2004 में राहुल गांधी राजनीति में आए और अब 10 साल बाद वे कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं. चुनौतियों से भरे इस समय में उन्होंने कांग्रेस का कार्यभार संभाला. राहुल ने हेडलाइन्स टुडे के नेशनल अफेयर्स एडिटर जावेद अंसारी से बेबाकी से बात की. पढ़ें सवाल-दर-सवाल किस तरह से राहुल गांधी ने दिए जवाब.
आज तक- चौथे चरण का चुनाव शुरू होने वाला है और आप बहुत घूम रहे हैं. ऐसे में आपको क्या फीडबैक मिल रहा है, क्या स्थिति है कांग्रेस की?
राहुल- कैंपेन अच्छा है. अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग हालात हैं, लेकिन ओवरऑल काफी ठीक चल रहा है और रिजल्ट अच्छा आना चाहिए.
आज तक- तो आप कह रहे हैं कि चुनाव पूर्व सर्वे में जो बात कही जा रही हैं, वो जमीन हकीकत से काफी परे हैं?
राहुल- देखिए, ओपिनियन पोल 2004 में कह रहे थे कि कांग्रेस पार्टी हारेगी, इंडिया शाइनिंग का मार्केटिंग कैंपेन था. 2009 में भी ओपिनियन पोल में यही कहा गया और रिजल्ट दूसरा ही निकला. बीजेपी की मार्केटिंग अच्छी है, मगर अंत में रिजल्ट देखते हैं.
वीडियो: ओपिनियन पोल पर राहुल की राय
आज तक- अगर बीजेपी की मार्केटिंग अच्छी है तो कांग्रेस क्यों नहीं ऐसी मार्केटिंग कर पायी? हो सकता है कोई कमी रह गई हो कांग्रेस की तरफ से, 10 साल आप सत्ता में रहे और ये पूरा चुनाव मोदी सेंट्रिक हो गया है.
राहुल- देखिए, कांग्रेस का जो बेस है वो गरीब जनता का बेस है. बीजेपी का बेस कॉर्पोरेट्स का बेस है और उनकी मार्केटिंग एबिलिटीज हमसे बेहतर हैं. हमारे काम करने की क्षमता, हमारे कार्यक्रमों की क्षमता, हमारे कॉन्टेक्ट की क्षमता उनसे बेहतर हैं. आम तौर पर हर कैंपेन में उनके कैंपेन का शोर ज्यादा होता है. आप किसी भी कैंपेन को देख लें उनकी आवाज ज्यादा होती है, मगर जब रिजल्ट निकलते हैं तो दूसरी बात होती है. अगर आप सैफोलॉजिस्ट से भी पूछेंगे तो वे भी ये बात कहेंगे कि जो कांग्रेस का बायस होता है, गरीब लोग कांग्रेस को वोट करते हैं, कमजोर लोग कांग्रेस को वोट करते हैं तो उनकी आवाज कम होती है.
तस्वीरों में राहुल गांधी का पहला हिन्दी इंटरव्यू...
आज तक- तो आप अब भी ये मानते हैं कि कांग्रेस को बहुमत मिल जाएगा?
राहुल- मिलना चाहिए. मगर जो हमारी लड़ाई असल में विचारधारा की लड़ाई है, चुनाव में दो विचारधाराएं हैं. हमारी सोच है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को शक्ति दी जाए. हम विकेंद्रीकरण की बात करते हैं, अधिकार की बात करते हैं. उनकी सोच सत्ता की शक्ति है, एक व्यक्ति सारी शक्ति ले जाए और हिन्दुस्तान को इस तरह से चलाए. ये बिल्कुल अलग तरह की विचारधारा है. अगर आप कांग्रेस पार्टी की सफलताओं को देखेंगे, तो आप देखेंगे कि हम तब सफल होते हैं जब लोगों को शक्ति देते हैं. आजादी की लड़ाई से ही हम ऐसा कर रहे हैं. आजादी की लड़ाई में लोगों शक्ति दी, हरितक्रांति के समय शक्ति दी, टेलिकॉम क्रांति के समय शक्ति दी और लोगों का सूचना का अधिकार, भोजन का अधिकार आदि अधिकार देकर भी शक्ति दी है. हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस देश को चलाएं.
दिल्ली में मतदान के बाद अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी
आज तक- आप जब शक्ति की बात करते हैं तो लगता है वेलफेयर की बात कर रहे हैं.
राहुल- नहीं, मैं सिर्फ वेलफेयर की बात नहीं कर रहा हूं. मैं एक सपोर्ट सिस्टम की बात कर रहा हूं. विकास होना चाहिए, प्रगति होनी चाहिए, सड़कें बननी चाहिए, स्कूल कॉलेज खुलने चाहिए. मगर जो गरीब होता है उसे आगे बढ़ने के लिए एक फर्श की जरूरत होती है. गरीब व्यक्ति सड़क को नहीं खा सकता है, उसे मिनिमम सपोर्ट बेस की जरूरत होती है इसलिए हम अधिकार की बात करते हैं, इसलिए हम भोजन के अधिकार की बात करते हैं, इसलिए हम रोजगार योजना की बात करते हैं. उसे एक प्लेटफॉर्म मिल जाए, उसके बाद वो टेक ऑफ करे. मैंने उत्तर प्रदेश में गरीबों के साथ काफी काम किया है. और अगर आप गरीबी रेखा के नीचे हैं टेक ऑफ करना बहुत मुश्किल होता है वो भी बिना सपोर्ट के. हम चाहते हैं कि बिजनेस और गरीब जनता के बीच में एक पार्टनरशिप हो, दोनों एक साथ काम करें और इस प्रकार से प्रगति हो. उनकी सोच है पूरा फोकर तीन-चार बिजनेसमैन पर हो और बाकी सब अपने-आप ठीक हो जाएगा. वे ट्रिकल डाउन की बात करते हैं, अमेरिका में भी ट्रिकल डाउनलोड हुआ था और वो फेल हो गया था.
आज तक- बहुत से लोग ये मानते हैं कि आपका जो मॉडल है उससे यूथ कनेक्ट नहीं कर पा रहा है. उम्मीद पर जीने वाले उस क्लास, उस यूथ के लिए आपके पास क्या है? उनका ये मानना है कि आप जो एम्पावरमेंट की बात कर रहे हैं उसके अलावा उन्हें रोजगार चाहिए, उन्हें सड़क चाहिए, उन्हें इन्फ्रास्ट्रक्चर चाहिए.
राहुल- देखिए, हमारी सोच दो धाराओं वाली है और उसमें हमने काम भी बहुत किया है. अगर आप असलियत में आंकड़े देखें तो सड़क, बिजली, पानी सभी में हमने एनडीए से ज्यादा काम किया है. वे सड़कों की बात करते हैं हमने उनसे तीन गुणा ज्यादा सड़कें बनाई हैं और ये सच्चाई है आप पूरे हिन्दुस्तान में जांच कर लें. हम मैनिफेक्चरिंग कॉरिडोर की बात कर रहे हैं, दिल्ली से लेकर मुंबई, मुंबई से लेकर चेन्नई, चेन्नई से बैंगलोर, दिल्ली से कोलकाता. हम एक मैनिफेक्चरिंग बैकबोन बना रहे हैं. बिजली-पानी, पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर, पूरा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर. इसके लिए हमने जापान से साथ गठजोड़ किया है. इससे लोगों को करोड़ों रोजगार मिलेंगे. मैं अपने भाषणों में कहता हूं, आजकल मेड इन चाइना होता है, हम चाहते हैं कि मेड इन इंडिया हो. वो इन्फ्रास्ट्रक्चर से होगा और वो भी हम कर रहे हैं, मगर हमारा कहना है कि आप इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाओ, मगर अगर आपने अपना मानव संसाधन ही तैयार नहीं किया जो, गांवों में है, गरीबों के बीच में है अगर आपने उसे ही तैयार नहीं किया, खड़ा नहीं किया तो बाद में क्या होगा.
वीडियो: जानिए क्या है कांग्रेस की दो धाराओं वाली सोच
आज तक- क्या आपको नहीं लगता कि इस चुनाव का पूरा फोकस मोदी पर हो गया है? गुजरात मॉडल की बात होती है. क्या वजह है कि आप जो उपलब्धियां गिना रहे हैं उसे कांग्रेस सामने नहीं रख पा रही है?
राहुल- हम 10 साल से सरकार में हैं ये सच्चाई है, इसे आप बदल नहीं सकते और यह अपने आप में बड़ी उपलब्िध है. नेहरू जी की सरकार सबसे लंबी सरकार थी और उनके बाद मनमोहन सिंह जी की सरकार सबसे लंबी सरकार है. इतनी लंबी सरकार है तो थोड़ा-बहुत एंटी इनकम्बेंसी होगी, इस बात को मानकर चलना है. लेकिन पिछले 10 सालों में हमने 15 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला, यही लोग भारत के मानव संसाधन हैं. मुझे लगता है कि हमने अधिकार की बात की है, सड़कें बनाई हैं, एयरपोर्ट बनाए हैं तो हमने काफी लोगों की जिन्दगी में बदलावा लाया है और मुझे लगता है कि हमें इसका फायदा मिलेगा.
आज तक- लेकिन मोदी भी तो यही कहते हैं. वे कहते हैं हमारा गुजरात मॉडल देखिए, हम 24 घंटा बिजली, कनेक्टिविटी, विश्वस्तरीय सड़कें, इन्वेस्टमेंट इतना कुछ लाए हैं. क्या वजह है कि लोग उनके अन्य संदेशों के अलावा गुजरात मॉडल को भी काफी तवज्जो देते हैं?
राहुल- गुजरात जब खड़ा हुआ था तो वो छोटे उद्योगों पर खड़ा हुआ था. अमूल जैसे कॉपोरेटिव मूवमेंट पर खड़ा हुआ था और उसकी वो ताकत है. आप अब गुजरात मॉडल को देखें तो एक व्यक्ति के बिजनेस का टर्नओवर 3 हजार करोड़ से बढ़कर 40 हजार करोड़ पहुंच गया.
वीडियो: राहुल बोले, 'सिर्फ मार्केटिंग है मोदी का मॉडल'
आज तक- आप अडानी की बात कर रहे हैं.
राहुल- मैं नाम नहीं लेना चाहता. वडोदरा जितनी जमीन उन्हें 300 करोड़ रुपये के लिए दी गई. मुंबई की समुद्र रेखा जितनी लंबी समुद्र रेखा उन्हें दी गई. वहां की टेक्सटाइल इंडस्ट्री खत्म हो गई, हीरों को काटने वाले मजदूर मर रहे हैं, मैंने उनसे बात की है. वहां कुपोषण है, बच्चे भूखे हैं, किसान रो रहा है. वहां सबसे ज्यादा मजदूर विवाद हैं. वहां बस मार्केटिंग है, टीवी पर आ जाते हैं. असल में गुजरात मॉडल की असलियत ये है कि दो-तीन उद्योगपतियों को फेवर कीजिए, उन दो-तीन के अलावा गुजरात में अन्य किसी का नाम बता दीजिए.
आज तक- आप अच्छे से जानते होंगे कि आपकी सरकार के खिलाफ भी यही आरोप लगते हैं. क्रोनिक कैपिटलिज्म के, भ्रष्टाचार के. लोग कहते हैं कि आपकी सरकार काफी भ्रष्ट सरकार थी. इन आरोपों का जवाब आप कैसे देंगे?
राहुल- देखिए, भ्रष्टाचार हिन्दुस्तान में एक सच्चाई है. अगर आपको भ्रष्टाचार से लड़ना है तो बातचीत बंद करके एक्शन लेना होगा. एक्शन बातों से नहीं इंस्टीट्यूशनल फ्रेमवर्क से होगा. आप बीजेपी का घोषणापत्र पढ़ेंगे तो उसमें लिखा है हम भ्रष्टाचार से लड़ेंगे. लेकिन उसमें एक लाइन नहीं है कि वे करेंगे क्या. हमारी सरकार का सबसे बड़ा काम सूचना का अधिकार था और उसमें मैंने भी काम किया था. हमने लोगों को सवाल करने की शक्ति दी, इससे भ्रष्टाचार बाहर आया है और ये सच्चाई है. हम लोकपाल बिल लाए हैं, सबसे बड़ा भ्रष्टाचार जमीन में होता है, हम जमीन अधिग्रहण बिल लेकर आए. अब गुजरात की तरह हजारों एकड़ जमीन एक साइन पर ऐसे ही किसी को नहीं दी जा सकती. हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत बड़े कदम उठाए हैं, मगर ये इंस्टीट्यूशनल कदम हैं. बोलना अलग होता है, काम करना अलग होता है.
वीडियो: भ्रष्टाचार की लड़ाई बहुत लंबी है
आज तक- आपके विरोधियों का कहना है कि कथनी और करनी में फर्क होता है. आपने ऑर्डिनेंस फाड़ा और फिल लालू प्रसाद यादव से समझौता कर लिया. क्या आपको नहीं लगता कि आपको बहुत पहले इस मामले में दखल देना चाहिए था?
राहुल- मैंने आरटीआई में पर्दे के पीछे से पहले दखल दिया. मैंने कॉन्स्टीट्यूशनल लोकपाल की बात कही और वह आज के लोकपाल से भी ज्यादा मजबूत होता. पहले बहुत सारी स्कीम होती थीं और हर स्कीम में अलग-अलग भ्रष्टाचार होता था, हमने सभी स्कीम को नरेगा के अंतर्गत ला दिया. असल में वो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ ही पहल थी. भोजन का अधिकार पीडीस सिस्टम का ही रिफॉर्म है. मैं लगा हुआ हूं और सबसे बड़ा काम मैं यूथ कॉन्ग्रेस और एनएसयूआई में कर रहा हूं. भ्रष्टाचार से सचमुच लड़ना है तो ये बहुत लंबी लड़ाई है. और अगर भ्रष्टाचार से जीतना है तो हमारी राजनीतिक पार्टियों को बदलना होगा, समाधान यहीं से आएगा.
वीडियो: करप्शन पर एक्शन के पक्ष में राहुल
आज तक- बदलाव से आपका क्या मतलब है?
राहुल- करीब 700 लोग लोकसभा और राज्य सभा में हैं, 4500 लोग विधानसभाओं में हैं और ये लोग हिन्दुस्तान को चलाते हैं. सभी कानून ये लोग बनाते हैं. इन लोगों को कितने लोग चुनते हैं, उम्मीदवार को कौन चुनता है. बीजेपी में 10 लोग, कांग्रेस में 10-15 लोग, समाजवादी पार्टी में 1-2 लोग, बीएसपी में 1 व्यक्ति. मतलब जब तक हजारों-लाखों लोगों को आप अपना उम्मीदवार चुनने की आजादी नहीं देंगे जब तक यह सिस्टम बंद रहेगा. मोदी जी कहते हैं कि ये सब के सब निर्णय लेने की ताकत मुझे दे दो. आज 100 लोग चुनते हैं मोदी जी चाहते हैं एक व्यक्ति को सारी ताकत मिल जाए, मैं चौकीदार बनूंगा. लेकिन हम चाहते हैं कि प्राइमरी बने और लोग अपना उम्मीदवार चुनें.
वीडियो: बिजली, पानी, सड़क राज्य सरकार की जिम्मेदारी
आज तक- आपने प्राइमरी शुरू तो की थी, वडोदरा के लिए चुना कोई और था लेकिन आपने मधुसूदन मिस्त्री को भेज दिया.
राहुल- पश्चिमी देशों जैसे अमेरिका में लाखों लोग अपने उम्मीदवार को चुनते हैं, लेकिन यहां फैसला बंद कमरों में होता है. प्राइमरी इसे ही बदलने की बात है, पहले 15 सीटों को 2-4 लोग चुनते थे, लेकिन इस बार 15 सीटों को 12 हजार लोगों ने चुना है. इनमें एसोशिएसन के सदस्य, कांग्रेस सदस्य, ब्लॉक अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, महिला कांग्रेस अध्यक्ष शामिल हैं. मैं चाहता हूं कि एक ऐसा दिन आए जब कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार राहुल गांधी न चुने हजारों-लाखों लोग चुनें. इससे ताकत आएगी और इससे सचमुच में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन होगा. हमने डीएम की ताकत को कम करने के लिए पंचायती राज दिया, इसी तरह से प्रगति होगी. वडोदरा में हमारा एक उम्मीदवार प्राइमरी से चुना गया था. लेकिन वहां से बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी चुनाव में खड़े हो गए तो उस लड़के ने कहा यह इज्जत का मामला है अगर पार्टी किसी और को यहां से टिकट देना चाहे तो मैं अपनी टिकट उन्हें देना चाहता हूं. प्राइमरी का ये आइडिया बहुत बड़ा है और इस आइडिया ने कांग्रेस पार्टी के अंदर आग लगा दी है. पहली बार हमारे युवा और महिला कार्यकर्ता कह रहे हैं कि मजा आया, उनमें जोश भर गया है. लोगों के पास उम्मीदवार चुनने की आजादी होनी चाहिए और मैं यही चाहता हूं.
आज तक- आपके समर्थकों का मानना है कि प्राइमरी लंबा सफर है, लेकिन अब सबसे बड़ी चुनौती 2014 की है. आप नरेंद्र मोदी को कैसे रोकेंगे? हाल में देखा गया है कि आपका कैंपेन उत्तेजक और व्यक्तिगत हो गया.
राहुल- नहीं, व्यक्तिगत नहीं हुआ है. नरेंद्र मोदी जी एक व्यक्ति हैं, उनके अपने मुद्दे हैं. व्यक्तिगत मामलों से मेरा कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन वो एक सोच का प्रतिनिधित्व करते हैं और वो सोच एक हिन्दुस्तानी को दूसरे हिन्दुस्तानी से लड़ाने की है. उस सोच से हिन्दुस्तान को खतरा है और उसके खिलाफ मैं लड़ता हूं. गुजरात में उनके आर्थिक विचार हैं कि दो-तीन व्यक्तियों को पूरे प्रदेश का धन दे दो, वो भी हिन्दुस्तान के लिए खतरा है और उसके खिलाफ मैं लड़ता हूं. व्यक्तिगत हमलों में मेरा विश्वास नहीं है और मैं करता भी नहीं हूं.
वीडियो: कट्टरपंथ को बताया देश के लिए खतरा
आज तक- जिस तरफ आप इशारा कर रहे हैं, बहुत से लोगों का मानना है कि आपके सहयोगी दल जैसे समाजवादी पार्टी भी तो वैसी ही बातें करते हैं. आजम खान और मुलायम सिंह कैसे-कैसे बयान दे रहे हैं. ऐसे लोगों के साथ आप कैसे काम कर सकते हैं और कैसे काम करेंगे?
राहुल- समाजवादी पार्टी के साथ हमारी लड़ाई है. जो लड़ाई हमारी बीजेपी के साथ है वो सपा के साथ भी है. हम यूपी में उनसे लड़ रहे हैं, हमारी उनसे कोई पार्टनरशिप नहीं है. कट्टरपंथी चाहे जिस तरफ का हो वो हिन्दुस्तान के लिए खतरा है. जब देश में भाई-चारा और प्यार होता है जब हिन्दुस्तान आगे चलता है. हमने 10 साल सरकार चलाई, हमने विकास दर तेज दी, सड़कें ज्यादा बनायीं, बिजली ज्यादा दी. हमने 15 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला. हमने दोनों तरह के काम किए. हमारी मार्केटिंग नहीं है, चकाचौंध नहीं है और इस बात को मैं मानता हूं. लेकिन कार्यक्रम, जानकारी और लोगों का दर्द समझना ये सब कांग्रेस पार्टी जानती है.
आज तक- लोगों का मानना है कि आपको बहुत पहले सरकार में आ जाना चाहिए था. क्या आप प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं?
राहुल- अगर आप हमारा संविधान पढ़ेंगे तो उसमें लिखा है प्रधानमंत्री को सांसद चुनेंगे. आजकल जो प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना दिया जाता है असल में वे संवैधानिक नहीं है. संवैधानिक तो यही है कि चुने हुए सांसद प्रधानमंत्री चुनें. अगर हमारे सांसदों ने मुझे चुना तो मैं पीछे नहीं हटने वाला हूं. मगर मेरी सोच है कि हिन्दुस्तान की जनता की इज्जत करनी चाहिए. उन्होंने अभी वोट डाला नहीं है और अब मैं ये कहूं कि मैं प्रधानमंत्री बनना चाहता हूं, तो ये जनता की इज्जत नहीं है. मैं हिन्दुस्तान का नौकर हूं और मैं अपनी जनता के लिए काम करता हूं.
वीडियो: प्रधानमंत्री के सवाल पर क्या बोले राहुल
आज तक- यूपीए-2 में भारतीय इकोनॉमी 9 प्रतिशत से 5 प्रतिशत पर आ गई. अगर आप लोग फिर सत्ता में आए तो उसे वापस पटरी पर लाने के लिए क्या करेंगे?
राहुल- देखिए, ये मार्केटिंग का झूठ है. सच्चाई ये है हमने अपने 10 साल में एनडीए के 5 सालों से बहुत बेहतर ग्रोथ रेट दिखायी है. यहां अंत में वैश्विक मंदी आयी है और उससे हिन्दुस्तान पर भी असर पड़ा है. सच्चाई यही है कि हमने बीजेपी से अच्छा काम किया है और ये हिन्दुस्तान की जनता को अच्छी तरह से पता है. उद्योगपतियों को भी ये समझने की जरूरत है कि पार्टनरशिप से ही हम आगे जाएंगे. गरीब जनता और उद्योगों के बीच में पार्टनरशिप होगी तभी ये देश आगे जाएगा. आपने सिर्फ गरीब जनता की तरफ देखा तो देश आगे नहीं जाएगा और अगर आप गरीबों को भूल गए तो भी देश आगे नहीं जाएगा. वो पार्टनरशिप प्यार से होगी वो गुस्से से नहीं हो सकती. लोगों की शिकायत होती है कि उन्हें ट्रेन्ड लोग नहीं मिलते, वो आएंगे कहां से, गरीब ही तो हैं जिन्हें ट्रेन्ड करना है. अगर आपका पूरा नेचुरल रिसोर्स गरीब होगा तो आपकी फैक्टरियों में काम कौन करेगा. सच्चाई ये है कि भारत का भविष्य बहुत आशावादी है, अगर आप बाकी दुनिया को देखेंगे तो हिन्दुस्तान बहुत अच्छी गति से आगे बढ़ रहा है, बाकी दुनिया बंद पड़ी है. चीन नंबर 1 पर और हिन्दुस्तान नंबर 2 पर है. अगर हमने प्यार से काम किया, हम गरीबों और उद्योगों को साथ लेकर चले तो आने वाले 5-7 सालों में हम चीन से आगे निकल जाएंगे. अगर हिन्दू-मुसलमान, अमीर-गरीब या एक राज्य दूसरे राज्य से लड़ेगा तो ये ग्रोथ रेट ठप्प हो जाएगी.
वीडियो: यूपीए ने एनडीए से बेहतर ग्रोथ रेट दिखाई
आज तक- अमेठी में लोगों की शिकायत है कि वहां बिजली नहीं है, सड़क की हालत बहुत खराब है, जबकि आप वहां के सांसद हैं.
राहुल- उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार समाजवादी पार्टी की है. सड़क, स्कूल, बिजली की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी की सरकार की है. हम राष्ट्रीय राजमार्गों का काम करते हैं, ये काम दिल्ली की सरकार करती है और हमने वहां बहुत फोकस किया है. मैंने वहां महिलाओं के लिए बहुत बड़ा काम किया है. महिलाओं के साथ मिलकर हमने 12 लाख महिलाओं को बैंक से जोड़ा है और उनकी जिन्दगी बदली है. मगर राज्य में हमारी सरकार नहीं है और उससे जनता को नुकसान होता है. मेरा लक्ष्य ये है कि आजकल जो शक्ति हिन्दुस्तान में कुछ चुने हुए लोगों के हाथों में है वो हम जनता में फैलाएं, गांव के लोगों को, युवाओं को दें. ये मेरी जिन्दगी का मिशन है और मेरे लिए कोई मुश्किल वक्त नहीं है, चाहे जो हो जाए मैं ये काम करुंगा और इसमें मैं सफलता प्राप्त करुंगा.
वीडियो: आखिर क्यों शादी नहीं करते राहुल गांधी
आज तक- चाहे रिजल्ट जो हो आप लगे रहेंगे?
राहुल- मेरे लिए रिजल्ट हिन्दुस्तान की जनता को शक्ति देना है. पिछले 10 साल में हमने हिन्दुस्तान की जनता को बहुत शक्ति दी है और जो हमने पिछले 10 सालों में किया है उससे 10 गुणा आने वाले 10 साल में करेंगे.
आज तक- आपकी फॉर्म में मेट्रीमोनियल कॉलम कब भरेगा?
राहुल- जब सही लड़की मिलेगी तो भर जाएगा. टाइम कम मिलता है, घूमना पड़ता है, काम करना पड़ता है. ये किस्मत की बात होती है.