आने वाले दिनों में रेलवे के किरायों को घटाने या बढ़ाने का काम अब रेल मंत्री का नहीं होगा बल्कि इसका निर्धारण रेल डेवलपमेंट अथॉरिटी करेगी. मोदी कैबिनेट ने रेल डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी आरडीए को मंजूरी दे दी है. रेल डेवलपमेंट अथॉरिटी को भारतीय रेलवे में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है. ऐसी उम्मीद है कि आरडीए बनने के साथ ही रेलवे में सेवाओं की स्थिति बेहतर होगी और साथ ही इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी.
मोदी कैबिनेट की मंजूरी
रेल मंत्रालय के रेल डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाने के प्रपोजल को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. आरडीए अब स्वतंत्र नियामक होगा और इसका काम रेल किरायों का निर्धारण करना होगा. रेल डेवलपमेंट अथॉरिटी लागत को देखते हुए रेलवे की सेवाओं की कीमतों का निर्धारण करेगी. इसके अलावा उपभोक्ता हितों की रक्षा करना और साथ ही साथ नॉन फेयर रेवेन्यू को कैसे बढ़ाया जाए, इस पर सुझाव देना इसका काम होगा.
लागू होंगे तमाम रेल सुधार
आरडीए तमाम तरीके के रेल सुधारों को लागू करने का रास्ता भी साफ करेगा. किस तरीके से रेलवे में मानव संसाधन को विकसित किया जाए इसके बारे में इस अथॉरिटी की बात को सबसे ऊपर रखा जाएगा. डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर इंफ्रास्ट्रक्चर को किस तरह से निजी और सरकारी हिस्सेदारी से चलाया जाए इसके बारे में भी आरडीए की राय मायने रखेगी.
खास बात यह है कि आरडीए को एग्जीक्यूटिव ऑर्डर से बनाया जा रहा है क्योंकि इस समय मोदी सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है लेकिन रेलवे में सुधारों की जरूरत को देखते हुए सरकार ने फैसला लिया है कि इसे रेलवे एक्ट 1989 के अंतर्गत बनाया जाए.
ये रहेंगे आरडीए के काम
रेलवे डेवलपमेंट अथॉरिटी का काम होगा कि रेलवे किरायों का समय-समय पर निर्धारण करे. अलग-अलग कमोडिटीज पर कितना माल भाड़ा लगाया जाए इसका फैसला भी यह अथॉरिटी करेगी. आने वाले दिनों में सरकार अलग-अलग रेलवे लाइनों को निजी क्षेत्र को देने की भी सोच रही है. ऐसे में इन रेलवे लाइनों पर निजी क्षेत्र की गाड़ी को चलने देने के लिए कितना किराया वसूला जाए, इसका निर्धारण भी आरडीए के हाथ में होगा. रेलवे टिकट में अलग-अलग तरह की रियायातो के बारे में भी फैसला करने का हक आरडीए को होगा.
भारतीय रेलवे में निवेश करने वाले निजी और सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के किसी भी विवाद को सुलझाना की जिम्मेदारी भी आरडीए की होगी. भारतीय रेलवे को विश्व स्तरीय बनाने के लिए ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिसेज और बेंच मार्किंग को निर्धारित करने के काम भी इस अथॉरिटी के पास होगा.
एक चेयरमैन और 3 सदस्य होंगे
कैबिनेट में पास किए गए प्रपोजल के मुताबिक आरडीए का एक चेयरमैन होगा और इसके 3 सदस्य होंगे. चेयरमैन और उसके सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का होगा. गौरतलब है कि वर्ष 2001 से ही रेलवे में रेगुलेटर की भूमिका पर जोर देते हुए कई कमेटियों का गठन किया गया. इसके लिए सबसे पहले वर्ष 2001 में डॉक्टर राकेश मोहन की अगुआई में एक्सपर्ट ग्रुप बनाया गया. उसके बाद 2014 में नेशनल ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट पॉलिसी कमेटी बनाई गई. 2015 में डॉक्टर विवेक देवराय की अध्यक्षता में इसको लेकर एक कमेटी का गठन किया गया.
वर्ष 2015-16 के रेल बजट में रेल मंत्री ने ऐलान किया था कि रेलवे में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए और इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर तरीके से विकसित करने के लिए स्वतंत्र रेगुलेटर की जरूरत है. बजट में इस बात का उल्लेख किया गया था कि यह रेगुलेटर रेल किरायों को निर्धारित करेगा और साथ ही रेलवे के प्रदर्शन का मानक निर्धारित करेगा. 2015 में रेल डेवलपमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया के लिए कॉन्सेप्ट पेपर तैयार किया गया और इस पर लोगों के विचार जानने के लिए भारतीय रेलवे की वेबसाइट पर डाल दिया गया. इस बारे में मिले सभी सुझावों को बेहतर तरीके से परखा गया और काफी विचार विमर्श के बाद इसका अंतिम रूप तय किया गया.