रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के परिवार की कमाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि सियासी रुतबे के साथ कंपनियों का टर्न ओवर बढ़कर 152 करोड़ का हो गया.
बंसल की साख पर उनके अपने भांजे ने ही बट्टा लगा दिया है. भांजे अपने मामा की रेल में खेल करता रहा और अब हालत यह है कि भांजे सीबीआई की गिरफ्त में है और मामा मुश्किल में फंस गए हैं.
हर कोई जानना चाहता है कि आखिर वो कौन भांजा है जो अपने मामा को मामू बना गया? भांजे ने रेलवे में प्रोमोशन दिलवाने के नाम पर 10 करोड़ की डील की और मामा जी को खबर तक नहीं लगी. आज तक ने इस भांजे की जब पड़ताल की तो ऐसी बातें सामने आईं, जिसे जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे.
भानजे की फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी
कुछ सालों पहले पवन बंसल का भांजा विजय सिंगला ईंट भट्ठा चलाता था. उसकी इतनी भी हैसियत नहीं थी कि अपने लिए एक छोटा सा फ्लैट ले सके, लेकिन आज वो अरबों का मालिक है.
चंडीगढ़ स्थित रेल मंत्री पवन कुमार बंसल का घर उनकी छवि जैसा ही सादा है, जबकि उनके भांजे विजय सिंगला का घर किसी महल से कम नहीं है. कुछ साल पहले जिस इंसान का खर्चा बड़ी मुश्किल से चलता था, उसके पास आज 100 करोड़ रुपये कीमत का बंगला है. अपने मामा के रसूख का उसने कितना इस्तेमाल किया होगा, इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं.
सीबीआई ने विजय सिंगला को 90 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. सौदा 10 करोड़ रुपये का था. अब भांजे की करतूतों के चलते सीधे-सीधे पवन कुमार बंसल पर आरोप लग रहे हैं. बंसल अपने भांजे विजय सिंगला के कहे पर काम करते थे या नहीं, ये तो जांच का विषय है. लेकिन सिंगला अपने मामा बंसल के रसूख का इस्तेमाल करता था, इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है. वो दांव पर अपने मामा की साख लगाता था और अरबों की कमाई करता था.
मामा के रसूख से चमका भानजे का धंधा
पवन बंसल के 2 भाई और 6 बहने हैं. विजय सिंगला उनकी सबसे बड़ी बहन प्रेमलता का बेटा है. वो शुरू से ही पवन बंसल के बहुत करीब था. किराए के मकान में पंचकूला में रहता था, लेकिन जब उसके मामा केंद्र में मंत्री बने तो भांजे की तो जैसे लॉटरी ही निकल आई.
विजय सिंगला अपने मामा पवन कुमार बंसल की साख दांव पर लगाता था और अपना उल्लू सीधा करता था. बंसल के रसूख का इस्तेमाल करके वो कई कंपनियों का डायरेक्टर बन बैठा था. वो अपना धंधा चमका रहा था, लेकिन अब उसकी करतूतों के छींटे पवन बंसल पर पड़ रहे हैं.
अपने मामा के नाम के सहारे कुछ ही सालों में विजय सिंगला ने जितनी संपत्ति बना ली, उसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. चंडीगढ़-दिल्ली हाईवे पर प्लास्टिक फैक्ट्री जेटीएल इन्फ्रा विजय सिंगला और उसके भाई मदन मोहन सिंगला की है. चंडीगढ़ में विजय सिंगला का आलीशान दफ्तर अक्रोपॉलिश कॉरपोरेशन है. यहीं से वो अपना पूरा कारोबार चलाता है. उसकी सारी कंपनियों का दफ्तर यहीं है.
चंडीगढ़ में विजय सिंगला का अक्रोपॉलिस नाम का आलीशान मॉल बन रहा है, जिसकी कीमत 1,000 करोड़ रुपये आंकी जा रही है. यही नहीं मोहाली में 32 एकड़ में सिंगला का भव्य स्कूल भी बन रहा है. इसके अलावा मोहाली में उसका 100 एकड़ में ग्रुप हाउसिंग का प्रोजेक्ट चल रहा है.
विजय सिंगला 11 कंपनियों का डायरेक्टर है. ये कंपनियां हैं- जगन इन्फ्रा लिमिटेड, जेटीएल इन्फ्रा लिमिटेड, हिमानी स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड, चेतन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, श्रीओम कमर्शियल रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, रेडिएंट सीमेंट, एमवीएम मेटल, जेआर रियलट्रॉनिक्स एंड पैकेजिंग, रेडिएंट फर्मोमेंटल्स, मिराज इन्फ्रा लिमिटेड और जगन रियलेटर्स प्राइवेट लिमिटेड.
क्या है रिश्ते का सच?
पवन बंसल के रसूख का इस्तेमाल करके विजय सिंगला कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ता गया. जब सिंगला सीबीआई के हत्थे चढ़ा तो उन्होंने बाकायदा बयान जारी करके कहा कि उनका सिंगला से कारोबारी रिश्ता नहीं है. हालांकि इस रिश्ते का एक सच यह भी है कि सिंगला और बंसल कभी भी सार्वजनिक रूप से एक साथ नहीं दिखे.
पवन बंसल ने सौदेबाजी की जानकारी से इनकार किया है, लेकिन बीजेपी नेता कीरीट सोमैया तमाम दस्तावेजों के साथ सामने आए और उनके दावे के उलट उन पर कई आरोप लगा दिए. कीरीट सोमैया के मुताबिक, 'पवन बंसल कह रहे हैं कि उन्हें कुछ पता नहीं, जबकि सच यह है कि उनके घर का पता ही भांजे की कंपनियों का पता बना हुआ है.'
पवन बंसल अपने भांजे के फेर में बुरे फंसे हैं. अब पेच कुछ यूं उलझा है कि मामा के नाम पर अर्श को छूने वाला भांजा अपनी कारस्तानियों के चलते मामा को फ़र्श पर ना पटक डाले.
सादगी पर लगा दाग
पवन बंसल की छवि एक ईमानदार और सादगी भरे नेता की रही है. शोर-शराबे, हंगामे से उनका कोई नाता नहीं रहा है, लेकिन इन दिनों वे मीडिया और सोशल मीडिया पर छाए हैं. उनके नाम पर चुटकुले बन रहे हैं. नई-नई कहावतें गढ़ी जा रही हैं.
साल 2004 में पवन बंसल यूपीए सरकार में संसदीय कार्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री बने और 2009 में जब दोबारा यूपीए सरकार बनी तो उन्हें वित्त राज्य मंत्री और संसदीय कार्यमंत्री की ज़िम्मेदारी सौंपी गई. इस दौरान पवन बंसल का कद इतना बढ़ा कि कैबिनेट में बदलाव होने पर उन्हें रेलमंत्री की कुर्सी सौंपी गई.
1996 के बाद पहली बार कांग्रेस के पास रेल मंत्रालय लौटा था और पवन बंसल की साफ-सुथरी इमेज को देखते हुए उन्हें रेल मंत्रालय इस उम्मीद के साथ सौंपा गया कि आम जनता के लिए काम करेंगे. शुरू में ऐसा लगा भी, जब वो अक्सर जनरल बोगियों में आम जनता के बीच नज़र आने लगे, लेकिन पहले ही रेल बजट में उन्होनें किरायों में जमकर बढ़ोतरी की. अब जबकि घूस कांड में दामन दागदार हो रहा है तो सियासी गलियारों में हैरत है.
आम चुनाव दस्तक दे रहे हैं और ऐसे में इस घूस कांड ने यूपीए सरकार की साख पर एक बार फिर बट्टा लगाया है. पवन बंसल भले ही इस घूस मामले से अंजान रहे हों, लेकिन उनके भांजे ने उनके दामन पर ऐसा कलंक लगाया है, जिसे धोने में अरसा बीत जाएगा.