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मनमोहन की तरह फिर कोई सरप्राइज या राहुल गांधी, 17 जनवरी को सोनिया करेंगी फैसला

कांग्रेस अगले साल 17 जनवरी को होने वाले पार्टी के अधिवेशन में अगले लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर सकती है. अभी तक पीएम कैंडिडेट के सवाल पर कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व की बात कह बचती थी. मगर 8 दिसंबर को चार राज्यों में कांग्रेस की बुरी तरह हार के बाद सोनिया गांधी ने साफ कर दिया था कि हमारा पीएम का कैंडिडेट होगा और उसके नाम का ऐलान चुनाव से पहले उचित समय पर किया जाएगा

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी

कांग्रेस अगले साल 17 जनवरी को होने वाले पार्टी के अधिवेशन में अगले लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर सकती है. अभी तक पीएम कैंडिडेट के सवाल पर कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व की बात कह बचती थी. मगर 8 दिसंबर को चार राज्यों में कांग्रेस की बुरी तरह हार के बाद सोनिया गांधी ने साफ कर दिया था कि हमारा पीएम का कैंडिडेट होगा और उसके नाम का ऐलान चुनाव से पहले उचित समय पर किया जाएगा. इस पूरी कवायद से यह भी औपचारिक तौर पर साफ हो गया था कि पार्टी मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अब प्रोजेक्ट नहीं करेगी.

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सूत्रों की मानें तो दिल्ली में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी जनवरी के तीसरे सप्ताह में एक डेढ़ दिन का अधिवेशन करने जा रही है. इसमें पार्टी के पीएम कैंडिडेट के नाम के ऐलान के अलावा संगठन की चुनावी रणनीति और इकॉनमी पर भी बात होगी. इन सबके बीच सबसे बडी़ सियासी चर्चा इस बात पर है कि क्या राहुल गांधी ही कांग्रेस के पीएम कैंडिडेट होंगे, जिसकी पार्टी काडर और कई वरिष्ठ नेता कई बार खुलकर मांग कर चुके हैं. पद की बात करें तो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी की इलेक्शन कैंपेन कमेटी के चेयरमैन हैं. यानी चुनाव के लिहाज से फिलहाल वही सिरमौर हैं. ये बात हालिया विधानसभा चुनावों के दौरान भी नजर आई.

क्या चर्चा करेगी कांग्रेस
हमारे संवाददाताओं के मुताबिक इस अधिवेशन में पार्टी इन पांच मुद्दों पर चर्चा करेगी.
1 कांग्रेस का पीएम कैंडिडेट कौन हो
2 संगठन में किस तरह के बदलाव किए जाएं
3 अगले लोकसभा चुनाव के लिए चुनावी घोषणापत्र
4 अहम मुद्दों पर राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए जाएं
5 देश की अर्थव्यवस्था की बेहतरी के उपायों पर चर्चा

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पार्टी ने इस बैठक के लिए सभी प्रदेश कांग्रेस समितियों से सुझाव मंगवाए हैं. इसके अलावा मोदी के खिलाफ रणनीति पर भी चर्चा होगी.पार्टी के इस औचक अधिवेशन के बाद राजनीतिक प्रेक्षक कांग्रेस का 2003 में हुआ शिमला अधिवेशन याद कर रहे हैं. तब भी कांग्रेस के सामने कुछ ऐसे ही हालात थे और चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में उसे तीन जगह सत्ता गंवानी पड़ी थी.

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