प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत सहारा समूह के लखनऊ स्थित मुख्यालय पर छापा मारा. 20 घंटे की छानबीन करने के बाद ईडी के अधिकारियों ने कई अहम दस्तावेज जैसे बिल, डाटा, रसीदें आदि अपने कब्जे में लीं. छानबीन बताती है कि समूह की कंपनियों और निवेशकों के बीच लगभग 95 प्रतिशत लेन-देन कैश यानि नकद में थी.
दिल्ली, मुंबई और लखनऊ ईडी के अधिकारियों ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लि. और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लि. के कम्प्यूटर सर्वर के डाटाओं को सील कर दिया. दोनों ही अभी जांच के घेरे में हैं.
ईडी के अधिकारियों ने इंडिया टुडे को बताया कि जो भी रसीदें और बिल प्राप्त हुए हैं उनसे पता चलता है कि निवेशकों के साथ बहुत ही कम राशि का लेन-देन चैक से किया जाता था, जो बैंकिंग केवाईसी (Know your customer) मानदंडों का उल्लंघन है.
जो भी संदिग्ध दस्तावेज ईडी के अधिकारियों के द्वारा सील किये गए हैं क्या वो सहारा समूह की कंपनियों के 3 करोड़ निवेशकों से जुड़े हैं? या ये वास्तविक हैं या फर्जी निवेशकों से जुड़े हैं? ये सब जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा.
ईडी के अधिकारियों का कहना है कि बहुत ही बड़ी मात्रा में डाटा हमारे हाथ लगे हैं. छानबीन सफल रही. कई अहम दस्तावेज हमारे हाथ लगे हैं जो जांच में हमारी मदद करेंगे.
इन दस्तावेजों की जांच के साथ ही ईडी के अधिकारी उन 4500 बैंक खातों की भी जांच में जुड़ें हुए हैं जो कि सहारा समूह से जुड़ी हुई संस्थाओं के हैं.
ईडी के छापे पर प्रतिक्रिया देते हुए सहारा समूह के प्रवक्ता ने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि 60 प्रतिशत लेन-देन चैक से और 40 प्रतिशत लेन-देन कैश से हुआ. कैश लेन-देन ज्यादा था क्योंकि हमारे अधिकतर सम्मानीय निवेशक समाज के निचले तबके से थे और औसत जमा राशि 8000 रुपए थी जो कि 20000 से कम थी. इसीलिए ज्यादातर लेन-देन नकद में था.
सहारा के अधिकारी अपने पक्ष में आगे कहते हैं कि जो भी ईडी के अधिकारी अपने साथ ले गए हैं वो सभी ऑफिस की सामान्य जानकारी और वहीं सूचनाएं हैं जो हम सेबी को पहले ही बता चुके हैं.
गुरुवार को ईडी की टीम सीधा लखनऊ में स्थित सहारा भवन पहुंची और कार्यालय में छानबीन शुरू कर दी। यह छानबीन 24000 करोड़ के मनी लांड्रिंग एक्ट से जुड़ी हुई थी.
ईडी ने नवंबर 2014 में सहारा समूह के खिलाफ केस दर्ज किया था. सेबी ने सहारा के निवेशकों का करोड़ों वापस न किए जाने के सिलसिले में जो जांच की थी, उसके बाद ही ईडी ने यह मामला दर्ज किया था.