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राजीव गांधी से ज्यादा प्रतिभाशाली हैं राहुल: खुशवंत

जाने माने लेखक खुशवंत सिंह का विचार है कि कांगेस महासचिव राहुल गांधी अपने दिवंगत पिता राजीव गांधी से ज्यादा प्रतिभाशाली हैं. उनका कहना है कि दरअसल राजीव गांधी ‘वास्तव में अच्छे नेता नहीं थे’ बल्कि एक ऐसे ‘बाय स्काउट थे’ जिनके पास बहुत सारे अच्छे विचार तो थे लेकिन ये विचार असाधारण हो, ऐसा नहीं था.

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जाने माने लेखक खुशवंत सिंह का विचार है कि कांगेस महासचिव राहुल गांधी अपने दिवंगत पिता राजीव गांधी से ज्यादा प्रतिभाशाली हैं. उनका कहना है कि दरअसल राजीव गांधी ‘वास्तव में अच्छे नेता नहीं थे’ बल्कि एक ऐसे ‘बाय स्काउट थे’ जिनके पास बहुत सारे अच्छे विचार तो थे लेकिन ये विचार असाधारण हो, ऐसा नहीं था.

सिंह ने एक नेता के तौर पर राजीव गांधी और राहुल गांधी की तुलना अपनी पुस्तक ‘एबसोल्यूट खुशवंत:द लो डाउन ऑन लाइफ, डेथ एंड मोस्ट थिंग्स इन बिटवीन’ में की है. खुशवंत ने यह किताब स्तम्भकार हमरा कुरैशी के साथ मिलकर लिखी है.

उन्होंने लिखा है ‘उनके (राहुल) पास दूरदर्शिता है जो कि काफी मायने रखती है. मैं उनसे प्रभावित हूं, जिस तरह से वह खुद को संचालित करते हैं, उससे भी मैं प्रभावित हूं. वह सही दृष्टिकोण रखते हैं.’ सिंह (95) ने लिखा है कि उनकी सोच सही है.’ वयोवृद्ध सिंह ने राहुल की इस बात को लेकर प्रशंसा की है कि उन्होंने मायावती और शिव सेना के गढ़ में दलितों के साथ बैठकर और खाना खाकर देश की शर्मनाक वास्तविकता को उजागर किया.

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सिंह ने अपनी पुस्तक में लिखा है ‘राहुल ने मायावती को उन्हीं के गढ़ में मात दी. ऐसा करना किसी बहादुरी से कम नहीं. उन्होंने साबित कर दिया कि वह किसी जाति वर्ग को नहीं मानते और न ही इस पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं. वह अमेठी में दलित के साथ ठहरे और उनके साथ भोजन किया. ऐसे में मैं नहीं समझता कि उनकी इसके लिए आलोचना होनी चाहिए.’{mospagebreak}
पेंग्विन बुक्स द्वारा प्रकाशित इस किताब में उन्होंने लिखा है ‘वे हमारे देश की शर्मनाक सचाई को सामने लाए. 21वीं सदी में भी हमारे समाज में अछूत लोग हैं और वे बदहाल जीवन जी रहे हैं.’ सिंह ने मुंबई (फरवरी 2010) में राहुल द्वारा शिव सेना से निपटने के तरीके की प्रशंसा की. गैर मराठी लोगों पर हमला करने वालों को राहुल ने आड़े हाथ लिया और सार्वजनिक तौर पर कहा कि मुंबई सभी देशवासियों की है. वह निर्भीक होकर शेर की मांद में गए और सड़कों के अलावा वहां की लोकल ट्रेन में यात्रा की.

उनकी मुंबई यात्रा में शिव सेना के गुंडे पूरी तरह नाकाम साबित हुए और शायद ही कोई मराठी शिव सेना द्वारा राहुल के विरोध में आयोजित प्रदर्शन में शामिल हुआ हो. राहुल और उनके सलाहकारों का यह काफी सुनयोजित कदम था.

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खुशवंत सिंह ने राजीव गांधी के बारे में कहा है कि उन्हें जबरन ऐसी स्थिति में धकेल दिया गया था जिससे निपटने के लिए वह तैयार नहीं थे. सिंह के अनुसार राजीव काफी शांत स्वभाव के थे. हालांकि उनके पास कुछ अच्छे विचार थे लेकिन ये विचार असाधारण नहीं थे. सिंह के अनुसार राजीव वास्तव में नेता नहीं थे और वह राजनीति के लिए नहीं बने थे.{mospagebreak} वह सिर्फ अपनी मां के पदचिन्हों का अनुसरण करते थे और उन्होंने भी उन्हीं की तरह कई गलतियां दोहराई. हालांकि उन्होंने इंदिरा गांधी के कार्यकाल में दूरसंचार और कंप्यूटरीकरण की शुरुआत कर कुछ सकारात्मक काम भी किए.

सिंह ने लिखा है ‘श्रीलंका में हस्तक्षेप करने की गलती के अलावा उन्होंने एक जनसभा में एक मंत्री पर अपनी नाराजगी जताई. इसके अलावा शाह बानो और बाबरी मस्जिद मामलों में उनकी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता, जिसके चलते कांग्रेस को दीर्घकालिक नुकसान उठाना पड़ा.

वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के दौरान हुए सिख दंगों के बाबत राजीव के उस बयान की सिंह ने आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था ‘जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो पृथ्वी हिलती है.’ संजय गांधी के बारे में सिंह ने लिखा है कि वह गतिशील और सक्रिय थे जबकि राजीव महज स्काउट ब्वाय की भांति थे.

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सिंह ने लिखा है कि अगर कांग्रेस वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में फतह हासिल करती है तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन सकते हैं.

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