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ट्रेनों की लेटलतीफी रोकने के लिए लखनऊ, वाराणसी के रेलवे यार्डों का होगा कायाकल्प

रेलवे ने उन कारणों की पहचान कर ली है जिसकी वजह से उत्तर रेलवे की ट्रेनों लेट हो रही हैं लेकिन इस पर लगाम लगाने में अभी दो-तीन साल का समय लगेगा. रेलवे ने यह पहचान की है कि रेलवे यार्डों की वजह से लखनऊ, वाराणसी जैसी प्रमुख जगहों पर ट्रेने विलंब से छूट रही हैं.

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लखनऊ
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रेलवे ने उन कारणों की पहचान कर ली है जिसकी वजह से उत्तर रेलवे की ट्रेनों लेट हो रही हैं लेकिन इस पर लगाम लगाने में अभी दो-तीन साल का समय लगेगा. रेलवे ने यह पहचान की है कि रेलवे यार्डों की वजह से लखनऊ, वाराणसी जैसी प्रमुख जगहों पर ट्रेने विलंब से छूट रही हैं. यहां से ट्रेनों को देर तक आउटर सिग्नल पर खड़े रहने की भी मिली है. अब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा दो प्रमुख धार्मिक शहरों वाराणसी एवं फैजाबाद के रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों के ‘लेट’ होने या ‘आउटर सिग्नल’ पर देर तक खड़े रहने की शिकायतों को दूर करने के मकसद से उत्तर रेलवे यहां के यार्डों का ‘कायाकल्प’ करने जा रहा है.

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उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक (लखनऊ) अनिल कुमार लहोटी ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘लखनऊ और वाराणसी जैसे व्यस्त स्टेशनों पर ट्रेनों के लेट होने या आउटर सिग्नल पर देर तक खड़े रहने की दिक्कत यार्डों की वजह से हो रही है. इसे दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर यार्डों को फिर से बनाया जाएगा.’ उल्लेखनीय है कि वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जबकि लखनऊ से केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा सांसद हैं.

उन्होंने बताया, ‘सिर्फ लखनऊ और वाराणसी ही नहीं, बल्कि उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के तहत आने वाले फैजाबाद, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, रायबरेली, प्रयाग जैसे स्टेशनों पर भी यार्डों का कायाकल्प किया जाएगा. यह कार्य दो से तीन साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा.’ लहोटी ने कहा कि इन स्टेशनों पर यार्ड काफी पुराने हैं और प्लेटफार्मों की लंबाई भी कम है, जिसकी वजह से ट्रेनों के परिचालन में दिक्कत आती है.

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उन्होंने कहा, ‘पहले दस, बारह या चौदह डिब्बों की ट्रेन होती थी और प्लेटफार्म एवं यार्ड उसी के अनुरूप बनाये गए थे लेकिन अब ट्रेनें 22 से 24 कोच की होती हैं. ऐसे में पुराने यार्ड और प्लेटफार्म लंबी ट्रेनों के अनुकूल नहीं हैं.

वाराणसी रेलवे स्टेशन पर यार्ड का नए सिरे से निर्माण करने के दौरान ट्रेनों के परिचालन में होने वाली दिक्कत के बारे में पूछने पर लहोटी ने बताया कि निर्माण की अवधि के दौरान ट्रेनों को मडुआडीह और वाराणसी सिटी जैसे रेलवे स्टेशनों से चलाया जाएगा. इसके लिए इन दोनों स्टेशनों पर सुविधाओं का विकास करना होगा. उन्होंने बताया कि इस संबंध में पूर्वोत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक के साथ उनकी बातचीत हुई है. पूर्वोत्तर रेलवे के साथ समन्वय कर इस कार्य को अंजाम दिया जाएगा.

फैजाबाद के बारे में लहोटी ने बताया कि वहां ‘मैकेनिकल इंटरलाकिंग’ है और सिग्नल भी पुराने हैं. वहां यार्ड का निर्माण करने के साथ ही आधुनिक इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग और एलईडी रंगों वाले सिग्नल लगाये जाएंगे.

उन्होंने बताया कि यार्डों का नए सिरे से निर्माण करने की प्रक्रिया में नई ‘वाशिंग लाइन’ भी बनेंगी, जिससे ट्रेनों की साफ सफाई बेहतर ढंग से की जा सकेगी. फिलहाल यार्ड में गाड़ी ‘रिसीव’ करने या ‘डिस्पैच’ करने में बाधाएं आती हैं.

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लहोटी ने उम्मीद जतायी कि यार्डों का कायाकल्प होने पर ट्रेनों का ‘लेट’ होना बंद होगा जबकि प्लेटफार्मों की लंबाई बढ़ने से ट्रेनों से चढ़ने उतरने में यात्रियों को अधिक सुविधा होगी.

इनपुटः भाषा

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