राहुल की नजर अब दलित वोट बैंक पर है. दलितों को कांग्रेस से जोड़ने के लिए राहुल ने बाकायदा एक दलित एजेंडा बनाया है और इसकी शुरुआत वो दिल्ली में अगले महीने दलित महासम्मेलन से कर रहे हैं.
राहुल ने इसकी कमान दी है अपने खास और पूर्व नौकरशाह के राजू को, जिनको पार्टी की एससी/एसटी सेल का नया प्रमुख बनाया गया है. यूपी के दौरे में राहुल अकसर किसी न किसी दलित के घर पर ठहरते थे और जो कुछ सीखा अब उसे पार्टी में उतार रहे हैं. राहुल ने इसके लिए बाकायदा दलित एजेंडा बनाया है.
इस दलित एजेंडे के लिए राहुल ने चार सूत्रीय कार्यक्रम भी बनाया है.
पहला- हर राज्य में 20 से 25 युवा दलित नेताओं की पहचान इनके दौरे से राज्य में दलित चेतना का विस्तार इन नेताओं को बाकायदा ट्रेनिंग.
दूसरा- दलितों के लिए मुद्दों की पहचान और मुददों पर विचार. इसके लिए बाकायदा एक विचार समिती का गठन जो रिसर्च पेपर तैयार करेगी और सोशल मीडिया पर भी बहस करेगी.
तीसरा- दलितों पर अत्याचार की घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी समिती. पार्टी को लगता है कि कानून है लेकिन उनका अमल नहीं. अमल कराने में पार्टी की भूमिका कम.
चौथा- पंचायत स्तर तक दलित समिति का गठन फिर जिला और राज्य स्तर पर भी कमेटी बने.
दरअसल देश में इस समय 600 आरक्षित सीटें हैं जिनमें से कांग्रेस सिर्फ 120 पर है. देश में दलितों की संख्या करीब 26 प्रतिशत है. जाहिर है राहुल इस वोट बैंक को कांग्रेस में वापस लाना चाहते है.