महाराष्ट्र में भतीजों के जंग की सियासत हर रोज गर्त में गिरती जा रही है. राज ठाकरे जुबान से जहर उगलने में माहिर हैं लेकिन महाराष्ट्र के जालना की सभा में एनसीपी नेता अजीत पवार के लिए राज ठाकरे ने जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया वो वाकई हैरान करने वाला है. पहले जो बातें देख लेने तक सीमित थी वो अब घर में घुसकर मारने तक पहुंच गई है. सियासी जंग में इतनी भद्दी जुबान का इस्तेमाल शायद ही कभी हुआ.
भतीजों की सियासत क्या इतनी गिर जाएगी? महाराष्ट्र में जमीन तलाशने की सियासत क्या सारी हदें तोड़ देंगी? बाल ठाकरे के भतीजे, राज ठाकरे और शरद पवार के भतीजे अजित पवार पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र की सियासत में इन दो भतीजों की जुबानी जंग से भूचाल आया हआ है. जुबानी हमले के एक बाण की आग ठंडी नहीं पड़ती है कि दूसरा बाण सियासत का सीना छलनी करने के लिए निकल पड़ता है.
एमएनएस नेता राज ठाकरे ने फिर एनसीपी नेता अजित पवार को आड़े हाथों लिया है. 10 फरवरी से ही महाराष्ट्र के अलग अलग इलाकों का दौरा कर रहे राज ठाकरे ने जालना जिले की चौथी सभा में सारें हदें तोड़ दी. उनकी जुबान से शब्द नहीं बल्कि शब्दों के रुप में धधकते अंगार फूटे.
एनसीपी नेता, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को ये तक कह दिया उनकी पार्टी के लोग घर में घुसकर उन्हें मारेंगे क्योंकि राज ठाकरे के मुताबिक अजित पवार इसी के लायक हैं.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2014 में है. चुनाव में अभी 1 साल से भी ज्यादा का वक्त है लेकिन सियासी हमलों की धार अभी से इतनी तेज हो गई हैं कि आने वाले दिनों की खैर नहीं.
बेलगाम बोलों की वजह से एमएनएस और एनसीपी कार्यकर्ताओं में ठन चुकी है. इसके अंजाम का भयानक चेहरा हम आप देख चुके हैं लेकिन सियासी जंग का यहीं अंत नहीं. ये तो शुरुआत है. शायद एमएनएस नेता राज ठाकरे चाहते भी यही है कि जंग की आग चलती रहे क्योंकि इसी में उनका फायदा है. इसलिए राज ठाकरे की जुबान गुजरे दिनों और गुजरे वाकयों के साथ तल्ख होती जा रही है. अब उन्हे भाषाई मर्यादाओं की भी परवाह नहीं.
एनसीपी नेता अजित पवार के भड़काने के बाद एनसीपी कार्यकर्ताओं ने तीन दिन पहले अहमदनगर में राज ठाकरे का काफिला रोक लिया था. राज ठाकरे को एनसीपी कार्यकर्ताओं ने न सिर्फ काले झंडे दिखाए बल्कि काफिले पर पत्थर भी फेंके. एमएनएस कार्यकर्ता इस पर मुंबई और महाराष्ट्र के दूसरे इलाकों में हंगामा मचाकर एनसीपी को जवाब दे चुके हैं लेकिन राज ठाकरे का कलेजा ठंडा नहीं पड़ा.
करीब चार हफ्ते में चौथी सभा को संबोधित करने के लिए राज ठाकरे जालना पहुंचे तो उगल दी आग. अजित पवार को कोसने में सियासी हमलों की मर्यादाएं टूट गईं. भाषाई जंग की सीमाएं टूट गईं.