राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. राहुल के पार्टी अध्यक्ष बनने की चर्चा पहले भी कई बार हो चुकी हैं. लेकिन इस बार लगता है दिवाली के बाद राहुल गांधी अध्यक्ष पद के लिए अपनी मां सोनिया गांधी से कमान संभाल लेंगे.
पूरी संभावना है कि इसी महीने के अंत या नवंबर के पहले हफ्ते में राहुल अपने कंधों पर ये जिम्मेदारी ले लेंगे. कांग्रेस सोशल मीडिया रणनीति में बदलाव से राहुल की छवि को जिस तरह हाल में नई धार मिली है, उसके हिसाब से परिस्थितियां भी राहुल के अध्यक्ष बनने के लिए माकूल मानी जा रही हैं.
राहुल चाहते तो पहले भी मनोनीत होकर पार्टी अध्यक्ष बन सकते थे लेकिन उन्होंने साफ कर दिया था कि वो पार्टी में चुनाव प्रक्रिया से ही गुजर कर ये पद संभालना चाहेंगे. यही वजह है कि पार्टी में चुनाव प्रक्रिया तेज है. सूत्रों के मुताबिक 24 अक्टूबर को CWC की बैठक हो सकती है. सूत्र ये भी बताते हैं कि AICC का अधिवेशन इस महीने के अंत या नवंबर के पहले हफ्ते में बंगलुरु में बुलाया जा सकता है. उसी में राहुल की अध्यक्ष के तौरपर ताजपोशी हो सकती है.
सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाले 19 साल हो चुके हैं. सोनिया पहली बार 1998 में पार्टी अध्यक्ष बनी थीं, तब से वे लगातार इस पद को संभाले हुए हैं. 2010 में दिल्ली में बुराड़ी अधिवेशन में उनका कार्यकाल आखिरी बार 5 साल के लिए बढ़ाया गया था. इस हिसाब से दिसंबर 2015 तक कांग्रेस अध्यक्ष और संगठन का चुनाव होना था. लेकिन 2 बार से कांग्रेस चुनाव आयोग से संगठन चुनाव एक साल आगे बढ़ाने की अनुमति लेती रही. आखिर में चुनाव आयोग ने दिसंबर 2017 तक हर हाल में चुनावी प्रक्रिया खत्म करने को कह दिया.
इसी के बाद कांग्रेस में चुनावी प्रकिया कराई गई. साथ ही मेम्बरशिप ड्राइव पूरी हुई. पीसीसी डेलिगेट्स के लिए देश भर के हर जिले में चुनाव कराने की प्रक्रिया भी हो गयी. दिलचस्प ये है कि, हर ब्लॉक से कम से कम एक डेलिगेट होना चाहिए. इस तरह मेम्बरशिप के लिहाज से हर जिले से पीसीसी डेलीगेट चुने गए. खास बात ये रही कि, चुनावी प्रक्रिया में चुनावों की नौबत ही नहीं आई. ज़िले के नेताओं के बीच आपसी सहमति से ही पीसीसी डेलिगेट्स चुन लिए गए. देश भर से चुने गए 11500 के करीब पीसीसी डेलिगेट्स ही पार्टी अध्यक्ष पद के लिए मतदान करेंगे.
इसके साथ ही सभी राज्यों से प्रस्ताव पास कर दिया गया कि, जिलाध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के मेंबर के चयन का अधिकार नए अध्यक्ष को होगा। नया अध्यक्ष ही बाद में हर 7 पीसीसी मेंबर में एक को aicc मेंबर चुना जाएगा।
पार्टी की चुनाव समिति के अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने सभी रिटर्निंग ऑफिसर्स से रिपोर्ट इकट्ठा करके पीसीसी डेलिगेट्स के चुनाव की जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दे दी है, साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया की तारीखें सौंप दीं हैं. अब जल्दी ही कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी की कार्यसमिति की बैठक बुलाकर इसकी जानकारी देंगी. फिर चुनाव अथॉरिटी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की तारीख, नामांकन की जांच की तारीख, नामांकन वापस लेने की तारीख और एक से ज़्यादा उम्मीदवार होने पर मतदान की तारीख और मतगणना की तारीखों का ऐलान कर दिया जाएगा.
राहुल के अध्यक्ष बनने की राह में वैसे कांटे नजर नहीं आ रहे हैं जैसे उनकी मां सोनिया गांधी के 1998 में पहली बार अध्यक्ष चुने जाते वक्त सामने आए थे. 1998 में सीताराम केसरी को सीडब्ल्यूसी ने हटाकर सोनिया गांधी को अध्यक्ष मनोनीत किया. उसके बाद जब संगठन चुनाव हुए तो पार्टी अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी के सामने पीवी नरसिंह राव के वक़्त कांग्रेस उपाध्यक्ष रहे जितेंद्र प्रसाद ने ताल ठोंक दी. हालांकि चुनाव में सोनिया के सामने जितेंद्र प्रसाद बुरी तरह हार गए. इसके पहले 1996 में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे सीताराम केसरी को पार्टी अध्यक्ष मनोनीत किया गया, लेकिन जब संगठन चुनाव के साथ अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ तो केसरी के सामने राजेश पायलट और शरद पवार लड़े. हालांकि, बाद में जीत केसरी की ही हुई. लेकिन आज के दौर में राहुल को ऐसी चुनौती मिलने की संभावना ना के बराबर है.
नेहरू, इंदिरा, राजीव, सोनिया के बाद नेहरू-गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी के तौर पर राहुल के कांग्रेस की कमान संभालने के लिए मंच पूरी तरह सज चुका है. अध्यक्ष बनने में राहुल को कोई दिक्कत का सामना बेशक ना करना पड़े लेकिन उनके लिए असली चुनौती अध्यक्ष बनने के बाद शुरू होगी. कांग्रेस को दोबारा मजबूत बनाने की चुनौती. वो ऐसे हालात में पार्टी कमान संभालने जा रहे हैं जब लोकसभा में पार्टी अपने चुनावी इतिहास की सबसे कम सदस्य संख्या यानी 45 पर सिमटी हुई है. उनके सामने केंद्र की सत्ता में एक पार्टी के पूर्ण बहुमत वाली सरकार है जिसके नेता नरेंद्र मोदी हैं. क्या राहुल तैयार हैं 2019 में मोदी बनाम राहुल की सीधी चुनावी जंग के लिए. इसी महीने राहुल कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो उनके सामने फिलहाल पहली चुनौती हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन की होगी.