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'सूट बूट की सरकार' को राहुल गांधी ने कहा हैप्पी B'day

नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार को अपने कार्यकाल का एक साल पूरा कर लिया है. इस मौके पर सरकार जहां अपनी उपलब्धि‍यों का बखान कर रही है, वहीं विपक्ष ने एनडीए सरकार को यू-टर्न सरकार का तमगा दिया है. लेकिन इन सब के बीच एक बधाई संदेश कोझिकोड से भी आया. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 'सूट बूट की सरकार' को हैप्पी बर्थडे कहा है.

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रैली के दौरान राहुल गांधी
रैली के दौरान राहुल गांधी

नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार को अपने कार्यकाल का एक साल पूरा कर लिया है. इस मौके पर सरकार जहां अपनी उपलब्धि‍यों का बखान कर रही है, वहीं विपक्ष ने एनडीए सरकार को यू-टर्न सरकार का तमगा दिया है. लेकिन इन सब के बीच एक बधाई संदेश कोझिकोड से भी आया. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 'सूट बूट की सरकार' को हैप्पी बर्थडे कहा है.

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कोझिकोड में युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की रैली को संबोधि‍त करते हुए राहुल गांधी ने भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने सरकार की ओर से विकास परियोजनाओं के मार्ग में भूमि की अनुपलब्धता को बड़ा रोड़ा बताए जाने को सबसे बड़ा झूठ करार दिया.

बिना प्रमुख के हैं आयोग
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने पिछले एक साल में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के सरकार के दावे पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले मुख्य संस्थान आरटीआई और केंद्रीय सतर्कता आयोग बिना प्रमुख के हैं. राहुल गांधी ने कहा, 'बीजेपी सरकार किसी कारण से भूमि कानून में बदलाव करने की जल्दी में थी. सरकार ने इसके लिए जो तर्क दिया वह भ्रम पैदा करने वाला था.'

उन्होंने आगे कहा कि सरकार का तर्क यह था कि वे युवाओं को रोजगार देना चाहते हैं और इसके लिए भूमि कानून में बदलाव की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि मेक इन इंडिया अभियान के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा भूमि विधेयक है इसलिए वे युवाओं, किसानों और श्रमिकों से कह रहे हैं कि तुमसे तुम्हारी जमीनें छीनने दो. जब तुम हमें अपनी जमीन दोगे तब हम तुम्हें बदले में रोजगार देंगे.

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राहुल गांधी ने कहा कि वित्त मंत्रालय से मिली आरटीआई सूचना के तहत केवल आठ फीसदी परियोजनाएं भूमि संबंधी मुद्दों के कारण रूकी पड़ी हैं. उन्होंने कहा, ‘भूमि की अनुपलब्धता को रोजगार सृजन के लिए विकास परियोजनाओं के मार्ग की बाधा बताना सबसे बड़ा झूठ है. नए विधेयक में अधिग्रहण के लिए किसानों की मंजूरी जरूरी नहीं है. इसी प्रकार ली गई जमीन के सामाजिक प्रभाव के अध्ययन का प्रावधान भी हटा लिया गया है.'

-इनपुट भाषा से

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