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कांग्रेस ने दिया राहुल गांधी को जोर का झटका

लगातर पराजय के बाद कांग्रेस में आत्म मंथन का दौर जारी है और पार्टी कई तरह के फॉर्मूले पर विचार कर रही है लेकिन उपाध्यक्ष राहुल गांधी की योजनाओं को दरकिनार कर दिया गया है.

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी

लगातर पराजय के बाद कांग्रेस में आत्म मंथन का दौर जारी है और पार्टी कई तरह के फॉर्मूले पर विचार कर रही है लेकिन उपाध्यक्ष राहुल गांधी की योजनाओं को दरकिनार कर दिया गया है.

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एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी की बहुचर्चित पारदर्शी योजना को बट्टे खाते लगाने जा रही है. इसके तहत पार्टी के संगठनात्मक चुनाव बैलट के जरिये कराने की बात थी. राहुल की योजना थी कि हर पद के चुनाव पर वोटिंग कराई जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे. लेकिन पार्टी ने इसे अब खारिज कर दिया है और अधिकतम सहमति की बात कही है.

कहा जा रहा है कि पार्टी इस समय संकट से गुजर रही है और बैलट की बात उठाने से आपस में कटुता और बढ़ेगी. इसकी बजाय मिलजुल कर सहमति बनाई जाए. इससे सदस्यों में एकता बनी रहेगी. इस विचार के बाद अब राहुल गांधी द्वारा नियुक्त प्रदेश अध्यक्षों पर गाज गिर सकती है. इनमें हरियाणा के अध्यक्ष अशोक तंवर, मध्य प्रदेश के अरुण यादव, राजस्थान के सचिन पायलट भी हैं जिन पर तलवार चल सकती है.

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पार्टी के एक बड़े नेता ने अखबार को बताया कि पार्टी चाहती है कि आपसी समझौते और सहमति से संगठनात्मक चुनाव कराए जाएं. इससे पार्टी के सभी वर्गों के लोगों को संतुलित ढंग से जगह मिल पाएगी. पार्टी की कोशिश है वास्तविक सहमति.

यह कहा जा रहा है कि युवा कांग्रेस के संगठनात्मक चुनावों में पैसे का खूब इस्तेमाल हुआ है. इससे आपसी गुटबाजी बढ़ी है और नेताओं में मतभेद दिख रहे हैं. ऐसा आगे भी करते रहने से पार्टी कमज़ोर होगी.

यह भी तय हुआ है कि पार्टी के पदाधिकारियों का कार्यकाल वर्तमान के पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया जाए.

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