रेलगाड़ियों की लेटलतीफी से जहां एक तरफ ज्यादातर रेल यात्री परेशान हैं, तो वहीं रेल मंत्रालय इसको लेकर गंभीर है. लेटलतीफी की समस्या से निपटने के लिए रेल मंत्रालय ने भारतीय स्पेस एजेंसी-इसरो की मदद से रियल टाइम ट्रेन इंफॉर्मेशन सिस्टम बनाने की योजना बना रहा है. इस बारे में रेलवे ने इसरो से समझौता भी किया है.
ऐसी उम्मीद है जीसैट- 6 सेटेलाइट की मदद से वित्तवर्ष 2017-18 के दौरान 10 लोको डिवाइसेस का परीक्षण किया जाएगा. इस ट्रायल से मिली सूचना का उपयोग करके एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया जाएगा जो पूरे देश में ट्रेनों की सही सही स्थिति का रियल टाइम में पता देगा.
गौरतलब है कि मौजूदा समय में ट्रेनों की आवाजाही को लेकर जो सूचना हमारे पास आती है, वह रेलवे के कर्मचारियों द्वारा दर्ज की जाती है. ऐसे में कई बार ऐसी शिकायतें सामने आई हैं, जिसमें रेलवे कर्मचारी ट्रेनों की पन्चुअलटी को लेकर आंकड़ों में हेराफेरी करते हैं. ऐसी घटनाएं भी सामने आई हैं जब कोई एक्सप्रेस या पैसेंजर ट्रेन अपने गंतव्य स्टेशन पर नहीं पहुंची है, लेकिन रेलवे का सिस्टम उस ट्रेन को पहले ही पहुंचा हुआ दिखा रहा होता है. इस हेरा फेरी को खत्म करने और सही-सही सूचना पाने के उद्देश्य से देशभर में पैसेंजर ट्रेनों और माल गाड़ियों की सटीक स्थिति जानने के लिए इसरो की मदद ले जाने का फैसला किया गया है.
भारतीय रेलवे और इसरो एक साथ मिलकर रियल टाइम ट्रेन इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर इंडियन रेलवे यानी RTIS बनाने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए हाल ही में आपसी सहमति को लेकर समझौता हो चुका है. रियल टाइम ट्रेन इंफॉर्मेशन सिस्टम से सबसे बड़ी मदद मिलेगी की ट्रेनों की आवाजाही को लेकर पूरा सिस्टम ऑटोमेटिक हो जाएगा. इसके अलावा इस सिस्टम की मदद से हर एक ट्रेन की मानिटरिंग की जा सकेगी. सेटेलाइट के जरिये मिल रही सूचना का इस्तेमाल दो ट्रेनों की टक्कर से होने वाली दुर्घटनाओं को पूरी तरह से रोकने में बखूबी किया जा सकता है. सही सूचना मिलने से भारतीय रेलवे अपनी योजनाओं को सही तरीके से लागू कर पाएगा.