सांसदों की रेलवे की कंसल्टेटिव कमेटी की बुधवार को रेल मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में बैठक हुई. रेल मंत्री प्रभु सभी सांसदों को ये बताने में लगे रहे कि भारतीय रेलवे ने किस तरह से बायो टॉयलेट कचरे का रीसाइक्लिंग वॉटर बॉडीज का कंजर्वेशन और रेलवे पटरियों के किनारे-किनारे वृक्षारोपण के उपाय कर रहा है.
ग्रीन डेवलपमेंट इको फ्रेंडली रेलवे पर खानापूर्ति
रेल मंत्री ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की बात कर रहे थे और सांसद उनको सुन रहे थे. लेकिन जब सांसदों की बारी आई तो उन्होंने ग्रीन एनर्जी तो एक तरफ रख दी और अपने अपने इलाकों में नई लाइनें बिछाने के लिए आग्रह करने लगे. कुछ सांसदों ने अपने इलाके में यात्रियों को सुविधा प्रदान करने और नई रेल गाड़ियां चलाने का आग्रह भी कर दिया. इन सबके बीच में ग्रीन डेवलपमेंट इको फ्रेंडली रेलवे को दरकिनार करते हुए सांसदों ने अपने रिजर्वेशन और सुविधाओं के बारे में भी रेलमंत्री प्रभु से सिफारिश कर डाली. कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है की ग्रीन एनर्जी पर कंसल्टेटिव कमेटी की बैठक महज खानापूर्ति ही रही.
कंसल्टेटिव कमेटी की बैठक में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सभी सांसदों को बताया रेलवे में अच्छी खासी बिजली का खर्चा है. चलने के लिए रेलवे डीजल का भी इस्तेमाल करती है, इस वजह से रेलवे कहीं न कहीं प्रदूषण फैलाती है. मौजूदा परिप्रेक्ष्य में यह बात बहुत जरूरी हो गई है कि रेलवे को कैसे इको फ्रेंडली बनाया जाए. इसलिए वातावरण पर कम से कम दुष्प्रभाव डालते हुए एक ऊर्जा सिस्टम को साकार करने के लिए कम लागत का विकल्प ढूंढ़ना जरूरी है. उन्होंने बताया कि भारतीय रेल का विजन 2020 का उद्देश्य जरूरत की कम से कम ऊर्जा का 10 प्रतिशत ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों के इस्तेमाल कर प्राप्त किया जाए. इस योजना के हिस्से के रूप में भारतीय रेलवे ने क्षेत्रीय रेलवे एवं अपनी उत्पादन इकाइयों के साथ 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा और 200 मेगावाट पवन ऊर्जा के संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है.
आईएफसी देश की पहला हरित उत्पादन इकाई
रेल मंत्री ने बताया ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए 10.5 मेगावाट क्षमता का पहला प्लांट 2009 में चेन्नई के आईएससी में लगाया जा चुका था. आईएफसी देश की पहला हरित उत्पादन इकाई है. इस दिशा में उत्तर—पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) द्वारा राजस्थान के जैसलमेर में 2016 में 26 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा संयंत्र को लगाकर दूसरा महत्वपूर्ण कदम उठाया गया. इस समय रेलवे 50 मेगावाट हरित ऊर्जा का दोहन कर रहा है. इसमें सौर एवं पवन ऊर्जा संयंत्रों के अलावा और भवनों की छतों से भी यह ऊर्जा पैदा की जा रही है. इस 50 मेगावाट ऊर्जा में वाराणसी, कटरा, जयपुर, कोलकाता मेट्रो और सिकंदराबाद रेलवे स्टेशनों से 500-500 किलोवाट ऊर्जा पैदा की जा रही है.