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व्यक्तिगत दौरे पर उत्तराखंड जाएंगे राहुल गांधी, नहीं मिलेंगे जमीनी कार्यकर्ताओं से

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपने पूर्व स्कूल 'द दून स्कूल' जा रहे हैं. स्कूल में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ वह अपने पूर्व के स्कूली दिनों को याद करेंगे. उनके भांजे और प्रियंका वाड्रा के पुत्र भी इसी स्कूल में शिक्षा ले रहे हैं.

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राहुल गांधी
राहुल गांधी

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपने पूर्व स्कूल 'द दून स्कूल' जा रहे हैं. स्कूल में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ वह अपने पूर्व के स्कूली दिनों को याद करेंगे. उनके भांजे और प्रियंका वाड्रा के पुत्र भी इसी स्कूल में शिक्षा ले रहे हैं.

उनके आने की खबर की पुष्टि करते हुए कांग्रेस के उत्तराखंड अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा है की वह और तमाम कांग्रसी नेता अपने राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी का स्वागत करने एयरपोर्ट पर जाएंगे. जिसके बाद राहुल सड़क मार्ग से दून स्कूल पहुंचेंगे

स्कूल के कार्यक्रम खत्म होने के बाद सड़क मार्ग से ही वो जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचेंगे, जहां से सीधा वो दिल्ली की उड़ान भरेंगे. राहुल के आगमन से जहां कांग्रेस खेमे में उत्साह है, वहीं एक छोटी-सी कमी भी महसूस दिखाई दे रही है. राहुल गांधी इस बार जमीनी कार्यकर्ताओं से नहीं मिलेंगे.

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उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने राहुल गांधी के कार्यक्रम को संक्षि‍प्त बताते हुए कहा कि भले इस बार उनका राष्ट्रीय नेतृत्व की कमान के सूत्रधार के पास समय का अभाव है, मगर बरसात के मौसम के ख़त्म होने के बाद हम उनसे अनुरोध करेंगे की वो एक बार फिर से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से मिलने देवभूमि आये और सभी का उत्साहवर्धन करें जिससे आने वाले चुनाव में कांग्रेस पूरे दमखम से चुनाव में जीत हासिल करें.

गौरतलब है की भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अभी से 2019 के चुनावों की तैयारी शुरू करते हुए देश भर में भ्रमण की शुरुआत कर दी है और भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह लगातार दौरों पर हैं जहां वो हर दिन अपने जमीनी कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन करने में लगे रहते हैं. वह अपनी रणनीति पर लगातार बिना रुके काम करते जा रहे हैं, ऐसे में उत्तराखंड में बुरी हार का सामना करने के बाद अगर राहुल गांधी भी अपने जमीनी कार्यकर्ताओं से मिलते तो शायद कांग्रेस खेमे की गुटबंदी भी ख़त्म होती और कार्यकर्ताओं में जोश का भी प्रवाह होता.

व्यक्तिगत कार्यक्रम के बाद अगर कांग्रेस राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आधे घंटे का समय भी अपने कार्यकर्ताओं को देते तो आपसी गुटबंदी को शांत करने में कुछ हद तक सफलता उनको जरूर मिल सकती थी. इस बुरे राजनीतिक दौर में कांग्रेसी खेमे को इसकी सख्त जरूरत भी थी और यह प्रदेश कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम भी कर सकती थी. 

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