताया कि यूपीए सरकार ने इसके लिए सहमति भी दे दी थी और 8300 करोड़ रुपये का आवंटन भी कर दिया था. इन सब के बावजूद मोदी सरकार ने इसे अब तक फाइलों में उलझा रखा है.
यूपीए सरकार में रक्षा राज्य मंत्री रहे जितेंद्र सिंह ने मोदी सरकार को सैनिक विरोधी करार दिया है. सिंह के अनुसार उनकी सरकार ने 2006, 2009 और 2013 में ही इस मुद्दे पर काम करना शुरू कर दिया था. सिंह ने आगाह किया कि मोदी सरकार शायद उनके द्वारा ड्राफ्ट किए गए बिल से छेड़छाड़ कर सकती है, जिससे सेवानिवृत सैनिकों को घाटा हो सकता है.
डिफेंस अकाउंट के कंट्रोलर की मानें तो वन रैंक-वन पेंशन लागू करने के बाद सरकार पर 9300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. सेवानिवृत कर्नल बी. सी. लगवाल ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि जान-बूझकर वह इस मुद्दे को खींच रही है.