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आंख बंद करके नहीं बल्कि कोहरे में अक्ल लगाकर रेलवे कैंसिल करेगा इस बार ट्रेनें

मेंबर ट्रैफिक के मुताबिक हर साल रेलवे कोहरे के सीजन का सबसे ज्यादा असर उत्तर भारत में देखा जाता है. इसके मद्देनजर रेलवे ने पिछले साल जनवरी और फरवरी के दौरान 6600 ट्रेनें कैंसिल करने का फैसला सीजन से पहले ही ले लिया था लेकिन बाद में कोहरा कम पड़ने के चलते रेलवे ने अंत में तकरीबन 3000 ट्रेने फिर से चालू कर दी गई थीं.

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भारतीय रेलवे
भारतीय रेलवे

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स्मॉग के बाद अब आने वाले सीजन में कोहरे का खतरा रेलवे को परेशान किए हुए है. लेकिन इस बार कोहरे के सीजन में रेलवे एक साथ ढेर सारी ट्रेनें पहले से कैसिंल करने की परंपरा बदलने जा रहा है. रेलवे बोर्ड के मेंबर ट्रैफिक मुहम्मद जमशेद ने बताया कि इस बार रेलवे पहले से ही कोहरे के सीजन के लिए आंख मूंदकर ट्रेनों को कैसिंल करने की अपनी परिपाटी को बंद करने जा रहा है. इस बार कोहरा शुरू होने की स्थिति में तत्कालिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर रेलवे ट्रेनों को रद्द करने या डायवर्ट करने का फैसला लेगा. इस बार रेलवे बोर्ड ने सभी जोन के जीएम को पत्र लिखकर कोहरे के लिए मुकम्मल तैयारियां करने को कहा है. रेलवे बोर्ड ने कोहरे को लेकर मौसम विभाग से भी उनका पूर्वानुमान मांगा है.

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हर साल होता है 200 से 300 करोड़ का नुकसान
मेंबर ट्रैफिक के मुताबिक हर साल रेलवे कोहरे के सीजन का सबसे ज्यादा असर उत्तर भारत में देखा जाता है. इसके मद्देनजर रेलवे ने पिछले साल जनवरी और फरवरी के दौरान 6600 ट्रेनें कैंसिल करने का फैसला सीजन से पहले ही ले लिया था लेकिन बाद में कोहरा कम पड़ने के चलते रेलवे ने अंत में तकरीबन 3000 ट्रेने फिर से चालू कर दी गई थीं. हर साल कोहरे के चलते भारतीय रेलवे को 250 से 300 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए कि कोहरे की सटीक भविष्यवाणी बहुत पहले से संभव नहीं होती है रेलवे बोर्ड ने सभी रेलवे जोन को निर्देश दिया है कि पैसेंजर ट्रेनों को कैंसिल करने के मामले में वो अपने स्तर पर फैसला करें.

यात्रियों की सुविधाओं का रखें ख्याल
रेलवे जोन ये फैसला तमाम चीजों मसलन ट्रेन के काफी लेट होने और यात्रियों की सुविधा आदि के आधार पर लेंगे. इसके अलावा रेलवे के जोनल ऑफिस को ये भी कहा गया है कि वो ट्रेन कैंसिल करने का फैसला लेते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि किसी इलाके या सेक्शन में यात्री सुविधा देने वाली सभी ट्रेंने कैंसिल न हों.

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लंबी दूरी की मेल एक्सप्रेस रेलगाड़ियों पर कोहरे का सबसे ज्यादा असर पड़ता है. इन ट्रेनों पर पड़ने वाला असर दिन प्रति दिन अलग अलग होता है. एक से ज्यादा जोन से होकर गुजरने वाली रेलगाड़ियों के बारे में रेलवे बोर्ड खुद उसी वक्त फैसला लेगा जब कोहरे की स्थिति पैदा होगी. रेलवे बोर्ड मौसम विभाग से इस बार रीयल टाइम फॉग के बारे में लेटेस्ट जानकारी लेने के लिए मैकेनिज्म बनाने पर भी विचार कर रहा है. इन स्थितियों में इस बार ऐसी उम्मीद है कि कोहरा शुरू होने से पहले ही एकमुश्त सैकड़ों ट्रैनों को रद्द करने की बजाय मौसम के मिजाज को देखते हुए ही ट्रेनें रद्द करने के बारे में फैसला लिया जाएगा.

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