रेलवे ने अपनी छवि में सुधार के लिए अब अधिकारियों के प्रमोशन का फंडा ही बदल दिया है. रेलवे ने हाल ही में जारी एक सर्कुलर में कहा है कि अब से उच्च अधिकारियों के प्रमोशन उनकी परफॉर्मेंस के आधार पर होंगे न कि सीनियरिटी के आधार पर. रेलवे अधिकारियों की परफॉर्मेंस का आधार कमाई होगा, न कि आपकी अच्छी गुडविल और व्यवहार.
प्रदर्शन के आधार पर तय होगा प्रमोशन
रेलवे ने 23 जून को जारी किए गए एक आदेश में जोनल मैनेजर और डीआरएम के साथ-साथ प्रमुख संस्थाओं के पीएचओडी को निर्देश दिए हैं और ये साफ कर दिया है प्रमोशन के लिए अधिकारियों की बेहतर प्रदर्शन को ध्यान में रखा जाएगा. प्रदर्शन का आधार रेलवे की कमाई बढ़ाने से लेकर बेहतर यात्री सुविधाओं के साथ माल भाड़े से हो रही कमाई में बढ़ोतरी तक हो सकता है.
निर्माण से संचालन तक का लिया जाएगा ब्योरा
'आज तक' के पास इस निर्देश की एक्सक्लूसिव कॉपी मौजूद है जिसमें ये साफ कहा गया है कि किसी भी अधिकारी की परफॉर्मेंस मापने के आधार होंगे. इनमें अलग-अलग मद में नंबर होंगे. जिनके आधार पर प्रमोशन पर विचार किया जाएगा. सर्कुलर में कहा गया है कि रेलवे बोर्ड अपने ही रेलवे में जोन के महाप्रबंधकों के साथ एमओयू साइन करेगा जिसमें दोनों ये तय करेंगे कि किस जोन को सालाना कितना काम करना है. इनमें निर्माण से लेकर संचालन तक शामिल होगा.
100 नंबर के आधार पर आंका जाएगा काम
अधिकारियों की परफॉर्मेंस को 100 नंबर के आधार पर आंका जाएगा. यहां पर हम आपको बताते है मुख्य चीजें जिनके आधार पर अधिकारियों के प्रदर्शन को आंका जाएगा. इनमें से 50 अंक इन प्रमुख मदों में और इसके अलावा अन्य कई मदों में 50 अंक दिए जाएंगे.
मालगाड़ियों में कितना माल लदान किया गया, इसके लिए होंगे 10 नंबर.
रेल यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई या नहीं, इसके लिए मिलेंगे 10 नंबर.
जोन की विकास दर क्या रही, इसके लिए रखे गए हैं 5 नंबर.
नॉन फेयर राजस्व में कितनी बढ़ोतरी हुई है, इसके लिए मिलेंगे 5 नंबर.
रेलवे निर्माण कार्य में बेहतर प्रदर्शन में रेलवे लाइन दोहरीकरण के लिए रखे गए 5 नंबर.
नई रेल लाइन बनाने के लिए मिलेंगे 5 नंबर.
नई लाइन पर विद्युतीकरण के लिए मिलेंगे 5 नंबर.
अपने रूट में रेलवे की औसत स्पीड को बढ़ाने लिए रखे गए 5 नंबर.
एपीआर से पहले देखी जाएगी काम की रिपोर्ट
रेल अधिकारियों का प्रमोशन इससे पहले उनके सालाना सीआर और APR यानी एनुअल परफॉर्मेंस अप्रैजल के आधार पर होता था. अब नए नियमों के मुताबिक सबसे पहले उच्च अधिकारियों और रेलवे बोर्ड के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत ये तय किया जाएगा कि उन मदों में कितना काम हुआ है. इसके बाद एपीआर की रिपोर्ट देखी जाएगी.