भारतीय रेल ने अब लेट दौड़ रही ट्रेनों की समस्या से निजात पाने के लिए कमर कस लिया है. भारतीय रेल की इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी कंपनी रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (आरआईटीईएस) प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के साथ मिलकर उन बाधाओं को पहचान करेगी जिसकी वजह से ट्रेनें लेट दौड़ रही हैं और साथ ही मौजूदा बुनियादी ढांचों पर ही ट्रेनों के और तेज दौड़ने के उपाय भी तलाशेगी.
इस बाबत हुई पहली मीटिंग के दौरान बॉम्बे (मुंबई) और अमृतसर के बीच चलने वाली फ्रंटियर एक्सप्रेस (अब गोल्डन टेम्पल एक्सप्रेस) ट्रेन को बतौर केस स्टडी लिया गया है. यह ट्रेन आजादी से पहले अपने सफर के लिए 40 घंटे का समय लेती थी और आज भी इसके समय में केवल आठ घंटों की कमी हुई है. रेलवे के उच्चाधिकारी के मुताबिक दिल्ली और आगरा के बीच 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही एकमात्र ट्रेन को भी इस केस स्टडी में शामिल किया गया है, यह ट्रेन अपनी रफ्तार केवल 10 किलोमीटर प्रति घंटा बढ़ाने में नाकाम रही है.
इस अधिकारी के अनुसार, ‘फ्रंटियर अब 32 घंटे का समय लेती है. इसका मलतब यह हुआ कि 60 सालों में केवल आठ घंटे का ही समय सुधार किया जा सका. इसी प्रकार, हम 10 सालों बाद भी ताज एक्सप्रेस की स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा करने में नाकाम रहे हैं जबकि अब दिल्ली-आगरा रूट पर ही सबसे तेज ट्रेन दौड़ रही है. बुलेट ट्रेन से पहले मंत्रालय भारत में 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने के प्रति बहुत गंभीर है.’
वर्तमान स्थिति है कि प्रति दिन 74 फीसदी भारतीय ट्रेनें नियत समय से चल रही हैं. सबसे बुरा हाल नॉर्थ सेंट्रल रेलवे (एनसीआर) और ईस्ट सेंट्रल रेलवे (ईसीआर) का है जहां यह केवल 34 फीसदी है. क्षेत्रीय रेल प्रशासन रेलवे को बता चुका है कि वर्तमान बुनियादी ढांचे में ट्रेनों के तय समय में चला पाना असंभव है.
अभी पिछले महीने ही, रेल मंत्री सुरेश प्रभु भी यह जानकर हैरान रह गए कि अधिकारी ट्रेनों के रिकॉर्ड में उनके गंतव्य तक पहुंचने के समय से छेड़छाड़ कर नियत समय को 99 फीसदी तक सही कर रहे हैं, जबकि लेट होने की शिकायतें एक्सप्रेस के साथ ही राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों के मामले में भी बढ़ती जा रही हैं. इसके तुरंत बाद लेट दौड़ रही ट्रेनों के मामले को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय हरकत में आ गया. उसने रेल मंत्रालय से इस बाबत सफाई मांगी. पीएमओ ने रेलवे को शिकायतों के मामले को बढ़ाते हुए उनसे समस्या को सुलझाने के लिए कदम लेने को कहा है.
सुरेश प्रभु हरकत में आए और इसके बाद रेलवे के उच्चाधिकारी को नॉर्थ सेंट्रल रेलवे (एनसीआर) और ईस्ट सेंट्रल रेलवे (ईसीआर) में हो रही देरी की जांच के लिए इलाहाबाद जंक्शन पर एक-एक हफ्ते के लिए दो बार बैठना पड़ा. पता चला कि नई दिल्ली और हावड़ा के बीच और खास कर पटना-मुगलसराय-इलाहाबाद खंड पर सिग्नल, इंजन और ट्रैक समस्याओं के कारण ट्रेनें विलंब से चल रही है.